अमेरिकी सीनेट में विदेश संबंधों वाली कमेटी के अध्यक्ष बॉब मनेंडेज ने राष्ट्रपति जो बाइडन से अफगानिस्तान से अपनी सेना की पूरी तरह से वापसी के फैसले पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया है। बॉब का कहना है कि उन्हें तालिबान की नीयत पर संदेह है। वो अपने कहे पर रहने वाला संगठन नहीं है। पिछले वर्ष अमेरिका ओर तालिबान के बीच में जो समझौता हुआ था उसके बाद भी तालिबान की तरफ से आतंकी हमले बादस्तूर जारी रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने राष्ट्रपति से इस बाबत एक बार फिर से विचार करने को कहा है।
आपको बता दें कि राष्ट्रपति जो बाइडन 1 मई तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी जवानों की वापसी की बात कह चुके है। उन्होंने ये बात तालिबान के साथ हुए अमेरिका के समझौते के मद्देनजर ही कही थी। बॉब ने कहा है कि तालिबान ने 2020 में हुई बैठक के दौरान जिस शांति की बात कही थी वो उस पर खरा नहीं उतरा है। उन्होंने कहा कि वो अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं। उन्होंने साफ किया है कि वो तालिबान की कही किसी बात का विश्वास नहीं करते हैं।
गौरतलब है कि अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते के बाद अमेरिका धीरे-धीरे अपने जवानों को अफगानिस्तान से वापस ले जाएगा और मई तक सभी जवानों की देश वापसी हो जाएगी। इस तरह से अफगानिस्तान की सेना को ही वहां की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठानी होगी। हालांकि अमेरिका की तरफ से करीब ढाई हजार जवानों को अफगानिस्तान में ही रखने की बात भी सामने आई है जो अफगानिस्तान की सेना को ट्रेनिंग देंगे और भविष्य के लिए उन्हें तैयार करेंगे। आपको बता दें कि अमेरिका और तालिबान के बीच फरवरी 2020 में समझौता हुआ था। हालांकि इस समझौते में अफगानिस्तान की सरकार को शामिल नहीं किया गया था। तालिबान का कहना था कि वो सरकार से इस समझौते के बाद ही बात करेगा।
आपको बता दें कि दो ही दिन पहले अमेरिका ने अफगानिस्तान में होने वाली शांति प्रक्रिया में भारत को शामिल करने की पहल की है। अमेरिका ने कहा है कि तालिबान से होने वाली आगामी बैठकों में भारत को शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि वो इस क्षेत्र का अहम देश है। भारत को अलग कर शांति प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। हालांकि अमेरिका के इस फैसले से पाकिस्तान सरीखे देशों में खलबली जरूर हुई है।