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युवक ने सरे बाजार छात्रा को मारा चाकू, लोग वीडियो बनाते रहे; इलाज के अभाव में हो गई मौत

दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां पर एक सिरफिरे आशिक ने छात्रा को सरेबाजार चाकू मार दिया, लेकिन वहां मौजूद भीड़ बुरी तरह घायल छात्रा को इलाज के लिए ले जाने के बजाय वीडियो बनाती रही। कुछ देर बाद पहुंची पुलिस ने छात्रा को नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी मौत हो गई। पूरा मामला कासना कोतवाली क्षेत्र का है। शुक्रवार शाम को छेड़छाड़ का विरोध करने पर एक सिरफिरे आशिक ने 20 वर्षीय छात्रा पर चाकू से हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया। 25 वर्षीय आरोपी ने छात्रा पर कई वार किए। लड़की चाकू लगते ही चीखने लगी और मदद की गुहार लगाई, लेकिन आरोपित के हाथ में चाकू देखकर किसी ने उसे बचाने की हिम्मत न दिखाई। लोगों की भीड़ देख सिरफिरे युवक ने खुद को भी मारा चाकू सरेबाजार छात्रा को चाकू मारने की घटना के बाद भीड़ से अपने को लोगों से घिरा देखकर आरोपित ने खुद को भी चाकू मार लिया। हादसे के बाद किसी ने भी छात्रा को अस्पताल नहीं पहुंचाने की जहमत उठाई वह काफी देर तक घटनास्थल पर दर्द से तड़पती रही। सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों को कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज में अस्पताल में छात्रा ने दम तोड़ दिया। छात्रा की मौत से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। छात्रा ने दिखाई हिम्मत तो छेड़छाड़ करने वाला शिक्षक पहुंचा जेल यह भी पढ़ें छात्रा तड़पती रही और लोग वीडियो बनाते रहे दिल्ली से सटे गुरुग्राम में विदेशी युवती से 6 जून की रात में सामूहिक दुष्कर्म यह भी पढ़ें घटना के बाद करीब बीस मिनट तक लड़की घटनास्थल पर दर्द से तड़पती रही। घायल युवक भी वहां पड़ा रहा। मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। लोग वीडियो बनाते रहे। एक-दूसरे से एंबुलेंस लाने की बातें करते रहे, लेकिन किसी ने उसकी मदद करना मुनासिब नहीं समझा। पुलिस के आने के बाद भी लड़की काफी देर तक वहीं पड़ी तड़पती रही। पुलिसकर्मी एंबुलेंस आने का इंतजार करते रहे। वहीं मौके पर जमा भीड़ वीडियो बनाने में व्यस्त रही। छात्रा बीए की पढ़ाई करने के साथ जूस की दुकान में करती थी काम बाल यौन शोषण अब बसः घर में अपना ही लूट रहा था 9वीं की छात्रा की अस्मत, यूं सच आया सामने यह भी पढ़ें मूलरूप से दादरी की रहने वाली लड़की जगतफार्म के एके प्लाजा की एक दुकान में काम करती थी। वह दादरी के मिहिर भोज कॉलेज से बीए की पढ़ाई भी कर रही थी। जानकारी के अनुसार दादरी का ही रहने वाला सिरफिरा आशिक कुलदीप लंबे समय से उसका पीछा कर रहा था। नहीं पता चल पाया सिरफिरे युवक के हमले का मकसद बच्ची से दुष्कर्म में युवक को 14 साल कैद की सजा यह भी पढ़ें शुक्रवार को दोपहर करीब बारह बजे लड़का बाजार में चाकू लेकर पहुंच गया। बाजार में एक जगह सीढ़ी पर बैठकर वह लड़की का इंतजार करने लगा। लड़की के आने पर कुछ देर तक पहले उसने बात की। बाद में चाकू निकालकर ताबड़तोड़ वार कर दिए। सामने आए सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही पुलिस पुलिस ने मौके से चाकू बरामद कर लिया। बाजार में घटनास्थल के पास सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। पुलिस सीसीटीवी फुटेज की भी जांच कर रही है। परिजन की तहरीर पर पुलिस ने हमलावर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पहले भी की थी पुलिस से शिकायत छात्रा की बहन ने बताया दादरी से आते समय आरोपी लड़का अक्सर पीछा करता था। छेड़छाड़ भी करता था। तंग आकर मामले की शिकायत पुलिस से की गई थी। पुलिस ने आरोपी पर कार्रवाई की बात कही थी। लेकिन कुछ नहीं किया। बाद में भी वह लड़का पीछा किया करता था। आरोपित के परिजन से भी की थी शिकायत मामले की जानकारी लड़की के परिजन को भी हुई थी। लड़की के परिवार वालों ने लड़के के घर जाकर शिकायत की थी। लड़के के परिवार वालों ने उसे समझाने का आश्वासन दिया था। बाद में कुछ दिनों तक लड़के ने पीछा करना छोड़ दिया था। बाद में वह दोबारा पीछा करने लगा था। चश्मे वाली लड़की के नाम से जानते थे दुकानदार घायल लड़की अक्सर आंख पर चश्मा लगाती थी। आस-पास के दुकानदार लड़की को चश्मे वाली लड़की के नाम से जानते थे। लेकिन घटना के बाद मदद करने के लिए आगे नहीं आए। शादी के लिए अरोपित जबरन बना रहा था दबाव घटना के बाद लड़की की मां बदहवास अवस्था में अस्पताल पहुंची। रो-रो कर उसका बुरा हाल हो गया। कहा लड़कियों का कहीं आना-जाना दुश्वार हो गया है। सुरक्षा के नाम पर पुलिस-प्रशासन लापरवाह बना हुआ है। उसने बताया लड़का दूसरी बिरादरी का है पर जबरदस्ती शादी के लिए दबाव बना रहा था।

दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां पर एक सिरफिरे आशिक ने छात्रा को सरेबाजार चाकू मार दिया, लेकिन वहां मौजूद भीड़ बुरी तरह घायल छात्रा को इलाज के लिए ले …

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हिंदू-मुस्लिम कपल के पासपोर्ट विवाद में कूदी BJP, कहा- अधिकारी दोषी मिले तो कार्रवाई हो

लखनऊ में एक दंपति को अलग-अलग धर्मों का होने के चलते पासपोर्ट न देने के मामले में नए तथ्य सामने आ रहे हैं. पहले ये कहा गया कि हिंदू-मुस्लिम कपल होने के चलते मोहम्मद अनस सिद्दीकी और तन्वी सेठ को पासपोर्ट अधिकारी ने धर्म के नाम पर अपमानित किया. हिंदू-मुस्लिम होने के चलते पासपोर्ट रिन्यूअल का उनका आवेदन खारिज कर दिया और पासपोर्ट को होल्ड पर डाल दिया. लेकिन अब जो तथ्य सामने आए हैं, उसके मुताबिक, पासपोर्ट अधिकारी ने तीन विसंगतियों के चलते आपत्ति जाहिर की थी. इधर बीजेपी भी इस विवाद में कूद गई है. बीजेपी ने कहा कि अगर पासपोर्ट अधिकारी दोषी है तो उस पर कार्रवाई हो. और अब ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि तन्वी सेठ के नाम और स्थायी पते को लेकर उठे विवाद के बाद एक बार फिर से पूरे मामले की जांच की जा सकती है. पासपोर्ट विवाद के तूल पकड़ने के बाद भले ही आनन-फानन में तन्वी सेठ का पासपोर्ट उन्हें दे दिया गया हो, लेकिन एक बार फिर पासपोर्ट का वेरिफिकेशन किया जा सकता है. खबर है कि अगर पासपोर्ट वेरिफिकेशन में गड़बड़ी पाई गई तो तन्वी सेठ का पासपोर्ट भी जब्त हो सकता है. हालांकि बाद में इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि न सिर्फ हिंदू-मुस्लिम कपल को पासपोर्ट जारी कर दिया गया, बल्कि उनके साथ कथित तौर पर बदसलूकी करने वाले पासपोर्ट अधिकारी का भी ट्रांसफर कर दिया गया. बाद में आरोपी पासपोर्ट अधिकारी ने भी कहा था, 'हमें धर्म से कोई मतलब नहीं, हमें तो पासपोर्ट के मैनुअल के मुताबिक फैसला लेना होता है, जिसमें आवेदक द्वारा दी गई जानकारी को कॉलम वाइज पुष्टि करनी होती है. उस फैसले के तहत निवेदक को अपना नाम स्पष्ट करना चाहिए था क्योंकि उस पर उनका पुराना नाम था.' दरअसल पासपोर्ट अधिकारी ने इन तीन विसंगतियों को लेकर आपत्ति जताई थी-: नोएडा में नौकरी, लखनऊ से वर्क फ्रॉम होम तन्वी सेठ के पते को लेकर पासपोर्ट ने आपत्ति जताई थी, क्योंकि तन्वी सेठ नोएडा की एक कंपनी में 12 साल से काम कर रही हैं, जबकि लखनऊ का निवासी दिखाने के लिए उन्होंने वर्क फ्रॉम होम की जानकारी दी थी. आरोपी पासपोर्ट अधिकारी ने इसी बात पर पहली आपत्ति जताई थी कि जब तन्वी नोएडा की रहने वाली हैं तो उन्हें गाजियाबाद से पासपोर्ट के लिए अप्लाई करना चाहिए. फिर नोएडा में नौकरी करते हुए कोई 12 साल तक भला कैसे लखनऊ से वर्क फ्रॉम होम के जरिए काम कर सकता है. नाम बदलने की जानकारी छिपाई गई पासपोर्ट अधिकारी ने जो दूसरी आपत्ति जताई, वह तन्वी सेठ के नाम बदलने को लेकर था. कपल ने एप्लिकेशन फॉर्म में इस बात का जिक्र ही नहीं किया कि तन्वी ने अपना नाम बदला है. पासपोर्ट अधिकारी के मुताबिक, एप्लिकेशन फॉर्म में एक कॉलम होता है, जिसमें नाम बदलने के बारे में सूचित करना होता है. लेकिन तन्वी सेठ ने इस कॉलम को छोड़ दिया. नया नाम न जोड़ने पर तीसरी आपत्ति पासपोर्ट अधिकारी ने बताया कि तन्वी सेठ ने पासपोर्ट आवेदन के साथ अपना जो निकाहनामा दिया था उसमें उनका बदला हुआ नाम सादिया हसन लिखा हुआ था. हालांकि वह सादिया की जगह तन्वी सेठ के नाम से ही पासपोर्ट इश्यू करवाना चाहती थीं. तन्वी सेठ अपने पुराने नाम से ही पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था और जब पासपोर्ट अधिकारी ने उनसे अपना नया नाम भी पासपोर्ट में जुड़वाने के लिए कहा तो उन्होंने इनकार कर दिया. दिए गए दस्तावेज मानकों पर पूरे नहीं जानकारी के मुताबिक, कपल ने जो दस्तावेज पासपोर्ट रिन्यूअल के लिए दिए, वे मानकों पर खरे नहीं उतर रहे थे. आवेदन में तन्वी ने अपनी हाईस्कूल की मार्कशीट और आधार कार्ड लगाया था. दोनों ही दस्तावेजों पर उनका नाम तन्वी सेठ दर्ज है. इसके अलावा उन्होंने एक प्राइवेट बैंक अकाउंट के पासबुक की फोटोकॉपी भी लगाई है. यह बैंक अकाउंट तन्वी सेठ और मोहम्मद अनस सिद्दीकी के संयुक्त नाम से है. हालांकि नियम है कि सिर्फ राष्ट्रीयकृत बैंक का पासबुक ही मान्य होता है. वहीं उन्होंने जो निकाहनामा लगाया है, उसमें तन्वी का बदला हुआ नाम सादिया दर्ज है. सद्भाव बिगाड़ने के आरोप में तन्वी-अनस को जेल भेजा जाए: BJP पासपोर्ट इश्यू करने और पासपोर्ट अधिकारी द्वारा बदसलूकी के इस मामले के हिंदू-मुस्लिम से जुड़ा होने के चलते अब BJP भी इस विवाद में कूद गई है. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने मामले की गहन जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि अगर पासपोर्ट अधिकारी दोषी है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन अगर अनस सिद्दीकी और तन्वी सेठ झूठ बोल रहे हैं तो इनके खिलाफ भी कड़ी कानूनी कार्रवाई हो और सद्भाव बिगाड़ने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए.

लखनऊ में एक दंपति को अलग-अलग धर्मों का होने के चलते पासपोर्ट न देने के मामले में नए तथ्य सामने आ रहे हैं. पहले ये कहा गया कि हिंदू-मुस्लिम कपल होने के चलते मोहम्मद अनस सिद्दीकी और तन्वी सेठ को …

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ओपेक रोजना 10 लाख बैरल बढ़ाएगा कच्चे तेल का उत्पादन, सस्ते होंगे पेट्रोल और डीजल

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक उत्पादन बढ़ाएगा। माना जा रहा है कि शुक्रवार को हुई बैठक में सऊदी अरब कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान को इस मामले में सहयोग के लिए राजी कर लिया है। बैठक से एक दिन पहले तक ईरान इसके लिए तैयार नहीं था। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालिद अल-फलीह ने कहा कि उत्पादकों ने भारी बहुमत से रोजाना 10 लाख बैरल उत्पादन बढ़ाने की सिफाशि की है। उन्होंने कहा, "हम आपूर्ति की किल्लत रोकना चाहते हैं। हम वैसे हालात नहीं चाहते, जैसा 2007-08 में देखा गया था।"ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाए जाने का सबसे बड़ा फायदा भारत जैसे बड़े तेल आयातक देशों को होगा क्योंकि आपूर्ति बढ़ने के कारण कीमतें घटेंगी। दरअसल अमेरिका, चीन और भारत ने ही ओपेक से उत्पादन बढ़ाने की अपील की थी, जिसके बाद उन्होंने इस मसले पर सहमति बनाने के लिए बैठक की। भारत, अमेरिका और चीन चाहते हैं कि कच्चे तेल के दाम कम हों और बाजार में आपूर्ति की दिक्कत न हो क्योंकि इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है। दिक्कत यह है कि ओपेक को उत्पादन बढ़ाने को लेकर किसी फैसले तक पहुंचने के लिए सभी सदस्य देशों की रजामंदी जरूरी है। अब तक ईरान इसके लिए तैयार नहीं था, लेकिन शुक्रवार को उसकी तरफ से नरम रुख के संकेत मिले। ओपेक की बैठक शुरू होने से पहले फलीह से मुलाकात के बाद ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजान नामदार जंगानेह ने कहा, "हम कुछ कर रहे हैं।"ईरान की अहमियत इसलिएईरान ओपेक का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। उत्पादन बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ने के मामले में यह अब तक सबसे बड़ा रोड़ा रहा है। चूंकि ईरान अमेरिका का कट्टर विरोधी रहा है, लिहाजा उसने ओपेक के अन्य देशों से अपील की थी कि उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से उत्पादन बढ़ाने के लिए बनाए जा रहे दबाव को खारिज कर देना चाहिए। ट्रंप से तल्खी की वजह असल में इसी साल मई में ट्रंप ने ईरान पर नए प्रतिबंध लगा दिए थे। तेल बाजार पर नजर रखने वालों को संदेह था कि अमेरिका की तरफ से उठाए गए कदम के नतीजे में ईरान 2018 के अंत तक कच्चे तेल के उत्पादन में करीब एक तिहाई कटौती करेगा। ईरान की तकलीफ यह है कि उसे लगता है कि उत्पादन बढ़ाने से उसे बहुत कम फायदा होगा, जबकि सबसे बड़े निर्यातक सऊदी अरब सबसे ज्यादा फायदे में रहेगा। एक समय लगा कि नहीं बन पाएगी बात इससे पहले ईरान के पेट्रोलियम मंत्री ओपेक की बैठक छोड़कर बाहर चले गए थे क्योंकि सऊदी अरब कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहा था। इस वजह से ईरान के साथ उसकी तनातनी बढ़ गई थी। ओपेक बैठक की पूर्व संध्या पर मंत्रियों के समूह ने तेल उत्पादन बढ़ाने को लेकर चर्चा की थी। इसके बाद ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजान नामदार जंगानेह ने संवाददाताओं से कहा, "मुझे नहीं लगता है कि हम किसी समझौते तक पहुंच सकते हैं।"इस वार्ता को ओपेक बैठक की तैयारी के रूप में देखा जा रहा था। 14 सदस्यों वाले इस संगठन के ज्यादातर देश कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाना चाहते हैं। जनवरी, 2017 से ही ओपेक देशों में उत्पादन कटौती जारी है, लेकिन अब सऊदी अरब ने कच्चे तेल की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए उत्पादन बढ़ाने की वकालत की है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक उत्पादन बढ़ाएगा। माना जा रहा है कि शुक्रवार को हुई बैठक में सऊदी अरब कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान को इस मामले में सहयोग के लिए राजी कर लिया है। बैठक से एक दिन पहले तक …

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बारिश में प्रियंका की मस्ती का वीडियो ‘बॉयफ्रेंड’ निक ने किया शेयर

बारिश में प्रियंका की मस्ती का वीडियो 'बॉयफ्रेंड' निक ने किया शेयर

प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस के डेटिंग की खबरों से चर्चाओं का बाजार गर्म है. वे शुक्रवार को एक-दूजे का हाथ थामे नजर आए. प्रियंका ने डिनर पर अपनी मां की निक से मुलाकात कराई. सोशल मीडिया पर निक ने …

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बेल्जियम के उप प्रधानमंत्री और की समकक्ष से मिलीं सुषमा, सफल रहा दौरा

बेल्जियम के उप प्रधानमंत्री और की समकक्ष से मिलीं सुषमा, सफल रहा दौरा

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यहां बेल्जियम के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री डिडीयर रेंडर्स से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा की और क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान किया. सुषमा …

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चुनाव लड़ने पर रोक के बाद मुशर्रफ ने एपीएमएल प्रमुख पद से दिया इस्तीफा

पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक और तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एपीएमएल) के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट ने उन पर 25 जुलाई को प्रस्तावित आम चुनाव लड़ने पर रोक लगाने के बाद इस्तीफा दिया. मुशर्रफ (74) ने पाकिस्तान के चुनाव आयोग को एपीएमएल के प्रमुख के रूप में इस्तीफा भेजा. मुशर्रफ ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने दुबई में रहने के दौरान पूर्व पीएम कोर्ट के सामने पेश नहीं हो पाए थे. जिसके कारण मुशर्रफ को नामांकन पत्र सौंपने की अनुमति की अंतरिम राहत वापस ले ली. चीफ जस्टिस से कई बार आश्वासन मिलने के बाद भी मुशर्रफ कोर्ट के सामने पेश नहीं हुए थे. जिसके कारण उनका नामांकन रद्द कर दिया गया था. पार्टी के महासचिव रहे मुहम्मद अमजद को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है. अब वह पार्टी मामलों के प्रभारी होंगे और 25 जुलाई को प्रस्तावित आम चुनावों में एपीएमएल की भूमिका पर फैसला करेंगे. अमजद ने कहा, "मुशर्रफ ने पेशावर हाई कोर्ट के साल 2013 में उस फैसले के कारण 18 जून को एपीएमएल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है जिसमें उन्हें आजीवन राजनीति से अयोग्य ठहराया गया था."

पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक और तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एपीएमएल) के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट ने उन पर 25 जुलाई को प्रस्तावित आम चुनाव लड़ने पर रोक लगाने के …

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दक्षिण कोरिया: पूर्व PM और खुफिया एजेंसी के संस्थापक किम का निधन

दक्षिण कोरिया के पूर्व प्रधानमंत्री और खुफिया एजेंसी के संस्थापक किम जोंग-पिल का निधन हो गया. वो 92 साल के थे. वो दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे हैं. अस्पताल के अधिकारी ली मी-जोंग ने बताया कि सोल के ‘सोनचूयांग यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल’ लाने पर पिल को मृत घोषित कर दिया गया. उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री वृद्धावस्था से जुड़ी स्वास्थ समस्याओं से ग्रसित थे. रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल पिल साल 1961 में हुए तख्तापलट का अभिन्न हिस्सा थे, जिससे मेजर जनरल पार्क चुंग-ही सत्ता में आए थे. पार्क के सत्ता में आने के बाद ही किम जोंग-पिल ने ‘कोरियन सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी’ का गठन किया था. View image on Twitter View image on Twitter ANI ✔ @ANI Former South Korean Prime Minister Kim Jong-pil has died at age 92: The Associated Press (file pic) 6:47 AM - Jun 23, 2018 36 See ANI's other Tweets Twitter Ads info and privacy आपको बता दें कि किम खुफिया एजेंसी का इस्तेमाल अपने राजनीतिक विरोधियों को कुचलने में किया करते थे.

दक्षिण कोरिया के पूर्व प्रधानमंत्री और खुफिया एजेंसी के संस्थापक किम जोंग-पिल का निधन हो गया. वो 92 साल के थे. वो दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे हैं. अस्पताल के अधिकारी ली मी-जोंग ने बताया कि सोल के ‘सोनचूयांग यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल’ …

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PAK में आतंकियों का ऑफिस: हाफिज सईद ने चुनावी दफ्तर का किया उद्घाटन

मुंबई में आतंकी हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद भले ही दुनिया के लिए खूंखार आतंकी हो, लेकिन पाकिस्तान में उसके रसूख में कोई कमी नहीं है और आतंकी गतिविधियों की बदौलत अपनी छवि का फायदा वह वहां हो रहे आम चुनाव में उठाने की फिराक में है. पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव होने हैं और चुनाव में वहां की राजनीतिक पार्टियां हिस्सा तो ले रही हैं तो वहीं हाफीज सईद जैसा कुख्यात आतंकी भी चुनाव में बड़ी हिस्सेदारी कर संसद में अपनी पहुंच बनाने की फिराक में है. सईद का बेटा हाफिज तल्हा सईद और दामाद हाफिद खालिद वालीद चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. 265 उम्मीदवारों को समर्थन हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) के समर्थन से कई 265 उम्मीदवार चुनावी ताल ठोक रहे हैं, जिसमें उसका बेटा और दामाद भी शामिल है. यह तब है जब अमेरिका ने उसकी आतंकी गतिविधियों के कारण उसे पकड़ने के लिए 10 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है. लेकिन इन सबसे बेफिकर हाफिज सईद चुनावी गतिविधियों में शामिल है. उसने अपने प्रशंसकों के साथ इस्लामाबाद में संसदीय क्षेत्र एनए 53 (नेशनल असेंबली 53) में जमात उद दावा (जेयूडी) समर्थित उम्मीदवार के चुनावी दफ्तर का उद्घाटन किया. इस दौरान हाफिज के साथ अब्दुल रहमान मक्की भी साथ था जो जेयूडी में सेकेंड कमांड है और खुद एक खूंखार आतंकी भी है. https://smedia2.intoday.in/aajtak/images/062018/hafiz-saeed-11_062218050056.jpg साथ ही इस कुख्यात आतंकी का बेट तल्हा सईद एन 91 सरगोधा सीट से चुनाव लड़ रहा है और अब पिता-पुत्र दोनों का बकायदा एक साथ चुनावी पोस्टर भी वहां की सड़कों पर दिखाई दे रहा है. हाफिज अपने बेटे तल्हा के लिए चुनाव प्रचार कर रहा है. चुनावी पोस्टर में हाफिज सईद अपने बेटे के साथ 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों में हाफिज सईद को मास्टर माइंड माना जाता है और उसने मिली मुस्लिम लीग (एमएमएल) पार्टी के जरिए पाकिस्तान की राजनीति में घुसने की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने गृह मंत्रालय की आपत्ति के बाद उसका रजिस्ट्रेशन करने से मना कर दिया. गृहनगर से बेटा मैदान में हाफिज सईद के आतंकी संगठन जेयूडी के समर्थन में कुल 265 उम्मीदवार मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिसमें 80 नेशनल असेंबली और 185 प्रांतीय असेंबली के उम्मीदवार शामिल हैं. इन उम्मीदवारों में उसका बेटा और दामाद भी शामिल हैं जिसका नामांकन चुनाव अधिकारी ने स्वीकार कर लिया है. आतंकी का बेटा तल्हा लाहौर से 200 किलोमीटर दूर सरगोधा के एन 91 सीट से चुनाव लड़ रहा है, जबकि दामाद खालिद वालिद लाहौर में एन 133 सीट से अपनी किस्मत आजमा रहा है. सरगोधा हाफिज सईद का गृह नगर है.

मुंबई में आतंकी हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद भले ही दुनिया के लिए खूंखार आतंकी हो, लेकिन पाकिस्तान में उसके रसूख में कोई कमी नहीं है और आतंकी गतिविधियों की बदौलत अपनी छवि का फायदा वह वहां हो रहे आम …

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ट्रंप को अब भी नहीं किम पर ऐतबार, उत्तर कोरिया पर 1 साल और जारी रहेगा प्रतिबंध

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग की मुलाकात के बाद भी दोनों देशों के बीच हालात सामान्य नजर नहीं आ रहे हैं. ट्रंप अभी भी किम जोंग पर ऐतबार नहीं कर पा रहे हैं, शायद यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के खिलाफ राष्ट्रीय आपात (नेशनल इमरजेंसी) की अवधि एक साल के लिए और बढ़ा दी है. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उत्तर कोरिया अब भी अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और अर्थव्यवस्था के लिए 'असामान्य और असाधारण' खतरा पेश करता है. ट्रंप की यह टिप्पणी तब आई है जब एक पखवाड़े से भी कम समय पहले उन्होंने सिंगापुर में किम जोंग उन के साथ ऐतिहासिक शिखर वार्ता की जिसमें उत्तर कोरियाई नेता परमाणु निरस्त्रीरकण के लिए राजी हुए. ट्रंप ने कहा कि जब तक परमाणु निरस्त्रीकरण पूरा नहीं होता तब तक वह अधिकतम दबाव बनाने का अभियान जारी रखेंगे और उत्तर कोरिया के खिलाफ कोई भी प्रतिबंध नहीं हटाएंगे. हालांकि, शिखर वार्ता से लौटने बाद ट्रंप ने वार्ता सफल रहने का दावा करते हुए ट्वीट किया था, 'उत्तर कोरिया से परमाणु संबंधी अब कोई खतरा नहीं है. आज रात आराम से सोए.' अब शुक्रवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने स्पष्ट किया कि क्यों प्रशासन उत्तर कोरिया पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लागू रखेगा. बता दें कि यह प्रतिबंध सबसे पहले पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने लगाए थे. ट्रंप ने कहा, 'कोरियाई प्रायद्वीप में हथियारों का प्रसार-प्रयोग, विस्फोटक सामग्री के मौजूद होने तथा उसके खतरे और उत्तर कोरियाई सरकार की नीति के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर अब भी असामान्य एवं असाधारण खतरा बना हुआ है.' उन्होंने कहा कि मैं उत्तर कोरिया के संबंध में एक वर्ष तक प्रतिबंध जारी रख रहा हूं.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग की मुलाकात के बाद भी दोनों देशों के बीच हालात सामान्य नजर नहीं आ रहे हैं. ट्रंप अभी भी किम जोंग पर ऐतबार नहीं कर पा रहे हैं, …

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शिवपाल ने फिर साधा निशाना, बड़ों की बात मानते तो 2017 में दोबारा CM बनते अखिलेश

समाजवादी पार्टी में नाराज चल रहे शिवपाल सिंह यादव ने अपने भतीजे पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा है. उन्होंने अखिलेश को सलाह देते हुए कहा कि अगर बुजुर्गों की बात मानी होती तो वह दोबारा सीएम बनते. शिवपाल ने कहा, अखिलेश और उनके चचेरे भाई सांसद धर्मेन्द्र यादव को उन्होंने गोद में खिलाया, परवरिश की, यहां तक कि उनकी शादी भी की, लेकिन युवा पीढ़ी अब किसी की नहीं सुनती है. उन्होंने कहा, 'अगर बड़ों की बात मानी गई होती तो आज प्रदेश में सपा की सरकार होती और अखिलेश मुख्यमंत्री होते और बिहार में भी सपा की सरकार बनी होती. इसलिए हमारी नीचे स्तर तक के पदाधिकारियों के लिए यही सलाह है कि आपस में सभी एकजुट रहें और लोगों को भी एकजुट करें.' शिवपाल ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे सपा के लिए एकजुट होकर काम करें. उन्होंने अखिलेश द्वारा महागठबंधन की कोशिशों के औचित्य से संबंधित सवाल पर कहा कि वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की सूझबूझ पर कोई सवाल नहीं उठाना चाहते. वह पार्टी के हित में सभी लोगों को एकजुट रखना चाहते हैं और वह हमेशा से सपा के लिए समर्पित हैं. इस सवाल पर कि क्या वह सपा में हाशिये पर पहुंच गए हैं, पूर्व मंत्री ने कहा कि अगर वह हाशिये पर होते तो उनके पीछे जनता नहीं होती. वह अब भी जब कहीं जाते हैं तो बड़ी संख्या में लोग उन्हें बिना बताए पहुंच जाते हैं. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव से विवाद होने के बाद शिवपाल यादव पार्टी में बहुत सक्रिय नहीं हैं. इस तनाव का नतीजा यह हुआ कि पार्टी को यूपी चुनावों में शिकस्त झेलनी पड़ी. अखिलेश के सपा अध्यक्ष बनने के बाद शिवपाल यादव पार्टी कार्यालय भी नहीं जाते हैं. हालांकि शिवपाल ने राज्यसभा चुनाव में पार्टी की उम्मीदवार जया बच्चन को वोट दिया और पूर्व सीएम अखिलेश की ओर से आयोजित इफ्तार पार्टी में भी शरीक हुए. कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवपाल को पार्टी में जल्द ही वरिष्ठ पद दिया जाने वाला है, लेकिन जिस तरह उन्होंने फिर से अखिलेश पर निशाना साधा है, उसे सकारात्मक तो नहीं कहा जा सकता है.

समाजवादी पार्टी में नाराज चल रहे शिवपाल सिंह यादव ने अपने भतीजे पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा है. उन्होंने अखिलेश को सलाह देते हुए कहा कि अगर बुजुर्गों की बात मानी होती तो वह दोबारा …

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