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लश्कर कमांडर सहित दो आतंकी हुए ढेर, जम्मू-कश्मीर के सोपोर में सेना का बड़ा ऑपरेशन 

जम्मू कश्मीर के बारामुला जिले के सोपोर में सेना ने एनकाउंटर के दौरान दो आतंकवादियों को ढेर किया है. मंगलवार देर रात से सोपोर जिले में सुरक्षाबलों और जम्मू कश्मीर पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में करीब 8 घंटे बाद आतंकियों को मार गिराया है. इलाके में सुरक्षाबलों और जम्मू कश्मीर पुलिस का संयुक्त अभियान अब भी जारी है.  जानकारी के मुताबिक, मंगलवार देर रात सेना को सोपोर के टुज्जर गांव में 2-3 आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी. आतंकियों की सूचना मिलने के बाद 22 राष्ट्रीय राइफल्स, जम्मू-कश्मीर स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों ने इलाके सर्च अभियान चलाया.  लश्कर के दो आतंकवादी ढेर देर रात गोलीबारी में सेना ने दो आतंकियों को मार गिराया है. मारे गए आतंकी लश्कर-ए-तैयबा संगठन से जुड़े हुए हैं. इसमें से एक नॉर्थ कश्मीर का लश्कर कमांडर अबू मार्ज और उसका साथी था. पुलिस को काफी लंबे समय से इनकी तलाश थी. बताया जा रहा है कि इन दोनों आतंकियों पर सोपोर में तीन स्थानीय नागरिकों की हत्या का आरोप है.

जम्मू कश्मीर के बारामुला जिले के सोपोर में सेना ने एनकाउंटर के दौरान दो आतंकवादियों को ढेर किया है. मंगलवार देर रात से सोपोर जिले में सुरक्षाबलों और जम्मू कश्मीर पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में करीब 8 घंटे बाद आतंकियों को मार …

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आज आ सकता है सुप्रीम कोर्ट की बेंच का फैसला प्रमोशन में आरक्षण के मामले पर चल रही सुनवायी

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का आज आधार और प्रमेाशन में आरक्षण मामले में फैसला आ सकता है। आधार मामले में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधानपीठ ने गत 10 मई को सभी पक्षों की बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रमोशन में आरक्षण मामले में यह तय होगा कि प्रमोशन में आरक्षण मामले में नागराज मामले में पुनर्विचार किया जाए या नहीं, यह तय किया जाएगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में कल ही कोर्ट की लाइव सुनवाई को लेकर भी फैसला आ सकता है।  सेवानिवृत जज पुत्तासामी और कई अन्य लोगों ने आधार कानून की वैधानिकता को चुनौती दी है। याचिकाओं में विशेषतौर पर आधार के लिए एकत्र किये जाने वाले बायोमेट्रिक डाटा से निजता के अधिकार का हनन होने की दलील दी गई है। आधार की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट मे निजता के अधिकार के मौलिक अधिकार होने का मुद्दा उठा था जिसके बाद कोर्ट ने आधार की सुनवाई बीच में रोक कर निजता के मौलिक अधिकार पर नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सुनवाई की और निजता को मौलिक अधिकार घोषित किया। इसके बाद पांच न्यायाधीशों ने आधार की वैधानिकता पर सुनवाई शुरू की थी। इस मामले की कुल साढ़े चार महीने में 38 दिनों तक सुनवाई हुई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई थी कि एकत्र किये जा रहे डाटा की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। ये भी आरोप लगाया गया है कि सरकार ने हर सुविधा और सर्विस से आधार को जोड़ दिया है जिसके कारण गरीब लोग आधार का डाटा मिलान न होने के कारण सुविधाओं का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं।  ये भी कहा गया था कि सरकार ने आधार बिल को मनी बिल के तौर पर पेश कर जल्दबाजी में पास करा लिया है। आधार को मनी बिल नहीं कहा जा सकता। उधर, दूसरी ओर केन्द्र सरकार, यूएआईडी, गुजरात और महाराष्ट्र सरकार सहित कई संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट में आधार कानून को सही ठहराते हुए याचिकाओं को खारिज करने की अपील की थी। सरकार की ओर से कहा गया था कि आधार कानून इसलिए लाया गया है ताकि सुविधाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंद तक पहुंचे। बीच में उसका लीकेज न हो। यह भी कहा था कि एकत्र किया गया डेटा सरकार के पास सुरक्षित है इसके अलावा डेटा सुरक्षित रखने के बारे में कानून बनाने पर विचार हो रहा है।  एम नागराज फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत पर सुनाएगा फैसला  एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण के लिए पिछड़ेपन और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाने की व्यवस्था देने वाले एम नागराज फैसले पर पुनर्विचार की मांग पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को अपना फैसला सुनाएगा।  सरकार और आरक्षण समर्थकों ने 2006 के एम नागराज के फैसले को पुनर्विचार के लिए सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजे जाने की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मांग पर सभी पक्षों की बहस सुनकर गत 30 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सरकार और आरक्षण समर्थकों का कहना है कि एम नागराज फैसले में दी गई व्यवस्था सही नहीं है। एससी एसटी अपने आप में पिछड़े माने जाते हैं। राष्ट्रपति द्वारा जारी सूची में शामिल होने के बाद उनके पिछड़ेपन के अलग से आंकड़े जुटाने की जरूरत नहीं है। जबकि आरक्षण विरोधियों ने एम नागराज फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि उस फैसले में पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दी गई व्यवस्था सही कानून है। फैसले के एक भाग पर नहीं बल्कि फैसला आने की पूरी परिस्थितियों पर विचार होना चाहिए। उनका कहना था कि आरक्षण हमेशा के लिए नहीं है ऐसे में पिछड़ेपन के आंकड़े जुटाए बगैर यह कैसे पता चलेगा कि सरकारी नौकरियों में एससी एसटी का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है और इसलिए इन्हें प्रोन्नति में आरक्षण देने की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का आज आधार और प्रमेाशन में आरक्षण मामले में फैसला आ सकता है। आधार मामले में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधानपीठ ने गत 10 मई को सभी पक्षों की बहस …

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मनमोहन सिंह के 86 जन्मदिन पर मोदी जी और राहुल गांधी ने दी शुभकामनाएं 

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज जन्मदिन है. मनमोहन सिंह 86 बरस के हो गए हैं. देश में आर्थिक सुधारों के सूत्रधार माने जाने वाले मनमोहन का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. 10 साल के कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह की चुप्पी पर कई सवाल उठे, लेकिन यही सादगी उनकी सबसे बड़ी विशेषता भी रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मनमोहन सिंह को जन्मदिन की बधाई दी. PM मोदी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मनमोहन सिंह को जन्मदिन की बधाई दी. गौरतलब है कि बीते कई दिनों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार को कई अहम मुद्दों पर घेरा है. नोटबंदी, जीएसटी, राफेल डील पर लगातार मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वार करते आए हैं. आपको बता दें कि 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के शासन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे. हालांकि, मनमोहन सिंह खुद हमेशा बेदाग ही रहे. मनमोहन की अगुवाई में ग्लोबल बना भारत 1991 में जब भारत को दुनिया के बाजार के लिए खोला गया तो मनमोहन सिंह ही देश के वित्त मंत्री थे. देश में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत इन्होंने ही की थी. इसके बाद पीएम रहते हुए मनरेगा की शुरुआत भी एक बड़ा फैसला रहा, मनरेगा के कारण कई गरीब लोगों को रोजगार मिल पाया.

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज जन्मदिन है. मनमोहन सिंह 86 बरस के हो गए हैं. देश में आर्थिक सुधारों के सूत्रधार माने जाने वाले मनमोहन का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था. मनमोहन सिंह …

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लोअर पीसीएस-2015 के चयनितों को चार माह बाद भी नियुक्ति का इंतजार – राघवेन्द्र प्रताप सिंह

लखनऊ। एक ओर जहाँ सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार और शासन सरकारी सेवाओं की भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने की मंशा रखते हैं वहीं दूसरी ओर चयन के बाद भी 635 अभ्यर्थी अपनी नियुक्ति की बाट जोह रहे हैं। वह …

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12वीं पास छात्रों के लिए ISRO ने दिया तोहफा निकाली नयी वैकेंसी, इंटरव्यू के आधार पर होगा चयन… 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 205 पदों पर वैकेंसी निकाली है। इच्छुक उम्मीदवार ISRO की ऑफिशियल वेबसाइट iprc.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। पदों की संख्या: 205 पदों के नाम ग्रेजुएट अप्रेंटिस, टेक्नीशियन अप्रेंटिस और ट्रेड अप्रेंटिस शैक्षणिक योग्यता ग्रेजुएट अप्रेंटिस: किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान ने इंजीनियरिंग डिग्री ली हो। टेक्नीशियन अप्रेंटिस: किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से इंजीनियरिंग में डिप्लोमा। ट्रेड अप्रेंटिस : किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं पास किया हो और साथ में आईटीआई/ एनटीसी/ एनएसी कोर्सेज का भी सर्टिफिकेट लिया हो। आयु सीमा आयु 35 साल से अधिक न हो। सैलरी:  3542 से 7200 रुपए चयन प्रक्रिया:  चयन इंटरव्यू के आधार पर होगा आवेदन भेजने की अंतिम तिथि:  11 अक्टूबर, 2018 इंटरव्यू डेट:  ग्रेजुएट अप्रेंटिस: 29 सितंबर 2018 टेक्नीशियन अप्रेंटिस: 6 अक्टूबर 2018 ट्रेड अप्रेंटिस: 13 अक्टूबर 2018 इंटरव्यू का पता: इसरो प्रोपल्सन कॉम्प्लेक्स (IPRC), महेंद्रगिरी, तिरुनेलवेली जिला, तमिलनाडु

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 205 पदों पर वैकेंसी निकाली है। इच्छुक उम्मीदवार ISRO की ऑफिशियल वेबसाइट iprc.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। पदों की संख्या: 205 पदों के नाम ग्रेजुएट अप्रेंटिस, टेक्नीशियन अप्रेंटिस और ट्रेड अप्रेंटिस शैक्षणिक योग्यता ग्रेजुएट …

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सुषमा और कुरैशी लंच टेबल पर होंगे आमने सामने साथ ‘संयुक्त राष्ट्र’. 

रिश्तों में तल्खी और आपसी तनाव के चलते भारत और पाकिस्तान के विदेशमंत्रियों की न्यूयॉर्क में द्विपक्षी मुलाकात मेज पर तो नहीं लेकिन दोपहर भोज के दस्तरख्वान के साथ ज़रूर रूबरू होंगे. संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिए पर दोनों नेताओं का पहला आमना-सामना 27 सितंबर की होगा जब दक्षिण एशियाई देशों के विदेशमंत्री निर्धारित परम्परा के अनुसार मुलाकात करेंगे. इस बीच भरत की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, दोनों बीते 48 घण्टे से न्यूयॉर्क में हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ की कई बैठकों में शिरकत भी कर रहे हैं. मगर दोनों नेताओं का अभी तक आमना-सामना नहीं हुआ है. भारतीय उच्च पदस्थ अधिकारियों के मुताबिक न्यूयॉर्क के वेस्टिन होटल में सभी सार्क मुल्कों के विदेशमंत्री मुलाकत करेंगे. यह एक अनौपचारिक बैठक है इसलिए इसका कोई एजेंडा तय नहीं है. लिहाज़ा नेता अपनी सुविधा और प्राथमिकता के अनुसार मुद्दे उठाते सकते हैं. आतंकवाद के मुद्दे पर अफगानिस्तान, बांग्लादेश पड़ोसियों की नाराजगी के चलते पाकिस्तान 2016 में सार्क की मेजबानी नहीं कर पाया था. इसके बाद से पाकिस्तान लगातार सार्क की मेजबानी को लेकर दबाव बना रहा है. वहीं भारत यह स्पष्ट कर चुका है कि फिलहाल ऐसी क्षेत्रीय बैठक के लिए माहौल ठीक नहीं है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पीएम मोदी के नाम लिखी चिट्ठी में विदेश मंत्रियों की बैठक का प्रस्ताव रखने के साथ साथ सार्क शिखर सम्मेलन इस्लामाबाद में कराए जाने की बात भी कही थी. हालांकि नाटकीय घटनाक्रम में भरत ने जहां पहले विदेशमंत्रियों की बैठक का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था. वहीं महज़ 24 घण्टे के भीतर भारत का इकरार इनकार में बदल गया. इसकी वजह भी आतंकवाद बन गया. खासतौर पर पाकिस्तान में जिस तरह बुरहान वानी जैसे आतंकी का महिमामंडन करते हुए डाक टिकट जारी किए गए.. साथ ही एक बीएसएफ जवान और जम्मू कश्मीर पुलिस के तीन पुलिसकर्मीयों की नृशंस हत्या का हवाला देते न्यूयॉर्क में होने वाली वार्ता रद्द कर दी हुई.

रिश्तों में तल्खी और आपसी तनाव के चलते भारत और पाकिस्तान के विदेशमंत्रियों की न्यूयॉर्क में द्विपक्षी मुलाकात मेज पर तो नहीं लेकिन दोपहर भोज के दस्तरख्वान के साथ ज़रूर रूबरू होंगे. संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिए पर दोनों नेताओं …

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वसुन्द्रा की 52 हजार करोड़ की योजनाओं से क्‍यों खफा हुई कांग्रेस? 

नई दिल्‍ली: राजस्‍थान के चुनावी मौसम में इन दिनों वादों की बरसात के साथ घोषणाओं के बादल की भी बड़ी तेजी से गरज रहे हैं. आलम यह है कि बीते 30 दिनों में राजस्‍थान की मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे ने करीब 52 हजार करोड़ रुपए से अधिक की योजनाओं की घोषणा की है. वहीं, मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा की जा रही इन घोषणाओं से कांग्रेस बेहद खफा है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीते पांच सालों के दौरान मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्‍व वाली बीजेपी सरकार ने सूबे में कुछ भी नहीं किया, अब चुनाव की बैतरणी पार लगाने के लिए वसुंधरा राजे सरकार घोषणा पर घोषणा किया जा रही है.  2013 में किए गए वादे अब तक पूरे नहीं राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष सचिन पायलट का कहना है कि वसुंधरा राजे सरकार ने पिछले 5 सालों में प्रदेश की तरक्‍की को पीछे ढकेल दिया है. अब चुनाव आने पर रानी सा (मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे) केवल शिलान्यास और पुराने योजनाओं के नाम बदलकर वोट लेना चाहती हैं. राजस्‍थान विधानसभा चुनाव 2013 से पहले बीजेपी की तरफ से किए गए तमाम वादे आज तक पूरे नहीं हुए हैं. उन्‍होंने कहा कि प्रदेश की जनता बीजेपी सरकार की वादाखिलाफी, झूठे आश्वासन और कुशासन से तंग आ चुकी है. आगामी राजस्‍थान विधानसभा चुनाव 2018 में सूबे की जनता अब बीजेपी को दोबारा मौका नहीं देगी. राजे का गृह जिला भी नहीं हुआ विकसित  राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस अध्‍यख सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे के गृह जिले झालावाड़ का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्‍यमंत्री ने अपने गृह जिले में 17 हजार करोड़ से विकास कार्य करने का दावा किया है. वहीं दूसरी तरफ, झालावाड़ के कलेक्टर ने केंद्र सरकार ससे आग्रह किया कि झालावाड़ में बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं, लिहाजा इस जिले को पिछड़े जिलों की सूची में शामिल किया जाए. उन्‍होंने बताया कि झालावाड़ के कलेक्टर द्वारा केंद्र को भेजी गई चिट्ठी में बताया गया है कि वहां पानी, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं, लिहाजा, इसको पिछड़े जिलों की सूची में शामिल किया जाए.  जनता को अभी भी है सुविधाओं का इंतजार मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे पर आरोप लगाते हुए सचिन पायलट ने कहा कि डूंगरपुर सागवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 2013 चुनाव से पहले भले ही सड़क और पुल जैसी सुविधाएं देने के वादे किए गए थे, लेकिन आज भी कटारा की सड़कें खटारा ही पड़ी है. अवलर का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि 5 साल पहले के वादे आज तक पूरे नही हुए. बानसूर नगर पालिका, बहरोड़ में RTDC मिडवे, रामगढ़ में अनाज मंडी, रैफरल अस्पताल की क्षमता 150 बेड तक करने, राजगढ़ में रोडवेज सब डिपो, मालाखेड़ा में कॉलेज और रेलवे ओवरब्रिज निर्माण कार्य का इंतजार अभी भी अलवर की जनता को है. चुनाव आगमन पर अब शिलान्यास का दौर चला है.  मुख्‍यमंत्री द्वारा बीते एक महीने में की गई घोषणाएं  कुम्भाराम नहर लिफ्ट परियोजना के दूसरे चरण के लिए करीब 700 करोड़ रूपये की स्वीकृति अलवर और दौसा जिले में जलआपूर्ति की समस्‍या खत्‍म करने के लिए 37 हजार करोड़ रुपए की ईआरसीपी योजना.  दौसा और सवाई माधोपुर जिले को जोड़ने वाली बहुप्रतीक्षित दौसा-गंगापुर रेलवे लाइन में 700 करोड़ रुपए का निवेश.  लालसोट से कौथून के बीच 615 करोड़ रुपये की लागत से फोरलेन सड़क का निर्माण.  सुमेरपुर विधानसभा क्षेत्र की 38 हजार हेक्‍टेयर भूमि की सिंचाई के लिए 600 करोड रुपए की दो परियोजनाएं.  जैसलमेर जिले के रामदेवरा में करीब 95 करोड़ रूपये के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण-शिलान्यास जैसलमेर में 61 करोड़ रूपये 66 लाख से अधिक के विकास कार्यों के लोकार्पण. फलोदी में करीब 37 करोड़ रूपये से अधिक के विकास कार्यों के लोकार्पण और शिलान्यास. जोधपुर जिले में विकास कार्यों पर 13 हजार 600 करोड़ रूपये की स्‍वीकृति.  तिंवरी-मथानिया-ओसियां-भोलालगढ़ पेयजल परियोजना के लिए 499 करोड़ रूपये का आवंटन. ओसियां में 105 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास.

नई दिल्‍ली: राजस्‍थान के चुनावी मौसम में इन दिनों वादों की बरसात के साथ घोषणाओं के बादल की भी बड़ी तेजी से गरज रहे हैं. आलम यह है कि बीते 30 दिनों में राजस्‍थान की मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे ने करीब 52 हजार …

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सुप्रीम कोर्ट ने संसद पर छोड़ दिया है कि उसके पुराने तथा नए दागी नेता चुनाव लड़ेंगे या नही, जानिये… 

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को दो अहम मामलों में फैसला सुनाएगा। एक गंभीर अपराध में अदालत से आरोप तय होने पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए। दूसरा सांसद और विधायकों के वकालत करने पर रोक लगाई जाए। पहले मामले पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ फैसला देगी जबकि दूसरे मामले पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ फैसला सुनाएगी। इन दोनों ही मुद्दों पर आने वाले फैसले राजनीति पर गहराई से असर डाल सकते हैं। दागियों के चुनाव लड़ने पर रोक यानी जिसके खिलाफ पांच साल से अधिक की सजा के अपराध में अदालत से आरोप तय हो जाएं उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट मे कई याचिकाएं लंबित हैं। जिसमें पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह और भाजपा नेता अश्वनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका शामिल है। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, आरएम नारिमन, एएम खानविल्कर, डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बहस सुनकर गत 28 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। याचिकाकर्ताओं की दलील है कि राजनीति का अपराधीकरण रोकने के लिए दागियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए। पांच साल से अधिक की सजा के अपराध में अदालत से आरोप तय होने का मतलब होता है कि अदालत ने उस व्यक्ति को प्रथमदृष्टया आरोपी माना है। चुनाव आयोग ने भी इस याचिका का कोर्ट में समर्थन किया था हालांकि केन्द्र सरकार ने याचिका का पुरजुर विरोध करते हुए दलील दी थी कि कानून में आरोप तय होने के बाद चुनाव लड़ने पर रोक नहीं है और न ही इसे अयोग्यता में गिना गया है ऐसे में कोर्ट अपनी तरफ से कानून में अयोग्यता की शर्त नहीं जोड़ सकता। हैकर की जद में आपका स्‍मार्ट फोन और PC! सोमवार व बुधवार को बरतें विशेष सावधानी यह भी पढ़ें दूसरा मामला सांसदों और विधायकों के वकालत करने पर रोक लगाने की मांग का है। भाजपा नेता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने यह याचिका दाखिल की है। इस पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, एएम खानविल्कर और डीवाई चंद्रचूड़ ने गत 9 जुलाई को बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिका में उपाध्याय का कहना है कि सांसद विधायक लोकसेवक होते हैं इन्हें सरकारी कोष से वेतन भत्ता गाड़ी बंगला और पेंशन लोक कार्य करने के लिए मिलती है। इन्हें यह सब निजी कार्य या वकालत के लिए नहीं मिलता। इनका काम पूर्णकालिक माना जाएगा क्योंकि सिर्फ पूर्णकालिक कार्य के लिए ही पेंशन का प्रावधान है अंश कालिक कार्य के लिए पेंशन नहीं मिलती। इसके अलावा याचिकाकर्ता की यह भी दलील थी कि सांसदों के पास जजों को पद से हटाने के लिए महाभियोग लाने की शक्ति होती है ऐसे में इनका वकालत करना हितों का टकराव है। केन्द्र सरकार ने इस याचिका का भी कोर्ट में विरोध किया है। इस मामले में आने वाला फैसला कई वरिष्ठ नेताओं की वकालत पर असर डाल सकता है। लगभग सभी राजनैतिक दलों में वरिष्ठ नेता और वरिष्ठ वकील शामिल हैं जिन पर फैसले का प्रभाव पड़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को दो अहम मामलों में फैसला सुनाएगा। एक गंभीर अपराध में अदालत से आरोप तय होने पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए। दूसरा सांसद और विधायकों के वकालत करने पर रोक लगाई जाए।  पहले मामले पर …

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आर्म्स डीलर संजय भंडारी और वाड्रा के बीच क्या है रिश्ता, बीजेपी ने राफेल डील में कांग्रेस को भी लपेटा…  

राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर देश में राजनीति काफी तीखी होती जा रही है. कांग्रेस जहां इसे लेकर पीएम मोदी को भ्रष्ट बताने तक उतर आई है, वहीं अब बीजेपी ने इसमें कांग्रेस को भी लपेटते हुए डील को सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जोड़ दिया है. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि यूपीए सरकार के दौरान वाड्रा के दबाव में ही राफेल से डील नहीं हो पाई थी. बीजेपी का आरोप है कि वाड्रा के आर्म्स डीलर संजय भंडारी से करीबी रिश्ते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर क्या है राफेल, रॉबर्ट वाड्रा और आर्म्स डीलर संजय भंडारी का पूरा मामला... सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री और बीजेपी नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, 'कांग्रेस इस वजह से राफेल सौदे को रद्द कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है, क्योंकि वह राफेल की निर्माता कंपनी दसॉ से बदला लेना चाहती है, जिसने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी के साथ काम करने से इंकार कर दिया था.' उन्होंने आरोप लगाया कि वाड्रा के दबाव में गांधी परिवार ने साल 2008 में दसॉ के सामने शर्त रखी थी कि वह ऑफसेट इंडिया सोल्युशन के साथ काम करे, जो कि वाड्रा की कंपनी है. शेखावत ने कहा कि भंडारी रक्षा साजोसामान की आपूर्ति करने वाला एक बिचौलिया है और उसे कई डिफेंस एक्सपो में वाड्रा के साथ देखा गया था. गौरतलब है कि भंडारी पर फेमा कानून के उल्लंघन के एक मामला दर्ज है और वह देश से फरार हो चुका है. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि भंडारी ने वाड्रा के लिए कई बार एयर टिकट बुक कराया है और उनके लंदन स्थ‍ित मकान के लिए इंटीरियर डेकोरेशन पर पैसे खर्च किए हैं. किसकी है कंपनी इंडिया टुडे की 2016 की एक खबर के अनुसार, साल 2011 में आई आईबी की की एक रिपोर्ट से यह पता चला था कि आर्म्स डीलर संजय भंडारी, रॉबर्ट वाड्रा सहित कई नेताओं के साथ नियमित संपर्क में था. इंडिया टुडे-आजतक को यह रिपोर्ट देखने में सफलता हासिल हुई थी. इसके मुताबिक भंडारी का नाम भारतीय वायु सेना के लिए बेसिक जेट ट्रेनर्स (BTA) खरीद के लिए हुए एक डील में सामने आया था. संजय भंडारी ने ही 'ऑफसेट इंडिया सॉल्युशंस' (OIS) की स्थापना की थी ताकि बड़े रक्षा सौदों का लाभ उठाया जा सके. हालांकि आईबी की रिपोर्ट कहती है कि ओआईएस भंडारी के लिए एक मुखौटा कंपनी जैसे ही थी. क्या है वाड्रा-भंडारी का रिश्ता कभी लग्जरी कार आयात करने वाला संजय भंडारी बाद में रक्षा सौदों का एक बड़ा बिचौलिया बन चुका था और विदेशी कंपनियों के लिए लॉबिइंग करता था. आईबी ने भंडारी के एक फोन नंबर की छह महीने तक कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) हासिल की तो पता चला कि वह वाड्रा सहित कई प्रभावशाली लोगों के नियमित संपर्क में था. आईबी के अनुसार भंडारी के मोबाइल फोन से रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ब्लू ब्रिज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के रजिस्टर्ड नंबर पर कई बार कॉल की गई. आईबी की रिपोर्ट के मुताबिक यह नंबर पहले वाड्रा ही इस्तेमाल करते थे. कांग्रेस के अन्य नेताओं से थे रिश्ते! रिपोर्ट के अनुसार, संजय भंडारी यूपीए सरकार में कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल सहित कई अन्य कांग्रेसी नेताओं के भी संपर्क में था. भंडारी श्रीप्रकाश जायसवाल और कांग्रेस नेता एसपीवाई रेड्डी से फोन पर कई बात बात कर चुका था. इसके अलावा रिपोर्ट के मुताबिक, भंडारी रायबरेली स्थ‍ित इंदिरा गांधी सिविल एविएशन एकेडमी के डायरेक्टर से कई बार बात कर चुका था.

राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर देश में राजनीति काफी तीखी होती जा रही है. कांग्रेस जहां इसे लेकर पीएम मोदी को भ्रष्ट बताने तक उतर आई है, वहीं अब बीजेपी ने इसमें कांग्रेस को भी लपेटते हुए डील को सोनिया गांधी के …

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राफेल विवाद- भारत से लेकर फ्रांस तक काफी चर्चा का केंद्र बन गया है, जाने पूरी खबर…  

राफेल सौदे को लेकर देश में सियासी पारा बेहद गर्म है. कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर डील के जरिए अनिल अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा रही है. कांग्रेस की ओर से मोर्चा खुद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने संभाला है. वहीं सरकार की ओर से कांग्रेस पर झूठे आरोप लगाने की बात कही जा रही है. वित्त मंत्री जेटली राहुल गांधी की बातों को गंभीरता से ना लेने की बात कह चुके हैं. इस सब के फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति का बयान भी सुर्खियों में है, जिसे आधार बनाकर राहुल गांधी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'चोर' कह रहे हैं. राफेल को लेकर राजनीति में अब तक क्या हुआ, 5 प्वाइंट्स 1. फ्रांस के राष्ट्रपति ने क्या कहा? फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने फ्रांस के अखबार मीडियापार्ट को इंटरव्यू दिया है. इसमें ओलांद ने कहा है कि राफेल सौदे के लिए भारत सरकार ने अनिल अंबानी की रिलायंस का नाम प्रस्तावित किया था और दसॉल्ट एविएशन कंपनी के पास दूसरा विकल्प नहीं था. इंटरव्यू के मुताबिक, ओलांद ने कहा कि भारत सरकार की तरफ से ही रिलायंस का नाम दिया गया था. इसे चुनने में दसॉल्ट एविएशन की भूमिका नहीं है. ओलांद ने कहा, 'भारत की सरकार ने जिस सर्विस ग्रुप का नाम दिया, उससे दसॉल्ट ने बातचीत की. दसॉल्ट ने अनिल अंबानी से संपर्क किया. हमारे पास कोई विकल्प नहीं था. हमें जो वार्ताकार दिया गया, हमने स्वीकार किया.' 2. राहुल गांधी ने क्या आरोप लगाए? राहुल गांधी ने कहा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने जो आरोप लगाए हैं उसका साफ मतलब है कि पीएम मोदी ने राफेल सौदे में भ्रष्टाचार किया है, चोरी की है. जो राफेल विमान यूपीए सरकार ने 526 करोड़ रुपये का खरीदा था वो अनिल अंबानी की मदद करने के लिए 1600 करोड़ रुपये में खरीदा गया. राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ओलांद ने बता दिया है कि अनिल अंबानी को जो हजारों करोड़ रुपये का कॉन्ट्रेक्ट मिला वो पीएम मोदी के कहने पर दिया गया था. इसका साफ अर्थ है कि ओलांद पीएम मोदी को चोर कह रहे हैं और पीएम मोदी के मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा है. प्रधानमंत्री को देश को जवाब देना चाहिए वर्ना देश की जनता के दिमाग में ये घुस गया है कि देश का चौकीदार चोर है. राहुल गांधी ने पूरे मामले में संसद की संयुक्त समिति के गठन की मांग की है. 3. जेटली ने क्या सफाई दी? कांग्रेस के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा, ''फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट और रिलायंस के बीच क्या हुआ उससे सरकार का कोई लेना देना नहीं है. दोनों कम्पनियों के बीच 12 फरवरी 2012 को एक समझौता हुआ था और पीटीआई ने इसकी ख़बर भी दी थी.'' राहुल गांधी पर हमला करते हुए जेटली बोले, ''30 अगस्त को ट्वीट करते हैं कि फ्रांस के अंदर कुछ बम चलने वाले हैं. ये उनको (राहुल गांधी) कैसे मालूम कि ऐसा बयान आने वाला है? ये जो जुगल बंदी है इस तरह की, मेरे पास कुछ सबूत नहीं है लेकिन प्रश्न खड़ा होता है.'' 4. अनिल अंबानी ने आरोपों पर क्या कहा? कांग्रेस की ओर कंपनी पर उठाए जा रहे सवालों पर अनिल अंबानी ने भी सफाई दी है. आरोप को आधारहीन और दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए अंबानी ने कहा, ‘‘सच्चाई की जीत होगी.’’ उन्होंने कहा कि जो भी आरोप लगाये जा रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण, स्वार्थ से प्रेरित और कंपनी की प्रतिद्वंद्विता से प्रेरित है. 5. राफेल विवाद है क्या? यूपीए सरकार ने 600 करोड़ रुपये में एक राफेल का सौदा किया था. अब बताया जा रहा है कि सरकार को एक राफेल करीब 1600 करोड़ रुपये का पड़ेगा. राफेल डील में 50 प्रतिशत ऑफसेट क्लॉज यानि प्रावधान है. यानि इस सौदे की पचास प्रतिशत कीमत को रफाल बनाने वाली कंपनी, दसॉल्ट को भारत में ही रक्षा और एयरो-स्पेस इंडस्ट्री में लगाना होगा. इसके लिए दसॉल्ट कंपनी ने भारत की रिलायंस इंडस्ट्री से करार किया है. अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस इंडस्ट्री ने जो कंपनी बनाई है, उसके साथ मिलकर दसॉल्ट कंपनी भारत में ज्वाइंट वेंचर कर रही है. ये दोनों मिलकर भारत में नागरिक विमानों के स्पेयर पार्ट्स बनाने जा रही हैं. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि "36 राफेल आईजीए (इंटर गर्वमेंटल एग्रीमेंट) में ऑफसेट्स की मात्रा 50 प्रतिशत है, जिसमें योग्य उत्पादों और सेवाओं के निर्माण या रखरखाव के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में निवेश शामिल हैं

राफेल सौदे को लेकर देश में सियासी पारा बेहद गर्म है. कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर डील के जरिए अनिल अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा रही है. कांग्रेस की ओर से मोर्चा खुद पार्टी अध्यक्ष …

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