मोदी सरकार में तंत्र से अधिक गण का महत्व, बढ़ाई नागरिक सम्मानों की प्रतिष्ठा

मोदी सरकार में गण, तंत्र से ऊपर हुआ है, जबकि कांग्रेस काल में तंत्र हमेशा गण पर हावी रहा था। ये बातें राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर परिचर्चा में भाग लेते हुए राज्यसभा के सदस्य राकेश सिन्हा ने कहीं। अब यह विमर्श का नया मुद्दा बन गया है। दरअसल देश की आजादी के बाद उपाधियों (टाइटल) के अंत का प्रविधान संविधान में किया गया। संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद-18 के तहत उपाधियों का अंत किया गया, ताकि देश के नागरिकों के बीच समानता की बात हो सके। रायबहादुर और खानबहादुर जैसी उपाधियों से समाज में कुछ खास व्यक्तियों का प्रभाव सामान्य जन के ऊपर स्वत: स्थापित हो जाता जो असमानता को बढ़ाने वाला था।

भारत सरकार ने 1954 में उपाधियों की जगह देश हित, लोकहित, समाज हित और सर्वहित में कार्य करने वाले नागरिकों को सम्मानित करने के उद्देश्य से नागरिक पुरस्कार और पद्म पुरस्कारों को शुरू किया। ऐसा आरोप लगता है कि कांग्रेस काल में इन पुरस्कारों को निजी हित साधने और लोगों को उपकृत करने के लिए खास लोगों को ही दिया जाता रहा। समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण में लगे सामान्य गण तक ये पुरस्कार नहीं पहुंच सके। नागरिक पुरस्कारों की बंदरबांट से दुखी होकर दिग्गज कांग्रेस नेता जेबी कृपलानी ने 1969 में इन पुरस्कारों के समापन का बिल संसद में पेश किया था। यह बिल संसद में पारित न हो सका, किंतु इन पुरस्कारों के खास लोगों तक सीमित रहने की सच्चाई जनता के सामने आ गई।

अच्छी बात यही है कि हाल के वर्षो में इन पुरस्कारों की पहुंच राष्ट्र निर्माण में लगे जन सामान्य तक पहुंची है। केरल की लक्ष्मी देवी, मणिपुर की राधे देवी और तमिलनाडु की अप्पामल देवी को मोदी सरकार द्वार पद्म पुरस्कार दिया जाना तंत्र के ऊपर गण के होने के प्रमाण हैं। देश की आधी आबादी के कार्यो की पहचान और इसके बाद उन्हें नागरिक सम्मान देना लोकतंत्र की मजबूती की दिशा में एक सशक्त प्रयास है। उससे भी बड़ी बात यह है कि महिलाओं में भी हाशिये पर पड़ी आधी आबादी जो देश की सेवा, समाज के निर्माण और जनसरोकार में खुद को बिना किसी आकांक्षा के व्यस्त हैं, उन्हें नागरिक सम्मान से सम्मानित करने के मोदी सरकार के फैसले जनसरोकार को बढ़ाने वाले हैं। इससे तंत्र में गण की भूमिका न केवल बढ़ रही है, बल्कि तंत्र के ऊपर गण स्थापित होता दिख रहा है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com