दो-तीन दशकों तक सक्रिय पत्रकारिता की लम्बी पारी खेलने के बाद मीडिया गुरु के रूप में भी चर्चित रहे प्रो. संजय द्विवेदी तीन साल तक (2020-23) भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक रहने के बाद अब वापस माखनलाल …
Read More »लेख
अमृतकाल का सकारात्मक भारत
2014 के बाद एक आत्मविश्वास हर भारतवासी में आया है, जो कुछ समय पहले तक अवसाद और निराशा से घिरा था। भरोसा जगाने वाला यह समय हमें जगा कर कुछ कह गया और लोग राष्ट्रनिर्माण में अपनी भूमिका को रेखांकित …
Read More »नस्लवाद पर फ्रांस में विद्रोह प्रधानमंत्री की यात्रा अधर में
फ्रांस जल रहा है। सरकारी इमारतें धधक रही हैं। पुलिस पर जनाक्रोश इतना उभर पड़ा है कि हर सत्ता का प्रतीक हमले का लक्ष्य बन गया है। विडंबना यह है कि यह सब हो रहा है बैस्टिल दिवस (14 जुलाई) …
Read More »नेताजी ने ही सर्वप्रथम महात्मा गांधीजी को राष्ट्रपिता कहा था.
करीब आठ दशक हुये। आज ही के दिन (6 जुलाई 1944) स्वतंत्र बर्मा की राजधानी रंगून (अब यांगून) से प्रसारित अपने उद्बोधन में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” कहकर संबोधित किया था। तब दो माह पूर्व ही …
Read More »काफिर को मारो, 72 हूरें पाओ ! फिल्म JNU में दिखाई गई !!
आतंकी विषय-वस्तु पर एक नई फिल्म “बहत्तर हूरें” नई दिल्ली के जेएनयू (नेहरू विश्वविद्यालय) में कल (मंगलवार, 4 जुलाई 2023) स्क्रीन की गई। भारत सरकार के फिल्म सेंसर बोर्ड द्वारा प्रमाणित इसका संक्षिप्त ट्रेलर 28 जून को दर्शाया गया था। …
Read More »शरद, उद्धव नहीं बचा सके, अखिलेश कैसे बचाएंगे सपा!
सियासत, हुकुमत, पक्ष, विपक्ष, नेता, राजनेता, सांसद, विधायकों के फैसले, इनका स्वार्थ और व्यवहार कमोबेश एक जैसा होता है। सियासी जोड़-तोड़, धोखा,साज़िश सियासत के कॉमन चेहरे हैं। बस किरदार बदलते रहे हैं। कभी कम कभी ज्यादा। मान लीजिए महाराष्ट्र के …
Read More »गुरु से सीखकर गुरु पर वार
पवार को अजित ने गुरु दक्षिणा में दिया धोखा ! आर्थिक राजधानी है, ख़रीद-फरोख्त तो होगी ही ! आर्थिक राजधानी में विधायक बिकें तो ताजुब क्यों ! मुंबई ,: आर्थिक राजधानी में अर्थहीन राजनीति अजित पवार के चाचा भी हैं …
Read More »एनडीए-पीडीए जंग, किसमें कितना दम !
लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ रही है। भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के सामने विपक्षी गठबंधन का नाम यूपीए नहीं होगा। प्रस्तावों के अनुसार संभावित क़रीब पंद्रह दलों के महागठबंधन का नाम पीडीए हो सकता है। भाजपा चुनावी तैयारी में …
Read More »आपातकाल आधुनिक इतिहास की सबसे भयावह त्रासदी
भारत में संविधान का शासन है। संविधान निर्माताओं ने न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका में खूबसूरत अधिकार विभाजन किए हैं। लेकिन आपातकाल आधुनिक इतिहास में संविधान को तहस-नहस करने की भयावह त्रासदी है। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने आज से …
Read More »आपातकाल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे विवादास्पद एवं अलोकतांत्रिक काल कहा जाता है। आपातकाल को 48 वर्ष बीत चुके हैं, परन्तु हर वर्ष जून मास आते ही इसका स्मरण ताजा हो जाता है। इसके साथ ही आपातकाल में राष्ट्रीय …
Read More »