दरअसल, पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के उस कानून को रद्द कर दिया जिसके तहत प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला देने का प्रावधान किया गया था। इस समय एनडी तिवारी से लेकर अखिलेश यादव तक छह पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगले पर काबिज हैं।
खास बात है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी बंगले लंबे-चौड़े क्षेत्रफल और शहर के सबसे पॉश इलाके में हैं। इनका रखरखाव सरकार करती है। राज्य संपत्ति विभाग इसके लिए सालाना बजट आवंटित करता है। ये सभी बंगले मामूली किराये पर आवंटित है। इनमें हर साल लाखों रुपये मरम्मत पर खर्च किए जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सात मई को राज्य सरकार द्वारा बनाए गए उप्र. मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण) (संशोधन) अधिनियम को अवैध बताते हुए खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने लोकप्रहरी संस्था की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फैसला दिया था।