देश के कुछ राज्यों में कोरोना वायरस का नया स्वरूप ज्यादा फैल रहा है। इनमें से एन440के नामक स्वरूप का दक्षिण भारत में प्रसार हो रहा है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के कोशिका एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) के विज्ञानियों के अध्ययन में यह बात समाने आई है। विज्ञानियों का कहना है कि हालात पर नजदीकी निगरानी रखने की आवश्यकता है।
विज्ञानियों का कहना है कि कोरोना वायरस में हो रहे बदलाव के चलते कई देशों में चिंताजनक हालात पैदा हो गए हैं, लेकिन भारत में इनका प्रभाव ज्यादा नजर नहीं आ रहा। इसका यह भी कारण हो सकता है कि भारत में उनकी ज्यादा सिक्वेंसिंग नहीं की गई है। सीसीएमबी के निदेशक राकेश मिश्र ने कहा कि अध्ययन में पाया गया है कि वायरस का नया वैरिएंट एन440के दक्षिण भारत के राज्यों में ज्यादा फैल रहा है। इसके प्रसार को समझने के लिए इस पर नजदीकी नजर रखने की जरूरत है।
देशी कोरोना वैक्सीन वायरस के नए स्वरूप के खिलाफ भी कारगर
वहीं, तिरुअनंतपुरम में एक इंटरनेशनल वेबिनार में आइसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि देश में चल रहे क्लीनिकल ट्रायल में यह संकेत मिले हैं कि देशी कोरोना वैक्सीन ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में पाए गए वायरस के नए स्वरूप के खिलाफ भी कारगर होंगी। उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन ब्रिटेन में मिले वायरस के नए स्वरूप को निष्कि्रय करने में सक्षम पाई गई है।
एक करोड़ नौ लाख से ज्यादा मामले
दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के वैरिएंट के मामले में इन देशों से आए लोगों के सैंपल से वायरस के बदले स्ट्रेन को अलग करने का प्रयास चल रहा है। बता दें कि देश में अब तक कुल एक करोड़ नौ लाख 63 हजार से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ गए हैं। इनमें से एक करोड़ छह लाख 67 हजार मरीज पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं और एक लाख 56 हजार 111 लोगों की मौत हो चुकी है। एक्टिव केस 1,39,542 हो गए हैं।