दुनिया

न्यूजीलैंड की पीएम ने मां बन रचा इतिहास

जेसिंडा ने इस बात की जानकारी देते हुए अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से एक पिक्चर शेयर करते हुए लिखा, 'मुझे पूरा यकीन है कि हम उन्हीं सारी भावनाओं से गुजर रहे हैं जिससे नए माता-पिता गुजरते हैं. साथ ही हम कई लोगों से मिली शुभकामनाओं के लिए भी आभारी हैं.' गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री का पद सँभालने के बाद इस महीने जनवरी में उन्होंने अपने गर्भवती होने की सूचना दी थी.

न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने आज एक बच्ची को जन्म देकर मां बनने का सुख प्राप्त किया. उन्होंने ऑकलैंड के एक अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया. इस बच्चे के जन्म के साथ ही वह दुनिया की दूसरी ऐसी …

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हाफिज ने निकाला टेरर फंडिंग का नया फार्मूला

पाकिस्तान में महफूज बैठे आतंक के पालनहार मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद को पाकिस्तान अब फंड मुहैया कराने का नया तरीका सोच रहा है. अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते धन की कमी से झुंझते लश्कर के लिए हाफिज सईद ने PAK अधिकृत कश्मीर में चल रहे इकोनॉमिक कॉरिडोर यानि सीपीईसी प्रोजेक्ट में अपने टेक्नोक्रेट लगाकर फंड पैदा करने का नया उपाय सोचा है. इस काम के लिए मुखिया 26/11 के मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान मक्की को बनाया गया है जो 300 टेक्नोक्रेट यानी लश्कर और जमात-उद-दावा के लोगों को प्रोफ़ेसर बनकर ट्रेंड करेगा. ट्रेनिंग के बाद ये सरगना चीन की मदद से बन रहे पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर में नौकरी करके आतंक के लिए धनार्जन करेंगे. सूत्रों के अनुसार 300 पाकिस्तानी इंजीनियर्स को सीपीईसी से जुड़ने को कहा गया है, जिन्होंने आतंकी संगठन से ट्रेनिंग ली है. गौरतलब है कि हाफिज सईद जुलाई में होने वाले आम चुनावो में अपने कुल 200 से अधिक प्रत्याशी भी खड़े कर रहा है. जिनमे एक बड़ी सख्या उसके रिश्तेदारों की भी है. पाकिस्तान का मुस्तकबिल बनने का सपना देखने वाला ये सरगना फ़िलहाल पाक की सुरक्षा में अपनी हर चाल चल रहा है.

पाकिस्तान में महफूज बैठे आतंक के पालनहार मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद को पाकिस्तान अब फंड मुहैया कराने का नया तरीका सोच रहा है. अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते धन की कमी से झुंझते लश्कर के लिए हाफिज सईद ने …

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आतंक के सुरक्षित ठिकानों को खत्म करने में पाक नाकाम : अमेरिकी अधिकारी

अमेरिका की एक प्रमुख राजनयिक ने कहा है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के सुरक्षित पनाहगाहों के खिलाफ ठोस और निर्णायक कार्रवाई नहीं की है जबकि अमेरिका उससे कठोर कार्रवाई की उम्मीद करता है। अमेरिकी अधिकारी ने यह बात अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दक्षिण एशिया के लिए अपनी रणनीति पेश करने के करीब एक वर्ष बाद कही है। दक्षिण एवं पश्चिमी एशिया मामलों के लिए वरिष्ठ ब्यूरो अधिकारी एलिस जी. वेल्स ने कहा कुछ सकारात्मक संकेतकों के बावजूद अमेरिका ने अभी तक पाकिस्तान को निरंतर और निर्णायक कदम उठाते नहीं देखा जो वह दक्षिण एशिया रणनीति घोषित होने के बाद देखना चाहेगा। इसमें बातचीत की मेज पर नहीं आने वाले तालिबान तत्वों की गिरफ्तारी या उन्हें निष्कासित करना शामिल है। वेल्स ने सदन की विदेश मामलों की समिति के समक्ष पेश होने से पहले अपने पहले से तैयार बयान में कहा कि पाकिस्तान नोटिस पर है और हम उस पनाहगाहों को समाप्त करने में उसका स्पष्ट सहयोग चाहते हैं जिसका लाभ तालिबान 2001 में पाकिस्तान जाने के बाद से उठा रहा है।

अमेरिका की एक प्रमुख राजनयिक ने कहा है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के सुरक्षित पनाहगाहों के खिलाफ ठोस और निर्णायक कार्रवाई नहीं की है जबकि अमेरिका उससे कठोर कार्रवाई की उम्मीद करता है। अमेरिकी अधिकारी ने यह बात अमेरिका के …

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46 साल पहले ही US ने की थी भारत को UN सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने की वकालत

95 वर्षीय किसिंजर वैश्विक पहचान रखने वाले अमेरिकी राजनयिक एवं राजनीतिक विज्ञानी हैं. उन्हें 1973 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था.

अमेरिका में बुधवार को जारी किए गए दशकों पुराने एक कूटनीतिक संवाद के अनुसार 46 साल पहले ही अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को शामिल करने की बात कही थी. दरअसल, 1972 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड …

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चीनी राजदूत के बयान पर US बोला- भारत-PAK मामले में तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं

चीन ने बनाई थी बयान से दूरी चीन ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के बैनर तले भारत, चीन एवं पाकिस्तान के बीच त्रिपक्षीय सहयोग कायम करने के अपने राजदूत के हालिया बयान से दूरी बनाई थी. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग से जब लुओ के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत एवं पाकिस्तान चीन के मित्र और पड़ोसी हैं. उन्होंने कहा, ‘हम पाकिस्तान और भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ संबंध बनाए रखना चाहते हैं ताकि इस क्षेत्र के बेहतर विकास एवं स्थिरता के लिए हमारा सहयोग मजबूत हो सके.’ इससे पहले भी लुओ का बयान था चर्चा में आपको बता दें कि इससे पहले भी लुओ का एक बयान चीन के लिए आफत बन गया था. मई 2017 में लुओ ने नई दिल्ली में हुई एक बैठक में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का नाम बदलने का सुझाव दिया था ताकि भारत की चिंताओं पर ध्यान दिया जा सके. बाद में शायद पाकिस्तान के ऐतराज के बाद उनकी टिप्पणी को वेबसाइट पर डाले गए ट्रांसक्रिप्ट से हटा दिया गया था.

भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर भारत में चीन के राजदूत लुओ झाओहुई के बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है. लुओ ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक समिट का आयोजन करने की बात की थी, लेकिन चीन ने …

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देश का बंटवारा नहीं होने देंगे- ब्रिटेन पीएम

ब्रिटेन में एक साल पहले उत्तरी हिस्से में एक मस्जिद पर आतंकी हमला हुआ था. जिसकी बरसी पर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेजा मे ने इस मौके पर कहा कि ‘‘घिनौने आतंकवादी’’ हमारे देश का बंटवारा नहीं कर सकते. ज्ञात हो कि पिछले साल 19 जून को उत्तरी लंदन में फिन्सबरी पार्क स्थित मस्जिद में एक व्यक्ति ने नमाज़ियों के बीच एक गाड़ी घुसा दी थी. जिसमे छह बच्चों के पिता मकरम अली की मोके पर ही मौत गई थी और 12 अन्य लोग घायल हो गए थे. यहाँ कि स्‍थानीय पुलिस के मु‍ताबिक उत्तरी लंदन में एक तेज रफ्तार वाहन ने राहगीरों को कुचलने की कोशिश की थी. जिसकी याद में स्थानीय समयानुसार सुबह साढ़े नौ बजे एक मिनट तक मौन रखकर मकरम अली को श्रद्धांजलि दी गई. आयोजित इस कार्यक्रम में इस्लिंगटन टाउन हॉल में गृह मंत्री साजिद जाविद, लंदन के मेयर सादिक खान और विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कार्बीन मस्जिद के इमाम मोहम्मद महमूद के साथ संम्मिलित हुए. टेरेजा मे ने एक बयान में कहा, ‘‘इन सभी आतंकवादी गतिविधियों का लक्ष्य हमे आपस में बांटना है लेकिन हम ऐसा कभी होने नहीं देंगे.’’ बता दें कि घटना लंदन के फिन्सबरी पार्क इलाके में सेवन सिस्टर्स रोड घटी थी.

ब्रिटेन में एक साल पहले उत्तरी हिस्से में एक मस्जिद पर आतंकी हमला हुआ था. जिसकी बरसी पर  ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेजा मे ने इस मौके पर कहा कि ‘‘घिनौने आतंकवादी’’ हमारे देश का बंटवारा नहीं कर सकते. ज्ञात हो …

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पत्नी के विरोध के बाद ट्रंप ने बदला अपना फैसला

गृह सुरक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार 19 अप्रैल से 31 मई के बीच करीब 2,000 बच्चे अपने माता-पिता एवं अभिभावक से अलग कर उन्हें विशेष केंद्रों में रखा गया . जब माता-पिता से बिछड़े बच्चों की तस्वीरें और कहानियां अमरीका में चर्चित होने लगी तो इसका विरोध शुरू हुआ और इसकी गूंज वाइट हाउस तक पहुंची. अंत में इसे बदले का निर्णय लिया गया.

तमाम विवादों विरोधो और आलोचनाओं के बाद सीमा पर प्रवासी परिवारों को अलग करने के अपने फैसले को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बदलना पड़ा और इस हेतु एक आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद उन्होंने कहा कि यह …

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पाक आम चुनाव: पूर्व पीएम अब्बासी और इमरान खान के नामांकन पत्र खारिज

बड़े नेताओं को झटका देते हुए पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने इस्लामाबाद के एनए- 53 निर्वाचन क्षेत्र के लिए पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल-एन नेता शाहिद खाकान अब्बासी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान खान के नामांकन पत्र आज खारिज किए. डॉन अखबार की एक खबर के मुताबिक निर्वाचन अधिकारी ने एनए- 53 के लिए अब्बासी और उनके वैकल्पिक उम्मीदवार सरदार महताब के नामांकन पत्र खारिज कर दिए. दोनों उम्मीदवार आवश्यकता के अनुसार हलफनामा दायर करने में नाकाम रहे थे. चुनाव अधिकारी के मुताबिक अब्बासी ने अपने दस्तावेजों के साथ टैक्स रिटर्न की जानकारी जमा नहीं की. उम्मीदवारों ने मंगलवार को चुनाव न्यायाधिकरण में फैसले को चुनौती देने की बात कही है. खान के नामांकन पत्र को भी पूरी जानकारी ना होने के चलते खारिज कर दिया गया. ऐतिहासिक हैं ये चुनाव आपको बता दें की पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव होने हैं. ये चुनाव इसलिए ऐतिहासिक हैं क्योंकि पिछली सरकार ऐसी दूसरी सरकार थी जिसने अपने पांच सालों का कार्यकाल पूरा किया था. आपको मालूम होगा कि भारत और पाकिस्तान को एक साथ आज़ादी मिली थी. लेकिन एक तरफ जहां भारत में 1975 में तकरीबन 18 महीनों के लिए लगाई गई इमरजेंसी के अलावा हमेशा लोकतांत्रिक सरकार रही है. वहीं, पाकिस्तान में पिछली दो सरकारों को छोड़कर कोई भी लोकतांत्रिक सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है.

बड़े नेताओं को झटका देते हुए पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने इस्लामाबाद के एनए- 53 निर्वाचन क्षेत्र के लिए पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल-एन नेता शाहिद खाकान अब्बासी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान खान के नामांकन पत्र आज खारिज किए. …

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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर हुआ अमेरिका

अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बाहर होने का फैसला कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हैली ने एक बयान में कहा है कि अमेरिका यह कदम उठाने जा रहा है क्योंकि मानवाधिकार परिषद इस नाम के योग्य नहीं है। जानकारी के अनुसार हैली ने कहा कि जब तथाकथित मानवाधिकार परिषद वेनेजुएला और ईरान में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन पर कुछ नहीं बोल पाती और कांगो जैसे देश का अपने नए सदस्य के तौर पर स्वागत करता है तो वह मानवाधिकार काउंसिल कहलाने का अधिकार खो देती है। अमेरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और संयुक्त राष्ट्र के लिए अमेरीका की दूत निकी हेली ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की घोषणा की. निकी हैली ने कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर हो रहा है। उन्‍होंने कहा, 'मैं यह स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि यह कदम हमारे मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं से पीछे हटना नहीं है। ये इसके विपरीत है। हमने यह कदम इसलिए उठाया, क्योंकि हमारी प्रतिबद्धता हमें एक पाखंडी और आत्म-सेवा संगठन का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं देती है, जो मानव अधिकारों का मजाक उड़ाती है।' हेली ने पिछले साल ही सदस्यता वापस लेने की धमकी दी थी। उस समय उन्होंने इजरायल के खिलाफ परिषद पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था। लेकिन मंगलवार की घोषणा यूएन मानवाधिकार परिषद प्रमुख द्वारा ट्रंप प्रशासन की निंदा किए जाने के एक दिन बाद की गई है। एक दिन पहले यूएन मानवाधिकार परिषद प्रमुख ने अप्रवासी बच्चों को उनके माता-पिता से अलग करने के लिए ट्रंप प्रशासन की निंदा की थी। गौरतलब है कि अमेरिका ने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्‍ल्‍यू बुश के शासन काल में भी तीन साल तक मानवाधिकार परिषद का बहिष्‍कार किया था, लेकिन ओबामा के राष्‍ट्रपति बनने के बाद 2009 में वह इस परिषद में फिर से शामिल हुआ था।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बाहर होने का फैसला कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हैली ने एक बयान में कहा है कि अमेरिका …

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गाजा विवाद बढ़ा, इजरायल ने मार गिराईं 25 मिसाइलें

गाजा पट्टी पर चल रही हिंसा अब बड़ा रूप लेती जा रही है. मंगलवार देर शाम को गाजा की तरफ से करीब 30 मिसाइलें इजरायल की तरफ दागी गईं थीं. बुधवार सुबह इजरायली सेना ने बयान जारी कर कहा कि 30 में से 25 टारगेट को मार गिराया गया है. पहले भी बनाया था निशाना इससे पहले भी इजरायली वायुसेना ने सोमवार को गाजा पट्टी पर हमास के नौ ठिकानों को निशाना बनाते हुए हमले किए. समाचार एजेंसी 'एफे' के अनुसार, इजरायली सेना ने दो सैन्य शिविरों और गोला बारूद के एक कारखाने को निशाना बनाया था. रिपोर्ट में कहा गया कि ये हमले पिछले कुछ सप्ताह के दौरान इजराइली क्षेत्र में जलते हुए गुब्बारों और पतंगें छोड़ने की घटना के प्रतिक्रियास्वरूप किए गए हैं. हालांकि, इस दौरान किसी को चोट नहीं आई है. क्यों है विवाद? इजरायली सेना ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने बाड़बंदी के पास तैनात इजरायली सैनिकों पर देसी बम, जलते हुए टायर तथा पत्थर फेंके थे. दूतावास संबंधी यह कदम विवादास्पद है क्योंकि फिलिस्तीनी लोग यरूशलम के एक हिस्से को अपनी भविष्य की राजधानी मानते हैं. अरब जगत में अनेक लोगों के लिए यह इस्लाम से संबंधित सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. शहर में यहूदियों और ईसाइयों के भी धार्मिक स्थल हैं. मुद्दा इतना विवादास्पद है कि अंतरराष्ट्रीय वार्ताकारों ने शांति समझौतों के अंतिम चरणों में यरूशलम से जुड़े प्रश्न को छोड़ दिया था. सयुंक्त राष्ट्र ने भी की निंदा संयुक्त राष्ट्र महासचिव एतोनियो गुतारेस ने भी प्रदर्शन के दौरान इस्राइल की गोलीबारी में बड़ी संख्या में फलस्तीनियों की मौत पर दुख जताते हुए चेतावनी दी थी कि गाजा युद्ध की कगार पर खड़ा है. गुतारेस ने कहा कि 30 मार्च को शुरू हुए प्रदर्शन के बाद से हताहत हुए फिलस्तिनियों की संख्या से वो काफी स्तब्ध हैं. जिसमें अब तक 132 फिलस्तीनी मारे जा चुके हैं और रेड क्रॉस के आंकड़ों के अनुसार 13,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. आपको बता दें कि अभी कुछ ही दिनों पहले गाजा पट्टी के पास लाखों फिलिस्तीनी प्रदर्शन करने उतरे थे. इस दौरान उनपर गोलीबारी की गई थी. जिसके विश्वस्तर पर काफी निंदा हुई थी.

गाजा पट्टी पर चल रही हिंसा अब बड़ा रूप लेती जा रही है. मंगलवार देर शाम को गाजा की तरफ से करीब 30 मिसाइलें इजरायल की तरफ दागी गईं थीं. बुधवार सुबह इजरायली सेना ने बयान जारी कर कहा कि …

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