एक और साल गुजरा…नहीं बदली गोमती की तकदीर, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की र‍िपोर्ट चौंकाने वाली

यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के पूरे साल के आंकड़ों के आकलन के बाद आई बीते वर्ष की रिपोर्ट जिम्मेदार महकमों को आईना दिखाने वाली है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा गोमती की सेहत पर नजर रखने के लिए 11 स्थलों पर जल गुणवत्ता की नापजोख की जाती है। बीते कई वर्षों की तरह वर्ष 2020 में भी गोमती को प्रदूषण से राहत नहीं मिल सकी।

यूपीपीसीबी ने बीते वर्ष जनवरी से लेकर दिसंबर के बीच इन अनुश्रवण स्थलों पर बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) एवं टोटल कॉलीफॉर्म जीवाणु व मलजनित जीवाणुओं की नापजोख की। रिपोर्ट के अनुसार, इन स्थानों पर गोमती खराब से अत्यंत खराब ‘सी’ से ‘ई’ कैटेगरी में पाई गई। राजधानी के लिए ङ्क्षचता की बात यह है कि गऊघाट वाटर इनटेक पर बीओडी जहां तय सीमा से अधिक 3.2 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया। वहीं, टोटल कॉलीफॉर्म औसत 6945, मलजनित जीवाणुओं की औसत संख्या 4564 रिकार्ड की गई। बोर्ड द्वारा गऊघाट पर जल गुणवत्ता को ‘डी’ श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है जो जलापूर्ति के लिहाज से बेहद खराब है।

इन स्थलों पर होती है मानीटर‍िंंग

जिन 11 स्थलों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मानीटङ्क्षरग की जाती है। उनमें दधनामऊ घाट सीतापुर, लखनऊ का मांझी घाट, गऊघाट, कुडिय़ाघाट, डाउन स्ट्रीम मोहन मीङ्क्षकस, निशातगंज ब्रिज, अपस्ट्रीम बैराज, डाउन स्ट्रीम पिपराघाट व भरवारा शामिल हैं। इसके अलावा डाउन स्ट्रीम जौनपुर तथा गंगा से मिलने के पूर्व वाराणसी का रजवारी स्थल पर अनुश्रवण किया जाता है।

यहां सबसे खराब स्थिति

राजधानी में डाउनस्ट्रीम मोहन मीकि‍ंंस, निशातगंज ब्रिज, अपस्ट्रीम बैराज, डाउन स्ट्रीम पिपराघाट, भरवारा पर अत्यंत खराब स्थिति मिली है, जहां जल गुणवत्ता ई-श्रेणी में पाई गई है। इन स्थानों पर बीओडी न्यूनतम 8.5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिकतम 13.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पाई गई है। वहीं, मल जनित जीवाणु यानी फीकल कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया 70,000 से 22,0000 की रेंज में पाए गए हैं। जिन स्थानों पर जल गुणवत्ता डी श्रेणी काफी खराब पाई गई है। उनमें गऊघाट, कुडिय़ाघाट तथा जौनपुर के डाउनस्ट्रीम वाला रजवारी स्थल शामिल है। वहीं, सीतापुर के दधनामऊ घाट तथा लखनऊ के मांझी घाट पर जल गुणवत्ता सी श्रेणी अर्थात असंतोषजनक पाई गई है।

जल गुणवत्ता के लिए तय मानक

  • श्रेणी ए- विसंक्रमित करने के बाद पीने योग्य
  • श्रेणी बी- नहाने योग्य नदी जल
  • श्रेणी सी- पारंपरिक उपचार व विसंक्रमण के बाद पीने योग्य
  • श्रेणी डी-वन्यजीवों व मछलियों के योग्य
  • श्रेणी ई- सि‍ंचाई व उद्योगों के उपयोग लायक

गोमती का उद्गम-गोमेद ताल माधोटांडा, पीलीभीत। नदी की लंबाई- 941 किलोमीटर, 14 जिलों से होकर बहती है। लखनऊ में ही 37 नाले गोमती में गिरते हैं। 

 

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