रायबरेली : बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के नाम पर ली गई जमीन की हेराफेरी में पूर्व केंद्रीय मंत्री शीला कौल के बेटे, क्रिकेट खिलाड़ी सहित कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज की गई है। सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में जमीन घोटाले का यह अलग तरह का मामला है जिसमें कांग्रेस के कई बड़े नेता भी शामिल बताए जा रहे हैं। दो दशक पहले हुए इस घोटाले में अब बड़े खुलासे होने की संभावना है। रायबरेली के एडीएम प्रेमप्रकाश उपाध्याय ने शनिवार को सोसायटी के अध्यक्ष,सचिव व अन्य पर धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर जमीन का फ्री-होल्ड कराने व सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज कराया है। हालांकि इस मामले की ईओडब्ल्यू द्वारा पहले ही जांच की जा रही है। अपर जिलाधिकारी प्रेमप्रकाश द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि कमला नेहरू सोसायटी के पक्ष में पट्टा न होने के बावजूद कूटरचित अभिलेखों का प्रयोग करके व मूल अभिलेख में हेराफेरी करके सोसायटी द्वारा धोखाधड़ी की गई।
साथ ही पट्टा के लिए निर्धारित नजराना भी नहीं जमा किया गया।इस पूरे मामले में तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों की भी भूमिका संदिग्ध है, जिसमें सभी कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर राजस्व विभाग ने सोसायटी के पक्ष को सही मानते हुए जमीन के फ्रीहोल्ड का आदेश कर दिया। दर्ज की गई एफआईआर में सोसायटी के अध्यक्ष, पदाधिकारियों सहित तत्कालीन एडीएम,रजिस्ट्रार, कानूनगो को भी कटघरे में खड़ा करते हुए पूरे मामले में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में दर्ज एफआईआर में कमला नेहरू सोसायटी के अध्यक्ष, तत्कालीन सचिव व क्रिकेट खिलाड़ी सुनील देव, पूर्व केंद्रीय मंत्री शीला कौल के बेटे विक्रम कौल, तत्कालीन एडीएम मदनपाल आर्य, तहसीलदार कृष्णपाल सिंह, सब रजिस्ट्रार घनश्याम, प्रशासनिक अधिकारी विंध्यवासिनी प्रसाद, कानूनगो प्रदीप श्रीवास्तव, लेखपाल प्रवीण मिश्र, लिपिक छेदीलाल के नाम हैं। अब दो दशक बाद ही सही इस मामले में बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।