सीएम त्रिवेन्द्र ने ली हादसे की जानकारी, सचिव और चमोली के डीएम से की बात
गोपेश्वर। उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत तिब्बत सीमा क्षेत्रान्तर्गत रैनी गांव का ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही की सूचना है। जानकारी मिली है कि इससे धौली गंगा के जलस्तर में भारी बढ़ोतरी हुई है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों के बह जाने की आशंका है। हादसे में चमोली-ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान होने की बात सामने आई है। तपोवन बैराज पूरी तरह ध्वस्त होने की सूचना मिल रही है। नदी के किनारे बसे तमाम इलाकों में अलर्ट जारी कर मुनादी करायी जा रही है। ताजा समाचार मिलने तक कर्णप्रयाग में बाजार खाली कराए जा रहे हैं। जिला प्रशासन व एनडीआरएफ के अधिकारी व कर्मचारी इलाके में बचाव के लिए पहुंच गए हैं। राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपदा प्रबंधन सचिव और चमोली के जिलाधिकारी से घटना की जानकारी लेकर जरूरी निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा है कि चमोली ज़िले से एक आपदा का समाचार मिला है। ज़िला प्रशासन, पुलिस विभाग और आपदा प्रबंधन को इस आपदा से निपटने की आदेश दे दिए हैं। किसी भी प्रकार की अफ़वाहों पर ध्यान ना दें। सरकार सभी ज़रूरी कदम उठा रही है।
एसडीआरएफ सतर्क, लोगों को गंगा के किनारे नहीं जाने की सलाह
एनडीआरएफ के जोशीमठ पोस्ट के हेड कांस्टेबल मंगल सिंह ने बताया कि 10ः55 बजे जोशीमठ थाना द्वारा रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने की सूचना दी गयी, जिसके बाद तत्काल टीम को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया। इस दुर्घटना में 300 से अधिक लोगों के धौली गंगा में बह जाने का अनुमान है लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। इससे चमोली-ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान पहुंचा है। पूरे इलाके में इससे अफरातफरी की स्थिति देखी जा रही है। इस ताजा घटनाक्रम के बाद प्रशासन ने जिले भर में नदी तट पर बसे तमाम गांवों और शहरों को अलर्ट जारी कर दिया है। चमोली, रुद्रप्रयाग, ऋषिकेश और हरिद्वार तक नदी के तटवर्ती इलाकों में बसे लोगों को अलर्ट किया गया है। गंगा नदी में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। गंगा के तटवर्ती इलाके को खाली कराया जा रहा है। धौली गंगा और अलकनंदा के किनारे बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया है। लोगों को गंगा के किनारे नहीं जाने की सलाह दी गई है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए एसडीआरएफ को अलर्ट पर रखा गया है।