रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के एलएसी पर सेनाओं के पीछे हटाने को लेकर हुए समझौते की जानकारी देने के बीच रूसी समाचार एजेंसी ने एक बड़ा खुलासा किया है। पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में पिछले साल 15 जून को खूनी झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। वहीं रूसी समाचार एजेंसी तास ( TASS) ने दावा किया है कि अब गलवान घाटी की हिंसा में 45 चीनी सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन अभी तक आधिकारिक तौर पर अपने सैनिकों के मारे जाने की बात को स्वीकार नहीं किया है।
रूसी समाचार एजेंसी तास ने यह दावा ऐसे समय में किया है, जब दोनों भारत और चीन अपनी सेनाओं को पैंगोंग झील से हटाने पर सहमत हो गए हैं।
पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद से तनाव जारी है। तनाव को देखते हुए दोनों ही देशों ने करीब 50-50 हजार सैनिकों को तैनात कर रखा है। इससे पहले चीन ने भारत के साथ बैठक में बताया था कि गलवान घाटी संघर्ष में उसके पांच सैनिक मारे गए थे। इसमें चीनी सेना का एक कमांडिंग ऑफिसर भी शामिल था। चीन भले ही अभी पांच सैनिकों के ही मारे जाने की बात रहा हो, लेकिन अमेरिकी और भारतीय खुफिया एजेंसियों का अनुमान है कि कम से कम 40 चीनी सैनिक इस हिंसा मारे गए थे।
रूसी समाचार एजेंसी का खुलासे से पुष्टि होती है कि इस समय पूर्वी लद्दाख के देपसांग, पैंगोंग झील के नॉर्थ और साउथ बैंक, पेट्रोलिंग प्वाइंट 17A, रेजांग ला और रेचिन ला में दोनों ही सेनाएं आमने-सामने हैं। गलवान हिंसा से सबक लेते भारत ने चीन को साफ कह दिया है कि हमारे सैनिक खुद की सुरक्षा और पूर्वी लद्दाख में अपनी सीमा की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। भारत ने बिल्कुल स्पष्ट भाषा में चीन से कहा कि अगर क्षेत्र में हालात नियंत्रण से बाहर हुए तो हमारे सैनिक गोलियां चलाने से भी तनिक भी नहीं हिचकेंगे।
तास ने ही सबसे पहले भारतीय और चीनी सैनिकों की पैंगोंग त्सो झील के पास से वापसी की बात कही थी। दोनों देश के बीच हुए समझौते के मुताबिक, सैनिक धीरे-धीरे पीछे हट रहे हैं। बाद में सैनिकों की वापसी की खबर की पुष्टि चीनी रक्षा मंत्रालय ने भी की थी। चीनी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति बनी थी।