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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा- राम लला हम आएंगे, मंदिर हम ही बनाएंगे

आम चुनाव तक फैसला आए या ना आए, मगर अगले आम चुनाव में राम मंदिर विवाद का एक बार फिर से केंद्रीय मुद्दा बनने का रास्ता साफ हो गया है। बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण इस विवाद …

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बड़ी खुशखबरः सुप्रीम कोर्ट ने खत्म की धारा 497 समेत वो प्रमुख खबरें जो कर देंगी आपको खुश

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को व्यभिचार से जुड़ी आईपीसी धारा 497 को खत्म कर दिया। व्यभिचार पर फैसला पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से महिला अधिकारों पर समानता की बात की है। इसके मायने ये हैं कि अदालत …

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ब्रिटेन ने दोहराई भारत को बिना शर्त समर्थन देने की बात

ब्रिटेन ने भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में अपना बिना शर्त समर्थन देने की बात दोहराई है। ब्रिटेन का कहना है कि भारत ने इस समूह में शामिल होने के लिए खुद की योग्यताओं को साबित किया है। अंतरराष्ट्रीय …

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सर्जिकल स्ट्राइक वाले कैम्पों में फिर से दिखे आतंकी…

जहां एक तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारत के साथ बातचीत करना चाहते हैं। वहीं आतंकी उनके मंसूबों पर पानी फेरते हुए लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर अपनी संख्या बढ़ा रहे हैं। उच्च खुफिया सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में लगभग 250 आतंकवादी जम्मू और कश्मीर में  27 लांच पैड के जरिए घुसपैठ करने का इंतजार कर रहे हैं। इसमें 8 नए लांचपैड लीपा घाटी में बनाए गए हैं। यह उन रणनीतिक स्थानों में से एक है जिसे भारतीय सेना ने 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक में तबाह कर दिया था। उड़ी आतंकी हमले के बाद सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पीओके पर बने लांचपैड को निशाना बनाया था। भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच अमेरिका में हो रही संयुक्त राष्ट्र आमसभा के दौरान द्विपक्षीय वार्ता होनी थी। जिसे कि सेना के जवान के साथ हुई बर्बरता और हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकियों द्वारा पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद रद्द कर दिया गया था। हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में होने वाली हिंसा की घटनाओं में इजाफा हुआ था। जुलाई 2016 में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में वानी को मार गिराया था। पिछले एक साल में पत्थरबाजी और भीड़ हिंसा पर काफी हद तक लगाम लगी है। वहीं पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों द्वारा जम्मू और कश्मीर के पुलिसकर्मियों को निशाना बनाने और बढ़ती घुसपैठ की कोशिशों में इजाफा हुआ है। बुरहान वानी की मौत से पहले पीओके में केवल 14 लांचपैड सक्रिय थे जिसमें 160 आतंकी रहा करते थे। लेकिन वानी की मौत के बाद एलओसी में आतंकी ट्रेनिंग गतिविधियों में इजाफा हुआ है। सूत्रों ने बताया कि जहां पहले केवल 160 आतंकी रहा करते थे अब यह संख्या बढ़कर 190 से 230 पर पहुंच गई है। इसके साथ ही पांच आतंकी कैंप बढ़े हैं। इमरान खान को प्रधानमंत्री बनाने वाले चुनाव के दौरान 8 और कैंप बनाए गए हैं। पीओके में जो 27 लांचपैड सक्रिय हैं उनमें लीपा, चखोटी, बरारकोट, शारदी और जूरा घाटी में लश्कर-ए-तैयबा जबकि बरारकोट और कहूटा के क्षेत्रों में हिजबल मुजाहिद्दीन के कैंप लगे हुए हैं। लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य लीपा, चन्नानियन, मंदौकली और नौखट के जरिए भारत में घुसने की कोशिश में हैं और इनकी संख्या अब 25-30 है। इनके कैंप नौगाम सेक्टर के ठीक सामने हैं। यह क्षेत्र उड़ी और कुपवाड़ा के बीच में है। एक खुफिया अधिकारी के अनुसार लगभग 250 आतंकी भारत में घुसपैठ करने की कोशिश में हैं। 

जहां एक तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारत के साथ बातचीत करना चाहते हैं। वहीं आतंकी उनके मंसूबों पर पानी फेरते हुए लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर अपनी संख्या बढ़ा रहे हैं। उच्च खुफिया सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान …

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शरद पवार का बड़ा बयान ‘बोले पीएम मोदी’ कि नीयत पर राफेल डील को लेकर कोई शक नही…

 राफेल डील में भ्रष्‍टाचार का आरोप लगाकर पूरा विपक्ष मोदी सरकार को घेरने में जुटा हुआ है. वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा है कि राफेल डील पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर कोई श‍क नहीं है. उन्‍होंने यह भी कहा कि विपक्ष की ओर से लगातार मांग की जा रही है कि राफेल जेट से जुड़ी तमाम तकनीकी जानकारियों को सार्व‍जनिक किया जाए. लेकिन इसका कोई औचित्‍य नहीं है. हालांकि पूर्व रक्षा मंत्री और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने यह भी कहा है कि सरकार अगर राफेल डील की कीमतें सार्वजनिक करती है तो इससे उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. शरद पवार ने कहा 'मुझे लगता है कि जनता के दिमाग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत को लेकर कोई शंका नहीं है.' हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से रखे गए सरकार के पक्ष के बाद जनता के मन में शंका उत्‍पन्‍न हो गई है. अब वित्‍त मंत्री अरुण जेटली राफेल मुद्दे पर रक्षा मंत्री सीतारमण के बजाय सरकार का पक्ष देख सकते हैं.  बता दें कि इससे पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को राफेल विमान सौदे को लेकर बीजेपी पर हमला बोला था. पवार ने कहा था कि 'राफेल विमान की कीमत सार्वजनिक करने में कोई नुकसान नहीं है. मैं यूपीए सरकार के समय संसद में रहा हूं. उस समय बीजेपी ने बोफोर्स मुद्दा उठाया था. सुषमा स्वराज ने उस समय बोफोर्स मामले से जुड़ी सभी जानकारियों को सार्वजनिक करने की मांग कई बार की थी.' बता दें कि कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी लगातार राफेल डील पर मोदी सरकार पर हमला बोल रहे हैं. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा था कि 'देश के चौकीदार और रक्षा मंत्री राफेल डील पर चुप क्‍यों हैं.' उन्‍होंने कहा था कि देश की जनता राफेल डील की कीमत जानना चाह रही है.

 राफेल डील में भ्रष्‍टाचार का आरोप लगाकर पूरा विपक्ष मोदी सरकार को घेरने में जुटा हुआ है. वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा है कि राफेल डील पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर कोई श‍क नहीं है. …

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पर्यावरण क्षेत्र में काम के लिए UN ने दिया ‘पीएम मोदी’ को’चैम्पियन ऑफ द अर्थ’ कि उपाधि. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के नेतृत्व और 2022 तक भारत को एकल इस्तेमाल वाले प्लास्टिक से मुक्त कराने के संकल्प को लेकर संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान पांच अन्य व्यक्तियों और संगठनों को भी दिया गया है. दुनिया के छह हस्तियों को पर्यावरण के क्षेत्र में कदम उठाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान ‘‘चैम्पियंस ऑफ द अर्थ अवॉर्ड’’ से सम्मानित किया गया है. नीतिगत नेतृत्व की श्रेणी में फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों और पीएम नरेंद्र मोदी को संयुक्त रूप से इस सम्मान के लिये चुना गया है. मोदी के यूएन से अवॉर्ड मिलने पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने उन्हें बधाई दी है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के मुताबिक, ‘‘इस साल के पुरस्कार विजेताओं को आज के समय के कुछ बेहद अत्यावश्यक पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने के लिये साहसी, नवोन्मेष और अथक प्रयास करने के लिये सम्मानित किया जा रहा है.’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के नेतृत्व और 2022 तक भारत को एकल इस्तेमाल वाले प्लास्टिक से मुक्त कराने के संकल्प को लेकर संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान पांच अन्य व्यक्तियों …

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज, नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद जरूरी है या नहीं.

अयोध्या रामजन्मभूमि मालिकाना हक के मुकदमे पर असर डालने वाले एक पहलू पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुना सकता है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ मुस्लिम पक्ष की इस्माइल फारुकी फैसले के उस अंश पर पुनर्विचार की मांग पर अपना आदेश सुनाएगी जिसमें कहा गया है कि नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। इस मामले में कोर्ट ने गत 20 जुलाई को सभी पक्षों की बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 1994 में अयोध्या मे भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली इस्माइल फारुकी की याचिका पर फैसला दिया था। उस फैसले में एक जगह कोर्ट ने कहा है कि नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा न मामले वाले 1994 के इस्माइल फारुकी फैसले पर पुनर्विचार की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला। वैसे तो वह फैसला बहुत पुराना है, लेकिन अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक से जुड़ी अपीलों पर सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने फारुकी के फैसले में दी गई व्यवस्था को मुख्य मामले पर असर डालने वाला बताते हुए फैसले के उस अंश को पुनर्विचार के लिए सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजे जाने की मांग की थी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की पीठ ने फारुकी फैसले के उस अंश पर पुनर्विचार की जरूरत पर सभी पक्षों की लंबी बहस सुनकर गत 20 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने मांग की थी इस मामले को संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए क्योंकि फैसले में दी गई व्यवस्था गलत है और ये अयोध्या जन्मभूमि मामले के मालिकाना हक मुकदमें पर असर डालता है। उनका कहना था कि जिस पहलू पर बहस ही नहीं सुनी कोर्ट ने उस पर अपना नजरिया प्रकट कर दिया है। कोर्ट धर्म के अभिन्न हिस्से के मुद्दे पर साक्ष्यों को देखे और सुने बगैर यह नहीं कह सकता कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। हालांकि हिन्दू पक्ष ने मांग का विरोध किया था और कहा था कि फैसले के इतने वर्षो बाद इस पर पुनर्विचार की मांग करके मुस्लिम पक्ष अयोध्या विवाद के मुख्य मामले की सुनवाई में देरी करना चाहता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी मांग का विरोध करते हुए इसे देरी की रणनीति कहा था। अब अगर तीन न्यायाधीशों की पीठ फारुकी फैसले के उस अंश पर पुनर्विचार की जरूरत महसूस करते हुए मामला सात जजों की पीठ को सुनवाई के लिए भेजती है तो निश्चित तौर पर अयोध्या विवाद के मुख्य मुकदमें की सुनवाई और आगे खिसक जाएगी। बतातें चलें कि अयोध्या में राम जन्मभूमि मालिकाना हक के मुख्य मुकदमें पर अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हुई है। जबकि हाईकोर्ट का फैसला 2010 में आ गया था जिसमें राम जन्मभूमि को तीन बराबर के हिस्सों में बांटने का आदेश दिया गया था। तभी से सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपीलें लंबित हैं और सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथास्थिति कायम रखने के आदेश दे रखे हैं। इस मामले में भगवान रामलला विराजमान सहित सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की हैं।

अयोध्या रामजन्मभूमि मालिकाना हक के मुकदमे पर असर डालने वाले एक पहलू पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुना सकता है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ मुस्लिम पक्ष की इस्माइल फारुकी फैसले के उस अंश …

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किन कीमतों पर मोदी सरकार ने खरीदा राफेल फ्रांस से, और कैसे बदली UPA कि डील.   

राफेल डील विवाद देश की राजनीति का मुख्य मुद्दा बन गया है. पिछले कई दिनों से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगा चुके हैं. इस डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को चोर तक कह दिया था. लेकिन आखिर ये विवाद क्या है, डील क्या है. इस मामले की पूरी INSIDE STORY यहां पढ़ें... यूपीए सरकार ने 126 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का समझौता किया. इसमें 18 विमान तुरंत लेने की स्थिति में थे और बाकी 108 का निर्माण भारत में होना था. > 18 विमान जो तुरंत लेने की स्थिति में थे, उनका दाम 688 करोड़ रुपए प्रति एयरक्राफ्ट था. जबकि जिन 108 विमान का निर्माण HAL की सहायता से भारत में होना था, उनका दाम 911 करोड़ रुपए प्रति विमान था.   > 2013 में यूरो डिफेंस कंपनी ने विमान की कुछ आइटम पर 20 फीसदी डिसकाउंट का ऑफर दिया. हालांकि, उन्होंने विमान के बेस प्राइस में किसी तरह के बदलाव से इनकार किया. > राफेल विमान डील किसी तरह का ऑफर या फिर दामों में बदलाव के लिए इनकार करती रही. उनका कारण था कि क्योंकि ऑर्डर में लगातार देरी हो रही है इसलिए 1.22 फीसदी दाम बढ़ने की संभावना है. > 2013-2014 में भारत में जिन 108 विमानों का निर्माण होना था, वह डील टूट गई. > फ्रांस का मानना था कि अगर वह भारत में इनका निर्माण करते हैं तो सिर्फ 31 मिलियन घंटे की मैन पावर लगेगी, हालांकि HAL का कहना था ये करीब 100 मिलियन घंटे मैन पावर की खपत होगी. > 2014  में भारत ने इस पुराने कॉन्ट्रैक्ट को खत्म कर दिया. > इसके बाद भारत औऱ फ्रांस के बीच सरकार टू सरकार का एग्रीमेंट हुआ. जिसमें फ्रांस से कुल 36 विमान खरीदने का फैसला हुआ, जिसमें शुरुआती 18 विमान का दाम उसका बेस प्राइस जितना ही होगा. > 2014 में ही इस डील को आगे बढ़ाने के लिए एयर मार्शल भदौरिया को नियुक्त किया गया. इससे पहले इसके लिए ज्वाइंट सेकेट्ररी लेवल के अफसर तैनात थे. > जिस दाम पर यूपीए की सरकार सहमत हुई थी अगर उनके हिसाब माने तो 36 विमान की कीमत 9503 मिलियन यूरो रहती. > हालांकि, सौदे में होती लगातार देरी के कारण फ्रांस इसके दाम 11000 मिलियन यूरो तक करना चाहता था. > पूरी बातचीत के बाद 36 राफेल लड़ाकू विमान के दाम 7889 मिलियन यूरो तक तय हुए. > इन सभी में फ्रांस करीब 50 फीसदी ऑफसैट यानी 50 फीसदी इन्वेस्ट भारत में करने में राजी हो गया. साथ ही DRDO को इसके तहत सफरां एयरक्राफ्ट इंजन की टेक्नोलॉजी भी मिलनी तय थी. > भारत सरकार के मुताबिक, इस नए दाम के विमान में मुताबिक कुल 13 नए बदलाव हुए. जिसमें पायलट के लिए हेल्मेट वाली डिस्प्ले, विजुअल रेंज मिसाइल समेत अन्य कई बड़े बदलाव. > साथ ही अगले सात साल के लिए करीब 75 फीसदी मेंटेनेंस की सुविधा मिलना तय था. > एनडीए सरकार का दावा है कि ये डील 1.6 बिलियन डॉलर सस्ती है. > भारत सरकार ने फ्रांस की सरकार से अपील की है कि क्या वह राफेल के दाम जाहिर कर सकते हैं. अभी इस पर फैसला पेंडिंग है.

राफेल डील विवाद देश की राजनीति का मुख्य मुद्दा बन गया है. पिछले कई दिनों से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगा चुके हैं. इस डील में भ्रष्टाचार के …

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दिल्ली में ऐसे 54 उपकरण लगाये जायेंगे जिससे दिल्ली कि हवा होगी साफ़ 

राजधानी दिल्ली में हर साल जाड़ों के दौरान होने वाले वाले वायु प्रदूषण से निबटने के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। सरकार ने खासतौर पर हवा साफ करने वाले उपकरण लगाए हैं, जो दिल्ली में 54 जगहों पर लगेंगी। इन्हें 15 अक्टूबर तक लगाया जाना है। मंगलवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन गुप्ता ने वायु प्रदूषण को नियंत्रण करने वाली डिवाइसेज का उदघाटन किया। वायु (विंड ऑग्मेंटेशन प्यूरिफाइंग यूनिट) नाम की ये डिवाइसेज 500 स्क्वायर मीटर का क्षेत्र प्रदूषण मुक्त रखेंगी। इन डिवाइसेज को फिलहाल दिल्ली के व्यस्त चौराहों में से एक आईटीओ और मुकरबा चौक पर लगाया गया है। मंत्रालय के मुताबिक वायु डिवाइसेज को सीएसआईआर (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) और नीरी (नेशनल इंनवायरनमेंटल रिसर्ट इंस्टीट्यूट) ने मिल कर विकसित किया है। जबकि सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इसके लिए धन मुहैया कराया। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इन डिवाइसेज को स्वदेश में निर्मित किया गया है और इनकी क्षमता 500 स्क्वायर मीटर के क्षेत्र को साफ रखने की है। वहीं ये डिवाइसेज 10 घंटे में केवल आधी यूनिट बिजली ही खर्च करती हैं, जबकि इनकी मैंटिनेंस कॉस्ट केवल 1500 रुपए प्रति माह है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम इन डिवाइसेज का बड़ा वर्जन डेवलप करने की योजना पर काम कर रहे हैं, जो 10 हजार स्क्वायर मीटर के क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त कर सकेंगी। साथ ही इन्हें बस शेल्टर में भी लगाया जा सकेगा। ये डिवाइसेज हवा में मौजूद वायु प्रदूषकों और सक्रिय तत्वों को साफ करेंगी। इनमें पार्टिकुलेट मैटर और एक्टीवेटेड कार्बन यानी चारकोल और अल्ट्रा वायलेट लैंप्स भी लगे हैं, जो जहरीली गैसों जैसे कार्बन मोनोक्साइड को सोखेंगे।

राजधानी दिल्ली में हर साल जाड़ों के दौरान होने वाले वाले वायु प्रदूषण से निबटने के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। सरकार ने खासतौर पर हवा साफ करने वाले उपकरण लगाए हैं, जो दिल्ली में 54 जगहों पर लगेंगी। …

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अब सार्क बैठक पर मंडरा रहे है संकट के बादल, भारत-पाक वार्ता हुई रद्द 

नेपाल ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिये पर होने वाली दक्षिण एशिया के विदेश मंत्रियों की बैठक में वो सार्क की प्रक्रिया आगे बढ़ाने का आग्रह करेगा. नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि किन्हीं दो देशों के आपसी मतभेदों के कारण दक्षिण एशिया के मुद्दों पर संवाद की प्रक्रिया नहीं रुकनी चाहिए. हाल ही में भारत ने सीमा पर हिंसा और पाकिस्तान की ओर से आतंकियों के महिमामंडन करने वाले डाक टिकट जारी करने के बाद संयुक्त राष्ट्र में होने वाली विदेश मंत्रियों की वार्ता रद्द कर दी गई थी. संयुक्त राष्ट्र महासभा में शरीक होने पहुंचे नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवली ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में कहा कि सार्क को मौजूदा प्रधान होने के नाते नेपाल इस बात का पक्षधर है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन की शिखर बैठक होनी चाहिए. ज्ञवली ने कहा कि विदेशमंत्रियों की मुलाकात के दौरान नेपाल इस बात का आग्रह भी करेगा. नेपाल ने भारत और पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि किन्हीं भी दो देशों के मतभेदों के कारण क्षेत्रीय संवाद नहीं रुकना चाहिए. समस्याओं के समाधान के लिए ज़रूरी है कि हम बात करते रहें. महत्वपूर्ण है कि 2016 में आतंकी हुए कई हमलों को लेकर भारत ही नहीं बांग्लादेश और अफगानिस्तान के विरोध के बाद पाकिस्तान सार्क शिखर बैठक की मेजबानी नहीं कर पाया था. एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ज्ञवली का कहना था कि आतंकवाद एक साझा समस्या है. कोई भी देश ऐसा नहीं है जो आतंकवाद के प्रति रियायत बरतता हो या उसका समर्थन करे. लिहाजा इस साझा समस्या के समाधान के लिए भी जरूरी है कि बातचीत की जाए और सहयोग का रास्ता निकाला जाए. इस बीच ज्ञवली ने सोमवार को जहां भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से द्विपक्षीय मुलाकात की वहीं मंगलवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ले भी वो मिले. चीन-नेपाल ट्रेड एंड ट्रांजिट समझौते से भारत को खतरा नहीं बीते दिनों चीन के अपने चार समुद्री बंदरगाह और तीन ड्रायपोर्ट नेपाल के लिए मुकर्रर किए जाने को लेकर भारत में उठी चिंताओं को निराधार करार दिया. ज्ञवली ने कहा कि भारत और नेपाल के संबंध नियती से बंधे हैं.नेपाल यह स्पष्ट कर चुका है कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी अन्य देश के खिलाफ नहीं होने देगा. नेपाली विदेश मंत्री के मुताबिक भारत भी यह समझेगा की नेपाल को अपने कारोबार के लिए बंदरगाहों तक पहुंचने की ज़रूरत है. चीन के साथ नेपाल ने ट्रेड एंड ट्रांज़िट एग्रीमेंट किया था. उसी के तहत प्रोटोकॉल पर दस्तखत हुए. इससे भारत और नेपाल के रिश्ते कतई खराब नहीं होते. बिम्सटेक में नहीं बनी थी सैन्य अभ्यास पर कोई सहमति काठमांडू में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी के बाद भारत में आयोजित बिमस्टेक संयुक्त सैन्य अभ्यास में नेपाल के शरीक न होने के फैसले को भी ज्ञवली ने जायज ठहराया. इस बारे में पूछे जाने पर उनका कहना था कि बिम्सटेक एक आर्थिक और तकनीकी सहयोग संगठन है. उसमें सैन्य सहयोग का कोई पक्ष नहीं है.साथ ही बिम्सटेक सम्मेलन में भारत की तरफ से संयुक्त सैन्य अभ्यास का प्रस्ताव ज़रूर आया था लेकिन इसके लिए कोई सहमति नहीं बनी थी. इसलिए हमने केवल ऑब्जर्वर भेजे थे..द्विपक्षीय स्तर पर भारत और नेपाल के बीच सैन्य अभ्यास की मजबूत परम्परा है.

नेपाल ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिये पर होने वाली दक्षिण एशिया के विदेश मंत्रियों की बैठक में वो सार्क की प्रक्रिया आगे बढ़ाने का आग्रह करेगा. नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि किन्हीं दो देशों …

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