योगी सरकार के चार साल : एमएसएमई सेक्टर बना आत्मनिर्भता-उन्नति का आधार

रोजगार देने के मामले में देश में अव्वल बना उत्तर प्रदेश

लखनऊ :  योगी सरकार 19 मार्च को अपने चार साल पूरे कर रही है। इस दौरान कुछ प्रमुख सेक्टर की उपलब्धियों पर नजर डालें तो एमएसएमई बेहद अहम है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं हर बड़े मंच से इस सेक्टर का जिक्र करते रहते हैं। दरअसल सरकार रोजगार और आर्थिक मोर्चे पर जिस बड़ी कामयाबी की बात करती है, उसका नींव में एमएसएमई ही है। एमएसएमई सेक्टर के जरिए सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला उत्तर प्रदेश देश का पांचवां सबसे बड़ा राज्य बन गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा तैयार की गई रैंकिंग में कई राज्यों को पीछे छोड़कर उत्तर प्रदेश में शीर्ष पांच में जगह बनाई है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने चार सालों में देश के किसी भी राज्य के मुकाबले और प्रदेश की पिछली सरकारों की तुलना में सबसे ज्यादा रोजगार देने का नया रिकॉर्ड बना दिया है। प्रदेश में एमएसएमई के तहत संचालित योजनाओं का लाभ उद्यमियों और निवेशकों को आसानी से सुलभ कराने के लिए अब एमएसएमई विभाग तथा आईसीआईसीआई बैंक के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर भी किये गये हैं। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह कहते हैं कि चार वर्षों में 50 लाख से अधिक नई एमएसएमई इकाइयों की स्थापना हुई है। मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाली एक जिला-एक उत्पाद योजना आज पूरे देश में चर्चित है। भारत का हर राज्य इस योजना को अपना रहा है।

कोरोना काल के दौरान योगी सरकार में आत्मनिर्भर पैकेज के तहत पहले से कार्य कर रही इकाइयों को आर्थिक संकट से उबरने में मदद के साथ ही नई इकाइयों को बैंकों से ऋण उपलब्ध कराकर रोजगार के अवसर उत्पन्न किए गए। करीब साढ़े चार महीने के कोरोना काल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 11.27 लाख इकाइयों को वित्तीय सहायता दी एवं 33.55 करोड़ मानव दिवस रोजगार भी सृजन किया गया। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उदयम विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल के मुताबिक बैंकों से समन्वय करके प्रदेश में 8.69 लाख से ज्यादा नई एमएसएमई इकाइयों को 31,076 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया जा चुका है। नई एवं पुरानी एमएसएमई इकाइयों को लगभग 43 हजार करोड़ रुपये बैंकों द्वारा ऋण वितरित किये गये हैं। नई एवं पुरानी एमएसएमई इकाइयों के अतिरिक्त एमएसएमई इकाइयों को मिलाकर इस वित्तीय वर्ष में एमएसएमई इकाइयों लगभग 61 हजार करोड़ रुपये बैंकों द्वारा ऋण वितरित किये गये हैं। नई एमएसएमई इकाइयों के माध्यम से लगभग 33 लाख से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये हैं।

प्रदेश सरकार ने प्रत्येक जिले में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन के लिए रोजगार प्लान तैयार किया है। प्रदेश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक्सपोर्ट प्लान तैयार किया जा रहा है। चालू वित्तीय वर्ष में एमएसएमई विभाग के लिए 50 लाख लोगों को रोजगार या स्वरोजगार से जोड़ने का लक्ष्य तय किया गया है। कोरोना और लॉकडाउन के दौर में योगी सरकार की एक जनपद एक उत्पाद योजना रोजगार के मामले में गेमचेंजर साबित हुई। एमएसएमई के अंतर्गत शुरू की गई इस योजना के जरिए राज्य सरकार ने स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार के साथ ही व्यापार से भी जोड़ा। ओडीओपी योजना के तहत हर जिले के एक उत्पाद को ब्रांड बनाकर राज्य सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग की। अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कम्पनियों के साथ सरकार के ऑनलाइन व्यापार के एमओयू ने योजना को गति दे दी।

खास बात है कि प्रदेश के जिन जिलों में अपना कोई विशिष्ट उद्योग नहीं है, वहां के प्रसिद्ध कृषि उत्पाद को ओडीओपी सूची में शामिल किया गया है। उदाहरण के तौर पर मुजफ्फरनगर के गुड़ को ओडीओपी की सूची में शामिल किया गया है, क्योंकि वहां गुड़ की 100 से भी अधिक किसमें तैयार होती हैं। सिद्धार्थनगर में उपजने वाले सुगंधित काला नमक चावल को इस योजना से जोड़ा गया है। इसी तरह जब भी सुगन्धित इत्र बात होती है तो सबसे पहले कन्नौज का नाम आता है। कन्नौज की इसी ऐतिहासिक सुगंध को देश-दुनिया में फैलाने के लिए इसे ओडीओपी योजना से जोड़ा गया है। इसके अलावा अलीगढ़ का ताला, बनारस की सिल्क साड़ी, आगरा और कानपुर का चमड़ा उद्योग, अमरोहा का वाद्य यंत्र, आजमगढ़ में बनने वाली काली मिट्टी की कलाकृतियां और बरेली का जरी जरदोजी उत्पाद, रायबरेली और बस्ती की काष्ठ कला, भदोही और मिर्जापुर का कालीन, सुलतानपुर, अमेठी, प्रयागराज के मूंज व बाध उत्पाद, चित्रकूट गोरखपुर का टेराकोटा, लखीमपुर खीरी की जनजातीय शिल्प, लखनऊ की जरी जरदोजी, मेरठ में निर्मित खेल सामग्री और पीलीभीत की बांसुरी आदि को भी इस योजना में शामिल किया गया है।

प्रदेश के गांव गली मोहल्लों में तैयार होने वाले उत्पाद अब फैशन की दुनिया में भी चमकेंगे। योगी सरकार के ओडीओपी उत्पादों को देश के सबसे बड़े फैशन टेक्नोलॉजी संस्थान का साथ मिलने जा रहा है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी ओडीओपी उत्पादों का डिजाइन तैयार करेगा। इससे युवा रोजगार और आर्थिक आत्मनिर्भरता से जुड़ेंगे। ओडीओपी उत्पादों को बेहतरीन डिजाइन के जरिए फैशन की दुनिया का ब्रांड बनाने की तैयारी कर रही होगी सरकार की नजर अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों पर है। ओडीओपी के तहत संचालित हो रहे कपड़ा कपड़े, कार्पेट, लेदर इंडस्ट्री और इससे जुड़े अन्य उद्यमों के लिए निफ्ट खास तौर पर डिजाइन तैयार करेगा। रंग सामग्री और गुणवत्ता के आधार को भी ध्यान में रखकर उत्पादों के डिजाइन तैयार किए जाएंगे। मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता जैसे देश के बड़े बाजारों के साथ अमेरिका और यूरोप के बाजारों की मांग के मुताबिक उत्पादों को डिजाइन किया जाएगा। निफ्ट द्वारा तैयार किए गए डिजाइन को स्थानीय कारीगर मशीनों पर अपलोड करने के साथ ही भविष्य के लिए भी ट्रेस पेपर मुद्रित कर सकेंगे।

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