नई दिल्ली : केंद्र सरकार के विनिवेश प्रस्ताव के खिलाफ गुरुवार को पूरे देश में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। कर्मचारी एलआईसी की 10 फीसदी हिस्सेदारी के विनिवेश और बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करने का विरोध कर रहे हैं। इस बार के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ लाने का ऐलान किया था। जानकारों का कहना है कि सरकार की योजना एलआईसी की दस फीसदी हिस्सेदारी बेचने की है।
नेटवर्थ रिसर्च के मुताबिक फिलहाल एलआईसी की मौजूदा वैल्यू करीब 12 लाख करोड़ रुपये है। ऐसे में अगर विनिवेश के जरिये इसके दस फीसदी हिस्से को बेचा जाता है तो सरकार को करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे। आम बजट में की गई घोषणा के अनुसार सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) और वित्तीय संस्थानों के विनिवेश के जरिये 1.75 लाख करोड़ रुपये का जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 में निजीकरण करने जा रही है।
केंद्र सरकार ने विनिवेश के जरिये जुटाई जाने वाली रकम से सामाजिक और विकास कार्यक्रमों को वित्तीय मदद उपलब्ध कराने की बात कही है। सरकार के इन प्रस्तावों का बैंक कर्मचारी यूनियन्स और इंश्योरेंस इम्पलाइज एसोसिएशन की ओर से पुरजोर विरोध किया जा रहा है। इसी सप्ताह 15 और 16 मार्च को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों ने देशव्यापी हड़ताल की थी। कर्मचारी यूनियन्स ने सरकार से अपने विनिवेश और निजीकरण के प्रस्तावों को वापस लेने की मांग की थी।