प्रदेश

2019: मजबूत बीजेपी एक्शन में, सुस्त विपक्ष का पता नहीं

भारतीय जनता पार्टी की रणनीति के आगे फ़िलहाल सब फेल है. इस हेतु विपक्ष को सिर्फ एक ही रास्ता सूझ रहा है और वो है महागठबंधन. मगर ये जितना दिखता है उतना आसान नहीं है. जहा विपक्ष को अभी यही तय करना है कि शुरुआत कहा से करना है वही बीजेपी की रणनीति तैयार है और उस पर काम भी शुरू कर दिया गया. कई तरह के केम्पेन के बीच अब 'मिशन स्वर्णिम अष्टभुज' को लेकर आ रही है बीजेपी. जीत के लिए BJP ने कुछ खास कदम उठाये है - कश्मीर मुद्दे को समय पर भुनाया और उसकी मार्केटिंग करने में अब बीजेपी पूरी शिद्द्दत से जुटी है . आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ सेना को खुली छूट का नारा भी इसका अहम पहलु है. यूपी चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने गन्ना किसानों को 15 दिन में भुगतान का वादा किया था मगर किसान उसे उसी समय निभाए जाने वाले वादों में गिन बैठे थे मगर वो वादा 2019 के थोड़े पहले फिर से पूरा करने के लिए या दोहराये जाने के लिए किया गया था. शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में यूपी, उत्तराखण्ड, पंजाब, कर्नाटक और महाराष्ट्र के गन्ना किसानों से मुलाकात की है जिसका फिर लम्बे समय तक असर रहेगा प्रधानमंत्री ने हर भाषण में फसल के लागत मूल्य से किसानों को डेढ़ गुना मूल्य देने का वादा दोहरा रहे है. संपर्क फॉर समर्थन का फंडा भी कमजोर रणनीति का हिंसा कतई नहीं है. रूठो को मनाए की कवायद भी जारी है. राम मंदिर मुद्दा भी फिर से छेड़ ही दिया गया है जो हर काल खंड में तुरुप के इक्के के रूप में रहा है और पता नहीं कब तक रहेगा. हिन्दू कार्ड को बीजेपी कभी नहीं भूल सकती. ऊपर से लेकर निचे तक के हर नेता को मुद्दे रटा दिए गए है और लम्बी चौड़ी फ़ौज अपने काम में जुट गई है सबसे बड़ी बाद जिम्मेदारी और विजस साफ है. कुल मिलकर बीजेपी तैयार है ज पहले से ही मजबूत है वही कमजोर विपक्ष अभी भी बगले झांक रहा है.

भारतीय जनता पार्टी की रणनीति के आगे फ़िलहाल सब फेल है. इस हेतु विपक्ष को सिर्फ एक ही रास्ता सूझ रहा है और वो है महागठबंधन. मगर ये जितना दिखता है उतना आसान नहीं है. जहा विपक्ष को अभी यही …

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तो क्या उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा अब दलालों और पैसों के चंगुल में फंस चुके हैं

मेरी एक दोस्त हैं भारती सिंह । बहुत ही संवेदनशील , भावुक और हिंदी साहित्य की मर्मज्ञ । विदुषी हैं । उन्नाव के एक गवर्मेंट डिग्री कालेज में प्रिंसिपल हैं । पहले लखनऊ में ही एक डिग्री कालेज में हिंदी पढ़ाती थीं । प्रिंसिपल होने के बाद उन्नाव ट्रांसफर कर दी गईं । लखनऊ से रोज आती-जाती हैं । इस उम्मीद में कि लखनऊ ट्रांसफर हो जाएगा । बहुत दौड़-धूप , सोर्स-सिफ़ारिश सब कर लिया है । उप मुख्यमंत्री और शिक्षा विभाग देख रहे दिनेश शर्मा से , प्रमुख सचिव तक से भी मिल चुकी हैं , अपनी व्यथा और निवेदन ले कर । देवरिया की हैं । गोरखपुर और बी एच यू में पढ़ी-लिखी हैं । क्षत्रिय भी हैं । सो वहां के संपर्कों के मार्फ़त मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी तक से सिफ़ारिश करवाई । योगी ने संस्तुति भी कर दी उन्नाव से लखनऊ ट्रांसफर के लिए । लेकिन उप मुख्य मंत्री दिनेश शर्मा ने मुख्यमंत्री योगी की संस्तुति को डस्टविन में डाल दिया । भारती सिंह का ट्रांसफर लखनऊ नहीं किया । पता चला कि कभी साफ़-सुथरी छवि के लिए जाने , जाने वाले दिनेश शर्मा अब दलालों और पैसों के चंगुल में फंस चुके हैं । सो जाने कितनी भारती सिंह के आवेदन मुख्य मंत्री की संस्तुति के बाद भी दिनेश शर्मा डस्टविन में डाल देने के आदी हो चले हैं । भारती सिंह  भारती सिंह भी दिनेश शर्मा की इस करतूत से खफ़ा रहती हैं लेकिन उन्हों ने कभी अपनी सीमा रेखा पार नहीं की । मानसिक संतुलन नहीं खोया कभी । अपना विवेक , अपनी संजीदगी और संयम कायम रखा है । बावजूद इस के वह जब कभी इस प्रसंग की चर्चा करती हैं तो मृदुभाषी होने के बावजूद दिनेश शर्मा के प्रति उन की बातों में तल्खी आ ही जाती है । भारती सिंह के पति एच एल में डाक्टर थे जो दुर्भाग्य से अब नहीं हैं । एक बेटे और एक बेटी की ज़िम्मेदारी है भारती सिंह पर। उन्नाव से लखनऊ ट्रांसफर से भी एक बड़ी दिक्कत यह है कि नरेंद्र मोदी के तमाम स्वच्छता और शौचालय अभियान के बावजूद उन्नाव के उस गवर्मेंट डिग्री कालेज में एक शौचालय भी नहीं है । बताइए कि जब गवर्मेंट डिग्री कालेज का यह हाल है तो बाक़ी कालेजों और स्कूलों का क्या हाल होगा । पर दिनेश शर्मा को यह नहीं मालूम होगा । सत्ता पाने के बाद अगर दिनेश शर्मा जैसा शिक्षक और साफ़-सुथरी छवि वाला आदमी भी बिगड़ कर बदनाम हो सकता है , पैसा और दलाली के तामझाम में फंस सकता है , पतन की पराकाष्ठा पार कर सकता है तो बाक़ी लोगों के क्या कहने । तो क्या पहले की दिनेश शर्मा की छवि नकली थी , बनावटी थी ? जिस की कलई अब खुल गई है ? उत्तराखंड की प्राथमिक शिक्षक उत्तरा बहुगुणा की पीर क्या ऐसे ही पर्वत हुई होगी जो उन्हें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भरी सभा में चोर उचक्का कह गईं । मुख्यमंत्री रावत ने अपनी सारी लोक-लाज और मर्यादा ताक पर रख दी । बरसों की सेवा के बाद दुर्गम से सुगम का ट्रांसफर ही तो मांग रही थीं उत्तरा बहुगुणा । मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पत्नी भी प्राथमिक शिक्षक हैं , शुरू ही से सुगम नियुक्ति मिली हुई है । रावत को इस नाते भी उत्तरा बहुगुणा की दिक्कत समझनी चाहिए थी । लेकिन गरिमा बना कर चुप रहने या उत्तरा बहुगुणा की समस्या का समाधान करने की जगह एक शिक्षिका से निरंतर अभद्रता , अशिष्टता का उन का बर्ताव उन्हें एक नालायक , अभद्र और गुंडा मुख्यमंत्री सिद्ध कर गया है । उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा या उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को समझना चाहिए कि एक स्त्री , एक शिक्षक के साथ अपमानजनक व्यवहार उन्हें कहां से कहां पहुंचा सकता है । उन्हें याद रखना चाहिए कि चाणक्य भी शिक्षक थे । चाणक्य के साथ एक अपमानजनक व्यवहार नंद वंश के पतन का कारण बन गया था । अटल बिहारी वाजपेयी याद आते हैं । कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे तब । अटल जी तब तक प्रधानमंत्री नहीं हुए थे । दिल्ली से वह सुबह-सुबह लखनऊ आए थे । लखनऊ मेल से । मीराबाई मार्ग वाले स्टेट गेस्ट हाऊस में ठहरे थे । उन से मिलने के लिए उसी सुबह कल्याण सिंह , राजनाथ सिंह , कलराज मिश्र सहित और कई मंत्री , भाजपा के नेता आदि पहुंचे हुए थे । बतौर पत्रकार मैं भी गया था । लेकिन देखा कि एक बिलकुल गंवई , कस्बाई सा मुड़ी-तुड़ी कमीज , पायजामा पहने , एक व्यक्ति हाथ में कपड़े का एक मामूली झोला लिए खड़ा था । मेरी नज़र बार-बार इस आदमी पर चली जाती । अंततः उस आदमी के पास मैं गया और पूछा कि आप कैसे आए हैं यहां । उस आदमी ने कहा , पंडित जी से मिलने । यह सुन कर मैं ने फिर उस आदमी की वेश-भूषा और व्यक्तित्व पर नज़र डाली और पूछा कि आप को लगता है कि पंडित जी आप से मिल लेंगे ? वह आदमी पूरे आत्म-विश्वास से बोला , हां ! मैं चुपचाप हट गया वहां से । यह सोच कर कि इस आदमी का दिल मैं क्यों तोडूं भला । थोड़ी देर में अटल जी अपने कमरे से बाहर आए और गरदन घुमा-घुमा कर चारो तरफ सब की तरफ देखा और अचानक उस साधारण से व्यक्ति को देखते ही उन की आंखों में चमक आ गई । अटल जी ने सब से पहले उसी व्यक्ति को इशारों से बुला लिया । मुख्य मंत्री और तमाम मंत्री अवाक खड़े रह गए थे । वह आदमी उम्र होने के बावजूद बड़ी फुर्ती से अटल जी के पास गया । अटल जी उस व्यक्ति से लपक कर मिले , उस का कुशल क्षेम पूछा । फिर उस ने अपने झोले से एक कागज निकाला । अटल जी ने कागज़ पढ़ा फिर खड़े-खड़े ही उस पर कुछ लिखा और वह आदमी उन को नमस्कार कर वापस आ गया । अब मेरी जिज्ञासा उस व्यक्ति में बढ़ गई । मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों का अटल जी से मिलना-बतियाना , देखना छोड़ उस आदमी की तरफ बढ़ गया । उस का परिचय पूछा । पता चला कि हरदोई ज़िले के संडीला से आया था वह व्यक्ति । अटल जी बहुत पहले , कभी कुछ दिन संडीला में रहे थे । तब ही से वह उन से परिचित था । उस की अप्लिकेशन देखी मैं ने । अप्लिकेशन के मुताबिक उस व्यक्ति के पास उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बस में चलने का नि:शुल्क बस पास था , अब उम्र ज़्यादा होने के कारण अपने साथ एक सहायक की भी सुविधा चाहता था । इस आवेदन पर अटल जी ने सिर्फ इतना लिखा था , परिवहन मंत्री , इस पर उचित कार्रवाई करें । मैं यह देख कर हंसा और बोला , यह तो कोई आदेश नहीं है । इस पर कुछ नहीं होगा । इस पर उस आदमी ने कागज मेरे हाथ से ले लिया और पूरे विश्वास के साथ बोला , इसी पर सब कुछ होगा । जैसे उस ने जोड़ा , मेरा पास भी यही लिखने पर बन गया था । आप देखिएगा , यह भी हो जाएगा । यह कह कर वह आदमी चला गया । मैं ने बाद में पता किया तो पता चला कि सचमुच उस आदमी को सहायक वाली सुविधा भी मिल गई थी । सोचिए कि तब क्या दिन थे और अब कैसे दिन हैं कि मुख्यमंत्री की संस्तुति को भी दिनेश शर्मा जैसे लोग डस्टविन में डाल देते हैं । और भारती सिंह जैसी प्रिंसिपल उन्नाव से लखनऊ की रोज परिक्रमा करने को अभिशप्त हो जाती हैं । बिना शौचालय वाले गवर्मेंट डिग्री कालेज में दिन गुज़ारती हुई । उत्तरा बहुगुणा जैसी प्राथमिक शिक्षक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास फ़रियाद करते हुए अपमानित हो कर सस्पेंड हो जाती हैं । तो क्या दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय की अवधारणा अटल बिहारी वाजपेयी तक ही सीमित थी । उत्तर प्रदेश के दिनेश शर्मा और उत्तराखंड के त्रिवेंद्र सिंह रावत तक आते-आते सूख जाती है अंत्योदय की यह नदी , यह अवधारणा ! यह तो शुभ संकेत नहीं है । किसी भी सत्ता के लिए शुभ नहीं है । न उत्तराखंड के लिए , न उत्तर प्रदेश के लिए । कहां तो बात अंत्योदय की होनी थी , कहां आप अपनी शिक्षिका और अपनी प्रिंसिपल तक भी नहीं पहुंच पा रहे । अंतिम आदमी तक क्या खाक पहुंचेंगे ! जो सत्ता अपने शिक्षक को सम्मान न दे सके उस सत्ता को कोई क्यों मान देगा भला । क्यों स्वीकार करेगा भला ।

मेरी एक दोस्त हैं भारती सिंह । बहुत ही संवेदनशील , भावुक और हिंदी साहित्य की मर्मज्ञ । विदुषी हैं । उन्नाव के एक गवर्मेंट डिग्री कालेज में प्रिंसिपल हैं । पहले लखनऊ में ही एक डिग्री कालेज में हिंदी …

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योगी राज में विद्युत आपूर्ति में अभूत पूर्व सुधार के लिए प्रदेश सरकार को बधाई – शलभ मणि त्रिपाठी

सवा लाख मजरों को अंधेर में छोड़ने वाले अखिलेश से बेहतर हुई बिजली व्यवस्था पर दे रहे है गुमराह करने वाले बयान लखनऊ 30 जून 2018, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि उ०प्र० के …

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उत्तराखंड: खाई में गिरी बस 22 लोगों की मौत

उत्तराखंड से एक बड़ी खबर मिल रही है. खबर के अनुसार उत्तराखंड के पौड़ी के घुमावदार क्षेत्र में बस का बैलेंस बिगड़ने के कारण यह बड़ा हादसा हो गया है. बताया जा रहा है कि बस में करीब 40-45 लोगों के बैठे होने का अंदेशा था वहीं अभी मिल रही खबर के अनुसार 22 लोगों की मौत हो गई है. उत्तराखंड से मिल रही इस बड़ी खबर में अभी रेस्क्यू के लिए आपातकालीन सुविधाओं के साथ SDRF का दल रवाना हो गया है. बताया जा रहा है कि जिस जगह पर बस का एक्सीडेंट हो गया है यह काफी पिछड़ा हुआ इलाका है. यहाँ पर मोबाइल फोन के नेटवर्क नहीं मिलते है ऐसे में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. मौके पर पहुंचे कुछ लोगों ने घटना में घायल और मृत लोगों को निकालने की कोशिश की लेकिन बस के गिरने के बाद लोग बुरी तरह से उसके भीतर दबे हुए है. हाल ही में हिमाचल प्रदेश में इस तरह का एक एक्सीडेंट संज्ञान में आया था. उत्तराखंड में पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण जरा सी लापरवाही से इस तरह की घटनाएं आम हो चली है. इस तरफ न प्रशासन का ध्यान जाता है न ही सरकार का.

उत्तराखंड से एक बड़ी खबर मिल रही है. खबर के अनुसार उत्तराखंड के पौड़ी के घुमावदार क्षेत्र में बस का बैलेंस बिगड़ने के कारण यह बड़ा हादसा हो गया है. बताया जा रहा है कि बस में करीब 40-45 लोगों …

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मंदसौर बलात्कार मामले में अखिलेश का बीजेपी पर निशाना

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंदसौर गैंगरेप में बीजेपी पर निशाना साधा है. अखिलेश यादव ने कहा कि "मंदसौर की घटना काफी अमानवीय और हृदय विदारक है. यह बहुत शर्म एक विषय है कि भाजपा के राज्यों में महिलाओं और बच्चों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ी है और इन घटनाओं पर भाजपा का रवैया हमेशा से शून्य ही रहा है." अखिलेश ने हाल ही में अपना एक बयान जारी करते हुए कहा है कि "बीजेपी की जो भी नीतियां है वो महिला विरोधी है." वहीं अखिलेश यादव ने आगे कहा कि "देश में जहाँ-जहाँ भी बीजेपी की सरकारें है वहां-वहां इस तरह की घटनाएं बढ़ने के साथ ही अपराधियों का हौसला भी बढ़ा है." अखिलेश ने कहा कि "भाजपा नेता बातें तो बड़ी-बड़ी करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत में उनके परिणाम शून्य ही रहते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बलात्कार की घटनाओं पर शासन प्रशासन को अत्यंत कठोर कार्रवाई करनी चाहिए और अपराधियों को कड़ा दंड मिलना चाहिए. जो सरकार महिलाओं और बच्चियों की इज्जत और सुरक्षा नहीं कर सकती है उसे सत्ता में बने रहने का हक नहीं हैं. जनता भाजपा को इन घटनाओं के लिए माफ नहीं करेगी."

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंदसौर गैंगरेप में बीजेपी पर निशाना साधा है. अखिलेश यादव ने कहा कि “मंदसौर की घटना काफी अमानवीय और हृदय विदारक है. यह बहुत शर्म एक विषय …

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ईश्वर करे बिहार में कोई उथल पुथल न हो-राज्यपाल

बिहार के राज्यपाल कहते हैं, राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. वह राष्ट्रपति और सरकार के बीच सेतु का काम करता है.' इसके अलावा राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री से कम शक्तियां होने के सवाल पर सत्यपाल मलिक ऐसी बात से इनकार करते हैं. उन्होंने साफ कहा कि फ़ेडरल सिस्टम में पावर की ज़्यादा ज़रूरत नहीं होती है और राज्यपाल के पास वर्तमान समय में पर्याप्त शक्ति प्राप्त है. राज्यपाल सत्यपाल मलिक बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं.उन्होंने कहा 'चाणक्य ने कहा कि जब तक व्यवस्था पूरी तरह से ठीक न हो जाए, तब तक शासक को संतुष्ट नहीं होना चाहिए. उच्च शिक्षा के स्तर को लेकर मैं भी संतुष्ट नहीं हूं.' मलिक ने आगे कहा, 'शिक्षा की बदहाली के लिए हम सब दोषी हैं. क्लास ठीक से नहीं हो रहा, पढ़ाई समय पर नहीं हो रही. हमने कुलपतियों की बैठक कर सुधारने के लिए सख़्त क़दम उठाने को कहा है और अब कुलपतियों की बैठक भी हो रही है, जो पहले नहीं होती थी.' उन्होंने कहा था कि अगर लड़कियों को कोई दिक़्क़त हो तो वे सीधे राजभवन फ़ोन करें. इसे लेकर पूछे जाने पर राज्यपाल मलिक ने कहा, 'देखिये उस बात को ग़लत तरीक़े से लाया जा रहा था. आज पुलिस के रवैये को देखिए एक एफआईआर करवाने तक में दिक़्क़त होती है. मैंने कहा था कि अगर कोई समस्या होती है तो उसे दूर करने के लिए मैं हूं. इसका परिणाम हुआ कि तीन दिन बाद बेतिया से एक लड़की का फ़ोन आया. सत्यपाल मलिक कहते हैं, 'मैं ऐसे हाथ धरे नहीं बैठ सकता, लेकिन ये काम सरकार का है. मैं एक और सेंटर नहीं बनना चाहता. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं, लेकिन किसी लड़की को असहाय नहीं छोड़ सकते.'

बिहार के राज्यपाल कहते हैं, राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. वह राष्ट्रपति और सरकार के बीच सेतु का काम करता है.’ इसके अलावा राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री से कम शक्तियां होने के सवाल पर सत्यपाल मलिक ऐसी बात से …

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अमेरिका हमें न सिखाए तेल कहा से लेना है-ओवैसी

ईरान से भारत को तेल आयात खत्म करने के लिए करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के फरमान पर भारत के एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अमेरिका को आड़े हाथों लेते हुए जमकर खरी खोटी सुनाई है. ज्ञात हो कि अमेरिका ने पिछले हफ्ते ही भारत समेत अन्य देशों को ईरान से तेल आयात नहीं करने की चेतावनी दी थी क्योंकि ईरान पर 4 नवंबर से अमेरिकी प्रतिबंध लगा हुआ है. असदुद्दीन ओवैसी यहाँ ही नहीं रुके और आगे उन्होंने कहा कि भारत की संप्रभुता में दखल देने वाला अमेरिका कौन होता है. भारत की संप्रभुता पर अमेरिका कैसे हस्तक्षेप कर सकता है. ओवैसी ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में जनसभा को संबोधित करते वक़्त यह बयान दिया. साथ ही उन्होंने कहा, ‘अमेरिका कौन होता है भारत को कहने वाला? आप हमें कैसे कह सकते हो कि हम यहां से तेल खरीदे और यहां से नहीं? क्या अमेरिकी राष्ट्रपति को यह कहना चाहिए कि हम कहां से चीजें खरीदें और कहां से नहीं? क्या यह भारत की संप्रभुता में अमेरिका का दखल नहीं है?’ गौरतलब है कि ईराक और सऊदी अरब के बाद भारत ईरान का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. 2017 से 2018 तक ईरान ने भारत को 18.4 मिलियन टन का कच्चा तेल दिया है

ईरान से भारत को तेल आयात खत्म करने के लिए करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के फरमान पर भारत के एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अमेरिका को आड़े हाथों लेते हुए जमकर खरी खोटी सुनाई है. …

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भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी की मुहिम अंजाम तक ,लोक सेवा आयोग और गोमती के गुनहगारों पर कसा सीबीआई का शिकंजा – शलभ मणि त्रिपाठी

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य नाथ जी की अगुवाई में भ्रष्टाचार के खिलाफ छेडी गयी मुहिम का बड़ा असर हुआ है और इस मुहिम से भ्रष्टाचारियों में …

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पटना पहुंचे हार्दिक ने कहा नितीश से मिलने में कोई रूचि नहीं

गुजरात में किसानों के नेता कहे जाने वाले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल शुक्रवार को पटना पहुंचे थे. इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए हार्दिक पटेल ने कहा कि वो नितीश कुमार से मिलने में कोई रूचि नहीं रखते, क्योंकि नितीश कुमार अब बीजेपी के साथ है और मैं बीजेपी के खिलाफ हूँ. बातों ही बातों में हार्दिक पटेल ने नितीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा है कि "नीतीश कुमार ने अपना रास्ता बदल दिया है. वह अब भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं. उनसे मिलने और बातचीत करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि मैं बीजेपी के खिलाफ हूं." हार्दिक यहां कुछ कार्यक्रमों में हिस्सा लेने आए हुए हैं." पाटीदार नेता ने कहा, "मैं लालू यादव से मिलकर उनसे बात करना चाहता हूं, लेकिन मुझे पता चला है कि वह मुंबई में हैं, जहां उनका इलाज चल रहा है." उन्होंने कहा कि अब वह बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से मुलाकात करेंगे. इससे पहले जैसे ही हार्दिक पटेल पटना के एयरपोर्ट पर उतरे, दर्जनों की संख्या में समर्थकों ने उनके लिए नारेबाजी की. बता दें, यह हार्दिक का दूसरा पटना दौरा है, इससे पहले 2016 में भी हार्दिक पटेल पटना आ चुके है.

गुजरात में किसानों के नेता कहे जाने वाले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल शुक्रवार को पटना पहुंचे थे. इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए हार्दिक पटेल ने कहा कि वो नितीश कुमार से मिलने में कोई रूचि नहीं रखते, क्योंकि …

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मोदी को दावों को झूठा साबित करता अमित शाह का यह ट्वीट

राजस्थान में राज्यसभा सांसद मदनलाल सैनी को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है और वो भी तब जब सूबे में विधानसभा चुनाव होने है. इसके साथ ही अमित शाह ने बीजेपी से ओबीसी समुदाय की नाराजगी दूर करने और पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत के पक्के वोटो में सेंध का साँझा प्लान बनाया है. गेहलोत और सैनी दोनों माली समुदाय के चेहरे है. राजस्थान में उपचुनाव में बीजेपी को मिली हार के बाद वसुंधरा राजे के करीबी अशोक परणामी ने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था तब से लेकर अब तक पद खाली था. अध्यक्ष पद को लेकर हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष के साथ बैठक में राजस्थान के बीजेपी नेता साफ कहा था कि अगर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सोच समझ कर नहीं बनाया जाता है, तो आगामी चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा. इन नेताओं का मानना है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजपूत समुदाय से हैं और अध्यक्ष भी यदि उसी समुदाय से आते है तो दूसरी जातियां नाराज हो जाएंगी, जिसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है. राज्यसभा सांसद मदनलाल सैनी ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालते ही कहा कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे वो निभाएंगे और चुनाव में 180 सीट जीतने का लक्ष्य पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि हम निश्चित ही विधानसभा और लोकसभा चुनाव जीतेंगे.

राजस्थान में राज्यसभा सांसद मदनलाल सैनी को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है और वो भी तब जब सूबे में विधानसभा चुनाव होने है. इसके साथ ही अमित शाह ने बीजेपी से ओबीसी समुदाय की नाराजगी दूर करने और …

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