टूलकिट मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, इस मामले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। जांच के दौरान आईएसआई से जुड़े भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी और पीटर फ्रेडरिक के नाम भी सामने आए। जांच के दौरान पुलिस को टूलकिट लिस्ट में इन दोनों के नाम मिले हैं। कहीं ऐसा तो नहीं इस पूरी मुहीम के लिए आईएसआई की ओर से फंडिंग भी हुई, इन सबकी पड़ताल की जा रही है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि निकिता और शांतनु की गिरफ्तारी के बाद ही इसका खुलासा हो पाएगा। दरअस्ल टूलकिट में कब क्या होना, आगे इस पर कैसे काम करना और किस-किसको भेजना है, इस पर 11 जनवरी को जूम पर ही मीटिंग में तय किया था। इसमें एमओ धालीवाल, दिशा, निकिता, शांतनु के अलावा कुल 70 लोग शामिल थे। इसकी पड़ताल की जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जूम से उस मीटिंग में शामिल हुए लोगों की जानकारी भी जुटाई जा रही है।
पुलिस के मुताबिक दिशा के पास से मिले डिजीटल सबूतों से पता चला है कि पुणे निवासी सोशल वर्कर और इंजीनियर शांतनु टूलकिट तैयार करवाई। निकिता और दिशा ने उसमें एडिटर की भूमिका अदा की। टूलकिट के जरिये तय किया गया कि आंदोलन में कब-कब क्या-क्या करना है। इसको किसको भेजना, इसमें एनजीओ, मीडिया हाउस व अन्य संस्थाएं शामिल हैं। इसके अलावा हैशटैग का इस्तेमाल कैसे करवाना है। चूंकि टूलकिट भेजने वालों की लिस्ट में भजन सिंह और पीटर फ्रेडरिक के नाम भी शामिल थे, इसलिए माना जा रहा है कि इस पूरे मामले से आईएसआई भी जुड़ी हुई है।
दिशा ने अपनी एक संस्था से जुड़ी स्वीडन की ग्रेटा थनबर्ग को भेजा। ग्रेटा ने गलती से टूलकिट को ट्वीटर पर शेयर कर दिया। ट्वीटर पर ट्रेंड होने के बाद पुलिस की इस पर नजर पड़ी।
हालांकि मामला बिगड़ते देख दिशा ने इससे सबूत मिटना शुरू कर दिए। उसने ग्रेटा से ट्वीट डिलीट करने के लिए कहा। ग्रेटा ने ऐसा कर भी दिया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। पुलिस के मुताबिक खुद दिशा ने गूगल से टूलकिट से जुड़े लिंक को हटाना शुरू कर दिया। लेकिन तब तक पुलिस के पास कई स्क्रीन शॉट आ चुके थे।
दूसरी ओर पुलिस ने जब दिशा को गिरफ्तार किया तो उसके फोन व दस्तावेजों से अहम सुराग हाथ लगे। हालांकि मोबाइल में दिशा ने काफी चीजों को डिलीट कर दिया, लेकिन पुलिस उनको दोबारा से प्राप्त करने का प्रयास कर रही है।