नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मचारियों की हड़ताल का मुद्दा मंगलवार को राज्यसभा में जमकर गूंजा। विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस ने सदन में इस मसले पर समाधान की दिशा में आगे बढ़ने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से बयान जारी करने की मांग की। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से बैंकों का कामकाज ठप पड़ गया है। ऐसे में व्यापारियों और दुकानदारों को साथ आम जनता भी खासी परेशान है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वो हड़ताली कर्मचारियों से बात करें और दो दिनों से लोगों को हो रही दिक्कतों का हल खोजें। कांग्रेस नेता ने कहा कि देशभर में करीब 12 राष्ट्रीयकृत बैंक हैं और इनकी एक लाख शाखाएं हैं। जिसमें लगभग 13 लाख लोग काम करते हैं और 75 करोड़ से ज्यादा खाताधारक हैं। ये खाताधारक भी बैंक के हितधारक हैं और उनके पूछे बगैर सरकार ने निजीकरण का फैसला कर लिया। इन हड़ताली कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि सरकार की गलत नीतियों और अंधाधुंध निजीकरण के चलते लोगों के लिए रोजी-रोटी पर संकट उत्पन्न हो गया है।
खड़गे ने कहा कि वर्ष 2008 में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर आए संकट के दौरान राष्ट्रीयकृत बैंकों ने ही देश की अर्थव्यवस्था संभाली थी। आज 13 लाख बैक कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ हड़ताल पर हैं। ऐसे में हमारी मांग है कि कर्मचारियों की समस्या को सुलझाने के लिए वित्त मंत्री को यहां बयान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े बैंक गरीबों और छोटे व्यापारियों की मदद करते हैं उन बैंकों को अमीरों के हाथ में देने की सरकार की मंशा ठीक नहीं है। उल्लेखनीय है कि नौ यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने 15 और 16 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया है। नौ बैंक यूनियनें हैं- एआईबीईए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ।