हम खुशकिस्मत हैं कि देश में एक साथ दो टीके उपलब्ध हैं, इसका सबको लाभ उठाना चाहिए। टीकाकरण, मास्क व शारीरिक दूरी के नियम का यदि ठीक से पालन किया गया तो इस जंग में जल्द विजय हासिल करने में कामयाब रहेंगे। एक सप्ताह पहले देश भर में प्रतिदिन आने वाले मामले आठ हजार पर पहुंच गए थे। 20 फरवरी को यह आंकड़ा 14 हजार पर पहुंच गया। नए मामलों में अचानक आया यह उछाल चिंताजनक है। संक्रमण महाराष्ट्र व केरल में तो बढ़ा ही है।
दिल्ली एनसीआर के आसपास भी मामले बढ़ने लगे हैं। इसलिए कोरोना अभी गया नहीं है। जनवरी के पहले सप्ताह में हुए आखिरी सीरो सर्वे के अनुसार देश में अभी 70-75 फीसद लोगों को संक्रमण नहीं हुआ है। अर्थात बड़ी आबादी अभी संक्रमण से बची हुई है, जिन्हें संक्रमण हो सकता है। इस वजह से संक्रमण कभी भी दोबारा विकराल रूप ले सकता है। इसलिए जरा सी कोताही परिवार व समाज के लिए घातक साबित हो सकती है।
दूसरी बात यह कि टीका उपलब्ध होते हुए भी उसे लोगों ने नहीं लगवाया तो यह समझदारी भरा कदम नहीं होगा। एक दिन पहले तक देश में एक करोड़ 15 लाख लोगों को टीका लग चुका है। यदि टीके में सुरक्षा से संबंधित कोई भी खामी होती तो वह सामने आ चुकी होती। इसलिए यह सबका दायित्व है कि लोगों यह बताया जाए कि एक करोड़ से अधिक आबादी को टीका लगने के बावजूद सभी सुरक्षित हैं।
महाराष्ट्र में मामले बढ़ने के कारण वहां के कुछ शहरों में साप्ताहिक अवकाश के दिन लॉकडाउन भी किया गया है। इसलिए हालात अभी पूरी तरह सामान्य नहीं है। स्कूल, कॉलेज में शैक्षणिक गतिविधियों को सामान्य करने के लिए धीरे-धीरे ही कदम बढ़ाना होगा। हम समझने लगे हैं कि हालत बिल्कुल ठीक हो चुकी है। शादी समारोहों में भी भीड़ होने लगी है। ऐसी भीड़ में कोरोना के संक्रमण का विस्फोट होने की बहुत आशंका रहती है। वायरस से संबंधित बीमारियां लहरों में आती हैं। इसलिए संक्रमण कभी कम तो कभी बढ़ जाता है।
मौसम से इस वायरस पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। शुरुआत में केरल मॉडल की बात हो रही थी अब वहीं मामले अधिक आ रहे हैं। इसका मतलब है कि देश अभी खतरे से उबरा नहीं है। ब्रिटेन स्ट्रेन के बाद दक्षिण अफ्रीका के स्ट्रेन के रूप एक बड़ा खतरा भी सामने है। इसलिए यह बहुत ही ज्यादती होगी यदि हमने मास्क पहने, शारीरिक दूरी व हाथों को स्वच्छ रखने के नियमों का पालन करने में लापरवाही की।
समारोह में अभी कम संख्या में लोग शामिल हों तभी बेहतर होगा। इसलिए अपने व्यवहार को कोरोना के अनुकूल बनाकर रखना जरूरी है। यदि कोरोना का टीका लगा रहेगा तो नए स्ट्रेन का बहुत कम असर होगा। इसलिए वैज्ञानिकों और नियामक एजेंसियों पर विश्वास करें और टीका जरूर लगवाएं।