दुनिया

कैमरे चलते रहे, मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने में लगे रहे ट्रंप, देखें: कौन किसपर भारी

आज वो लम्हा आ ही गया जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल था. सिंगापुर के कैपेला रिजॉर्ट में किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मिले तो ये पल दुनिया के इतिहास में दर्ज हो गया. ये महज मुलाकात नहीं कूटनीतिक एनकाउंटर था. किम जोंग और डोनाल्ड ट्रंप पहली बार आमने-सामने हुए तो दुनिया भर के विशेषज्ञों की नजर दोनों के हाव-भाव पर थी. दुनिया देखना चाहती थी कि किम जोंग से कैसे मिलते हैं ट्रंप. बाएं से किम जोंग और दाएं से डोनाल्ड ट्रंप की स्टेज पर जैसे ही एंट्री हुई दोनों तरफ से मनोवैज्ञानिक दांव शुरू हो गए. दरअसल ट्रंप ने आते ही जोंग से गर्मजोशी से हाथ मिलाया. जोंग के कंधे पर हाथ रखा और ये दिखाने की कोशिश की कि इस मीटिंग को लेकर वो किसी तरह के दवाब में नहीं है. जब तक कैमरे चमकते रहे. डोनाल्ड ट्रंप मीटिंग से पहले मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने में लगे रहे, वो कभी जोंग की बांह पर हाथ रखते तो कभी पीठ पर. दोनों मीटिंग के लिए आगे बढ़े तब भी ट्रंप का हाथ जोंग की पीठ पर ही था. मनोविश्लेषकों का मानना है कि इस मीटिंग को लेकर दोनों नेता दबाव में दिख रहे थे. ट्रंप के चेहर पर भी दबाव दिख रहा था. लेकिन किम जोंग ज्यादा दबाव में दिख रहे थे. शुरुआती हिचक दूर होते ही किम जोंग भी सधे और सहज दिखे. उधर, जोंग से दोगुनी उम्र के ट्रंप बार-बार ये दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि वो सुपर पावर अमेरिका के सर्वेसर्वा हैं. जब वन टू वन मीटिंग से पहले दोनों नेता लॉबी में रुके तब भी माइंड गेम जारी था. तब तक जोंग पूरी तरह सहज हो चुके थे. इस बार ट्रंप की बांह थपथपाने की बारी किम जोंग की थी. लेकिन जब मीटिंग रूम में घुसने का मौका आया तो ट्रंप ने एक बार फिर जोंग की पीठ पर हाथ रखा और रास्ता दिखाया.

आज वो लम्हा आ ही गया जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल था. सिंगापुर के कैपेला रिजॉर्ट में किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मिले तो ये पल दुनिया के इतिहास में दर्ज हो गया. ये महज मुलाकात नहीं …

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किम से डील पक्की, ट्रंप ने दिया व्हाइट हाउस आने का न्योता

जिस मुलाकात का पूरी दुनिया को इंतजार था आखिरकार वो हो ही गई. मंगलवार सुबह सिंगापुर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के बीच बैठक हुई. बैठक के बाद ट्रंप ने कहा कि ये मुलाकात उम्मीद से भी अच्छी रही. दोनों नेता जल्द ही किसी डॉक्यूमेंट भी साइन किए. दोनों ने साझा बयान जारी करते हुए कहा कि दुनिया जल्द ही बड़ा बदलाव देखेगी. इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नॉर्थ कोरिया के नेता किम जोंग उन को व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया है. इसके साथ ही ट्रंप ने कहा कि नॉर्थ कोरिया जल्द ही परमाणु निशस्त्रीकरण की कार्रवाई तेज करेगा. अभी कुछ महीने पहले तक दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग चल रही थी. लेकिन अब मिजाज पूरी तरह से बदल गया है. दोनों नेता सिंगापुर में पूरे जोश में मिले और द्विपक्षीय बातचीत की. साथ में किया दोनों ने लंच दोनों नेताओं के बीच अब तक दो दौर की बातचीत हो चुकी है. इसके अलावा दोनों नेता लंच भी कर चुके हैं. दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल की बातचीत के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि किम जोंग से उनकी बैठक उम्मीद से बेहतर हुई है. इसके अलावा दोनों नेता बैठक के बाद रिजॉर्ट के अंदर टहलते हुए भी दिखाई दिए. LIVE: किम से दो दौर की बात, साथ लंच, ट्रंप बोले- उम्मीद से बेहतर रही मुलाकात 41 मिनट चली पहली मुलाकात सेंटोसा द्वीप के कैपेला रिजॉर्ट में दोनों नेताओं के बीच 41 मिनट तक वन-ऑन-वन मुलाकात हुई. ये मुलाकात कई मायनों में ऐतिहासिक है. अमेरिका का कोई सिटिंग राष्ट्रपति पहली बार किसी उत्तर कोरियाई नेता से मिला है. वहीं, सत्ता संभालने के 7 साल बाद किम जोंग उन पहली बार इतनी लंबी विदेश यात्रा पर आए हैं. ट्रंप और किम ने क्या कहा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किम के साथ बैठकर उम्मीद जताई कि यह शिखर वार्ता 'जबरदस्त सफलता' वाली होगी. उत्तर कोरियाई नेता के बगल में बैठकर ट्रंप ने कहा, 'आगे हमारे रिश्ते बेहद शानदार होंगे. वास्तव में बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं, हम बेहद अच्छी चर्चा करने वाले हैं और हमारे रिश्ते शानदार होंगे, इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है.' ट्रंप-किम की ऐतिहासिक मुलाकात से कारोबारी खुश, एशियाई बाजार हरे निशान में उत्तर कोरियाई सर्वोच्च नेता ने कहा कि सिंगापुर में आज हो रही बैठक की राह में कई 'रोड़े' थे. उन्होंने बताया, 'हमने उन बाधाओं को पार किया और आज हम यहां हैं.' माना जा रहा है कि मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति और एक उत्तर कोरियाई नेता के बीच हो रही यह पहली शिखर वार्ता ट्रंप और किम के बीच कभी बेहद तल्ख रहे रिश्तों को भी बदलने वाली साबित होगी. मुलाकात से पहले अमेरिका ने परमाणु निरस्त्रीकरण के बदले उत्तर कोरिया को 'विशिष्ट' सुरक्षा गारंटी की पेशकश की थी.जिस मुलाकात का पूरी दुनिया को इंतजार था आखिरकार वो हो ही गई. मंगलवार सुबह सिंगापुर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के बीच बैठक हुई. बैठक के बाद ट्रंप ने कहा कि ये मुलाकात उम्मीद से भी अच्छी रही. दोनों नेता जल्द ही किसी डॉक्यूमेंट भी साइन किए. दोनों ने साझा बयान जारी करते हुए कहा कि दुनिया जल्द ही बड़ा बदलाव देखेगी. इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नॉर्थ कोरिया के नेता किम जोंग उन को व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया है. इसके साथ ही ट्रंप ने कहा कि नॉर्थ कोरिया जल्द ही परमाणु निशस्त्रीकरण की कार्रवाई तेज करेगा. अभी कुछ महीने पहले तक दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग चल रही थी. लेकिन अब मिजाज पूरी तरह से बदल गया है. दोनों नेता सिंगापुर में पूरे जोश में मिले और द्विपक्षीय बातचीत की. साथ में किया दोनों ने लंच दोनों नेताओं के बीच अब तक दो दौर की बातचीत हो चुकी है. इसके अलावा दोनों नेता लंच भी कर चुके हैं. दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल की बातचीत के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि किम जोंग से उनकी बैठक उम्मीद से बेहतर हुई है. इसके अलावा दोनों नेता बैठक के बाद रिजॉर्ट के अंदर टहलते हुए भी दिखाई दिए. LIVE: किम से दो दौर की बात, साथ लंच, ट्रंप बोले- उम्मीद से बेहतर रही मुलाकात 41 मिनट चली पहली मुलाकात सेंटोसा द्वीप के कैपेला रिजॉर्ट में दोनों नेताओं के बीच 41 मिनट तक वन-ऑन-वन मुलाकात हुई. ये मुलाकात कई मायनों में ऐतिहासिक है. अमेरिका का कोई सिटिंग राष्ट्रपति पहली बार किसी उत्तर कोरियाई नेता से मिला है. वहीं, सत्ता संभालने के 7 साल बाद किम जोंग उन पहली बार इतनी लंबी विदेश यात्रा पर आए हैं. ट्रंप और किम ने क्या कहा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किम के साथ बैठकर उम्मीद जताई कि यह शिखर वार्ता 'जबरदस्त सफलता' वाली होगी. उत्तर कोरियाई नेता के बगल में बैठकर ट्रंप ने कहा, 'आगे हमारे रिश्ते बेहद शानदार होंगे. वास्तव में बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं, हम बेहद अच्छी चर्चा करने वाले हैं और हमारे रिश्ते शानदार होंगे, इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है.' ट्रंप-किम की ऐतिहासिक मुलाकात से कारोबारी खुश, एशियाई बाजार हरे निशान में उत्तर कोरियाई सर्वोच्च नेता ने कहा कि सिंगापुर में आज हो रही बैठक की राह में कई 'रोड़े' थे. उन्होंने बताया, 'हमने उन बाधाओं को पार किया और आज हम यहां हैं.' माना जा रहा है कि मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति और एक उत्तर कोरियाई नेता के बीच हो रही यह पहली शिखर वार्ता ट्रंप और किम के बीच कभी बेहद तल्ख रहे रिश्तों को भी बदलने वाली साबित होगी. मुलाकात से पहले अमेरिका ने परमाणु निरस्त्रीकरण के बदले उत्तर कोरिया को 'विशिष्ट' सुरक्षा गारंटी की पेशकश की थी.

जिस मुलाकात का पूरी दुनिया को इंतजार था आखिरकार वो हो ही गई. मंगलवार सुबह सिंगापुर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के बीच बैठक हुई. बैठक के बाद ट्रंप ने कहा …

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किम-ट्रंप की मुलाकात, पहला दौर 50 मिनट

अंततः पहली मुलाकात हुई वो भी पुरे 50 मिनट. जी हा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन के बीच सिंगापुर के सेंटोसा द्वीप में ऐतिहासिक मुलाकात शुरू हो चुकी है और वन-ऑन-वन मुलाकात का पहला दौर खत्म हो चुका है. ये वो ऐतिहासिक 50 मिनट थे जब अमेरिका का कोई सिटिंग राष्ट्रपति पहली बार किसी उत्तर कोरियाई नेता से मिल रहा था. वही सत्ता संभालने के 7 साल बाद किम जोंग उन पहली बार इतनी लंबी विदेश यात्रा के लिए देश और अपने सुरक्षा घेरे से बाहर आये है. भारतीय समयानुसार सुबह करीब 6.30 बजे सेंटोसा द्वीप पर दोनों नेताओ ने एक दूसरे से औपचारिक मुलाकात शुरू की जिसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उम्मीद जताई कि यह शिखर वार्ता 'जबरदस्त सफलता' वाली होगी. उत्तर कोरियाई नेता के बगल में बैठकर ट्रंप ने कहा, 'आगे हमारे रिश्ते बेहद शानदार होंगे. वास्तव में बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं, हम बेहद अच्छी चर्चा करने वाले हैं और हमारे रिश्ते शानदार होंगे, इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है.' उत्तर कोरियाई तानाशाह ने कहा कि सिंगापुर में आज हो रही बैठक की राह में कई 'रोड़े' थे. उन्होंने बताया, 'हमने उन बाधाओं को पार किया और आज हम यहां हैं.' किम जोंग उन ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग से इस मुलाकात का आयोजन और इस पर 100 करोड़ खर्च करने पर कहा कि अमेरिका और उत्तर कोरिया की ऐतिहासिक मुलाकात को पूरी दुनिया देख रही है. वहीं, मुलाकात से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने लगातार किम से अपनी मुलाकात को लेकर ट्वीट किए. डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट करके कहा है कि सिंगापुर आना अहम है, वातावरण में उत्साह है!अंततः पहली मुलाकात हुई वो भी पुरे 50 मिनट. जी हा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन के बीच सिंगापुर के सेंटोसा द्वीप में ऐतिहासिक मुलाकात शुरू हो चुकी है और वन-ऑन-वन मुलाकात का पहला दौर खत्म हो चुका है. ये वो ऐतिहासिक 50 मिनट थे जब अमेरिका का कोई सिटिंग राष्ट्रपति पहली बार किसी उत्तर कोरियाई नेता से मिल रहा था. वही सत्ता संभालने के 7 साल बाद किम जोंग उन पहली बार इतनी लंबी विदेश यात्रा के लिए देश और अपने सुरक्षा घेरे से बाहर आये है. भारतीय समयानुसार सुबह करीब 6.30 बजे सेंटोसा द्वीप पर दोनों नेताओ ने एक दूसरे से औपचारिक मुलाकात शुरू की जिसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उम्मीद जताई कि यह शिखर वार्ता 'जबरदस्त सफलता' वाली होगी. उत्तर कोरियाई नेता के बगल में बैठकर ट्रंप ने कहा, 'आगे हमारे रिश्ते बेहद शानदार होंगे. वास्तव में बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं, हम बेहद अच्छी चर्चा करने वाले हैं और हमारे रिश्ते शानदार होंगे, इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है.' उत्तर कोरियाई तानाशाह ने कहा कि सिंगापुर में आज हो रही बैठक की राह में कई 'रोड़े' थे. उन्होंने बताया, 'हमने उन बाधाओं को पार किया और आज हम यहां हैं.' किम जोंग उन ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग से इस मुलाकात का आयोजन और इस पर 100 करोड़ खर्च करने पर कहा कि अमेरिका और उत्तर कोरिया की ऐतिहासिक मुलाकात को पूरी दुनिया देख रही है. वहीं, मुलाकात से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने लगातार किम से अपनी मुलाकात को लेकर ट्वीट किए. डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट करके कहा है कि सिंगापुर आना अहम है, वातावरण में उत्साह है!

अंततः पहली मुलाकात हुई वो भी पुरे 50 मिनट. जी हा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन के बीच सिंगापुर के सेंटोसा द्वीप में ऐतिहासिक मुलाकात शुरू हो चुकी है और वन-ऑन-वन मुलाकात …

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अफगानिस्तान: तालिबानी हमले में मारे गए 15 सुरक्षाकर्मी

अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबानी आतंकियों ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है. ताजा घटना कुंडूज प्रांत से आई है जहां एक शिक्षा विभाग की इमारत पर तालिबानी आतंकवादियों ने हमला कर कई सुरक्षाबलों को अपना शिकार बना लिया. बताया जा रहा है कि इस बड़े हमले में 15 सुरक्षाकर्मीयो की मौत हो गई है और कई अन्य घायल भी हुए है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हमलावरों ने जलालाबाद स्थित शिक्षा विभाग की इमारत पर हमला किया. बताया जा रहा है कि मुठभेड़ अभी भी जारी है और एक बंदूकधारी ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रहा है. बता दें कि शनिवार को अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा किए गए हमले में 19 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई, जबकि कई पुलिस कर्मी घायल भी बताए जा रहे है. एक न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक तालिबानी आतंकियों ने सैन्य बेस पर हमला किया. अचानक हुए इस हमले में 19 पुलिसकर्मी शहीद हो गए. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुछ ही घंटों पहले ईद के मौके पर अफगानिस्तान सरकार द्वारा सीजफायर के ऐलान की घोषणा की थी. हालांकि तालिबान ने सीजफायर का उन्लंघन कतरे हुए इस बड़ी घटना को अंजाम दिया है. अफगान सरकार ने सैकड़ों धार्मिक विद्वानों द्वारा जारी एक ऐतिहासिक निर्णय की प्रतिक्रिया में तालिबान के साथ आठ दिवसीय संघर्षविराम का ऐलान किया था. राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि 'संघर्षविराम रमजान के 27वें दिन (13 जून) से शुरू होकर ईद उल फितर के पांचवें दिन तक जारी रहेगा'.

अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबानी आतंकियों ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है. ताजा घटना कुंडूज प्रांत से आई है जहां एक शिक्षा विभाग की इमारत पर तालिबानी आतंकवादियों ने हमला कर कई सुरक्षाबलों को अपना शिकार बना लिया. …

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खंडहर मकान तोड़ते समय मिला सोने से भरा घड़ा, जानिए किसे मिलेगा यह धन

आपने कई बार ऐसी खबरें सुनी होगी कि लोगों को कहीं गढ़ा हुआ धन मिल गया हो। कुछ ऐसा ही पश्चिमी फ्रांस में एक खाली पड़े घर को तोड़ने पहुंची टीम के साथ हुआ। मकान को ध्वस्त करते समय उन्हें वहां एक घड़े में सोने के सिक्के मिले। पोंट-एवन के ब्रिटनी शहर स्थित एक घर में मजदूरों ने काम शुरू किया तो उन्हें वहां एक लेड का कंटेनर मिला। वह तो उन्हें वह एक सामान्य घड़ा ही लगा लेकिन न जब उन्होंने उसे हिलाया तो सिक्कों की खनक हुई। घड़े के अंदर उन्हें 600 बेल्जियम सोने के सिक्के मिले जो कि 1870 के थे और उस पर किंग लियोपोल्डज II का स्टाम्प था। इस किंग ने 1865 से 1909 तक शासन किया था। पुलिस को श्रमिकों ने जो राशि सौंपी है उसकी कीमत अभी ज्ञात नहीं है। एक स्थानीय अखबार के मुताबिक इन सिक्कों की पूरी कीमत एक लाख यूरो (1,18,000 डॉलर) हो सकती है। फ्रांसीसी कानून के तहत, जिसने इस धन को खोजा और जिस जमीन के अंदर मिला उसके मालिक के बीच ये धन आधा-आधा बंटेगा। ले बिहान के मुताबिक घर का मालिक इस धन के मिलने से जरा भी आश्चर्यचकित नहीं था क्योंकि उसके दादा कॉइन कलेक्टर थे।

आपने कई बार ऐसी खबरें सुनी होगी कि लोगों को कहीं गढ़ा हुआ धन मिल गया हो। कुछ ऐसा ही पश्चिमी फ्रांस में एक खाली पड़े घर को तोड़ने पहुंची टीम के साथ हुआ। मकान को ध्वस्त करते समय उन्हें …

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चीन जरूरी भी, मजबूरी भी: 42 दिन में मोदी-जिनपिंग की दो मुलाकातों से क्या बदला?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के क्विंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौट आए हैं. पिछले 42 दिन में ये चीन का उनका दूसरा दौरा था. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल के आखिरी हफ्ते में चीन का दौरा किया था जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वुहान शहर में मोदी की मेजबानी की थी और अनौपचारिक बातचीत में पर्सनल केमिस्ट्री पर खास जोर दिया गया था. वुहान में दोनों देशों की कोशिश ये थी कि तनाव के मुद्दों की वजह से रिश्ते खराब न हो पाएं, दुनिया ने क्विंगदाओ में इस कोशिश को और आगे बढ़ते देखा. पहली बार एससीओ का पूर्ण सदस्य भारत इस बार पीएम मोदी ने चीन का दौरा एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए किया जिसमें पहली बार भारत पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुआ. रूस-चीन, ईरान के अलावा पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य है. सुरक्षा से ज्यादा इस संगठन का जोर आर्थिक सहयोग पर है. ये दोनों मुलाकातें काफी अहम हैं, खासकर डोकलाम तनाव के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई तल्खी के मद्देनजर. डोकलाम से आगे निकले रिश्ते पिछले साल डोकलाम में सड़क निर्माण से उपजे तनाव ने युद्ध जैसे हालात उत्पन्न कर दिए थे. एशिया के दो सबसे बड़े और परमाणु संपन्न देशों के सैनिक 73 दिन तक आमने-सामने डटे रहे थे. परमाणु युद्ध तक की धमकियां दी जा रही थीं. पर्सनल केमिस्ट्री से बदले हालात डोकलाम तनाव को कम करने के लिए मोदी और जिनपिंग ने कूटनीति का सहारा लिया. साथ ही दोनों नेताओं की पर्सनल केमिस्ट्री भी काफी मददगार साबित हुई. पिछले चार साल में दोनों नेता 14 बार मिल चुके हैं. इस साल कम से कम 4 और सम्मेलनों में मुलाकातें होंगी. साथ ही जिनपिंग ने अगले साल भारत दौरे का न्योता भी स्वीकार किया है. इससे पहले सितंबर 2014 में जिनपिंग भारत आए थे. पीएम मोदी ने अहमदाबाद में उनकी अगवानी की थी. वुहान में बनी बुनियाद अप्रैल में वुहान शहर में दुनिया की दो सबसे बड़ी अभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं ने अनौपचारिक बैठक कर तनाव को दूर करने की कोशिश का ऐलान किया. आज हालात पिछले कुछ महीनों पहले की स्थिति से काफी भिन्न दिखाई दे रहे हैं. क्या बदलाव दिखा है इन 42 दिनों में भारत-चीन के रिश्तों में, सरहद पर और कूटनीति में.. -ब्रह्मपुत्र नदी का डेटा शेयर करेगा चीन शनिवार को शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद ब्रह्मपुत्र से जुड़े हाइड्रोलॉजिकल डेटा को साझा करने को लेकर अहम समझौता हुआ. पूर्वोत्तर में ब्रह्मपुत्र नदी भारत की लाइफलाइन है और वहां रहने वाले लोगों के लिए इस नदी के जल बहाव के बारे में सटीक जानकारी रखना जरूरी है. डोकलाम तनाव के बाद चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी का डेटा शेयर करना बंद कर दिया था. इससे असम समेत कई पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ के पानी पर नियंत्रण और प्रबंधन में दिक्कतें आ रही थी. -व्यापार घाटा कम करने पर सहमति भारत-चीन के संबंध आर्थिक ज्यादा हैं. चीन ने जहां भारत में 160 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, वहीं चीन के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है. भारत-चीन ने 2020 तक आपसी व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है. इसमें भारत की चिंता 51 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को लेकर थी. इसके मद्देनजर चीन ने भारत से अनाज, चीनी, अन्य कृषि उत्पादों के आयात को बढ़ावा देने का फैसला किया है. इसे व्यापार असंतुलन की भारत की चिंता के मद्देनजर बड़ा कदम माना जा रहा है. -सीमा पर तनाव कम करने के लिए मैकेनिज्म भारत और चीन के बीच 3,488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) है. आए दिन तनाव के मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों देश जल्द ही हॉटलाइन संपर्क शुरू करने जा रहे हैं. साथ ही वुहान में दोनों नेताओं के बीच अपनी-अपनी सेनाओं को स्ट्रैटेजिक गाइडेंस जारी करने और शांति बनाए रखने के लिए जरूरी स्ट्रैटेजिक मेकेनिज्म मजबूत करने पर सहमति बनी थी. एससीओ बैठक से इतर हुई मोदी-जिनपिंग मुलाकात के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि दोनों नेता सभी मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से दूर करने पर सहमत हुए हैं. सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि वार्ता करेंगे. -वित्तीय संबंध बढ़ाने पर जोर विदेश सचिव ने बताया कि भारत ने चीन के सरकारी बैंक ‘बैंक ऑफ चाइना’ को मुंबई में शाखा खोलने की अनुमति दे दी है. जिनपिंग ने दोनों देशों के बीच वित्तीय क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का सुझाव दिया था. इसके जवाब में मोदी ने कहा कि भारत बैंक ऑफ चाइना को मुंबई में शाखा खोलने की अनुमति देने को तैयार है. -कृषि उत्पादों का भारत करेगा चीन को निर्यात कृषि संबंधी समझौते के तहत अब भारत चीन को बासमती के साथ-साथ अन्य तरह के चावल, चीनी, औषधियों का निर्यात करेगा. भारत पहली बार चीन को चीनी निर्यात करने जा रहा है. पीएम मोदी ने अप्रैल की अपनी चीन यात्रा के दौरान इसका वादा किया था. भारत चीन को 10 से 15 लाख टन चीनी निर्यात की तैयारी कर रहा है. यह सौदा करीब 50 करोड़ डॉलर का हो सकता है. -पीपुल टु पीपुल कॉन्टैक्ट का नया तंत्र भारत और चीन ने विवादित मुद्दों पर बातचीत से इतर आपसी संपर्कों और व्यापारिक संबंधों के जरिए संबंध मजबूत करने का नया मंत्र अपनाया है. द्विपक्षीय रिश्तों में गति लाने के लिए भारत और चीन ने लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए नया तंत्र गठित करने का फैसला किया है. इस तंत्र में दोनों देशों के विदेश मंत्री नेतृत्व करेंगे. लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए फिल्म, संस्कृति, योग, पारंपरिक भारतीय दवाएं, कला और संग्रहालय जैसे माध्यमों पर जोर दिया गया है. इस तंत्र की पहली बैठक इसी साल होगी. चीन में भारतीय फिल्मों के प्रति बढ़ती लोकप्रियता का भी इसमें जिक्र किया गया. जिनपिंग ने भारतीय फिल्म दंगल, बाहुबली और हिंदी मीडियम का खासतौर पर उल्लेख किया. भारत से जुड़ाव के लिए हाल के वर्षों में चीन ने हिन्दी पढ़ने पर ज़ोर दिया है. चीन की 15 यूनिवर्सिटीज में हिन्दी पढ़ाई जा रही है. भारत का योग भी चीन में खासा लोकप्रिय है. चीन में लगभग 1500 योग गुरु हैं जिनमें से अधिकांश भारतीय हैं. दोनों देशों की साझा ताकत दुनिया के लिए अहम चीन और भारत का साथ आना पूरी दुनिया के लिए अहम है. दोनों देशों की आबादी 2 अरब 60 करोड़ से अधिक है. दोनों दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं. दोनों की सीमाएं आपस में मिलती हैं और सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार भी हैं. दुनिया की जीडीपी में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं. इसीलिए दोनों देशों को दुनिया का भविष्य कहा जाता है. भारत-चीन का सहयोग दुनिया की नीतियों को प्रभावित कर सकता है, इस लिहाज से आपसी विश्वास के लिए उठाए गए ये कदम न सिर्फ भारत और चीन के लिए बल्कि पूरी दुनिया खासकर तीसरी दुनिया के लिए देशों के लिए काफी अहम हैं. चीन की ओबीओआर परियोजना के खिलाफ भारत टिका हुआ है, इस दौरे में भी पीएम मोदी ने चीन की इस परियोजना को भारत की संप्रभुता के खिलाफ करार देकर ठुकरा दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के क्विंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौट आए हैं. पिछले 42 दिन में ये चीन का उनका दूसरा दौरा था. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल के …

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ट्रंप ने ट्वीट कर यूरोप को धोखा दिया, G-7 के बाद जर्मनी का बयान

जर्मन विदेश मंत्री मेको मास ने कहा कि आप महज एक ट्वीट कर बहुत तेजी से विश्वास खो देते हैं. यह बयान तब आया जब ट्रंप ने G-7 के दौरान आमराय वाले एक बयान के शब्दों को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था, 'एकजुट यूरोप अमेरिका फर्स्ट का जवाब है.' बता दें, मास के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G-7 सम्मेलन के बाद एक संयुक्त बयान से पीछे हट कर यूरोप के साथ विश्वसनीय संबंध को तार-तार कर दिया. G-7 समिट के बाद 'ट्विटर बम' फोड़ते सिंगापुर पहुंचे ट्रंप ट्रंप के इस कदम की आज जर्मनी के राजनीतिक गलियारों में व्यापक निंदा की गई. अमेरिका ने लगाया कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूदो पर आरोप इस बीच, वाशिंगटन से प्राप्त खबर के मुताबिक व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार लैरी कुदलोव ने आज कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूदो ने जी-7 सम्मेलन में हमारी पीठ में छुरा घोंपा. सिंगापुर पहुंचे दो सबसे बड़े दुश्मन, मुलाकात में खर्च होंगे 100 करोड़ रुपये कुदलोव ने कहा कि अमेरिका को जस्टिन द्वारा संवाददाता सम्मेलन में दिए बयान पर ऐतराज है. उन्होंने कहा कि हम सद्भावना के साथ बयान में शामिल हुए थे. हालांकि, इसके बाद ट्रंप ने ट्वीट किया कि उन्होंने अमेरिकी प्रतिनिधियों को बयान को मंजूरी नहीं देने का निर्देश दिया है.

जर्मन विदेश मंत्री मेको मास ने कहा कि आप महज एक ट्वीट कर बहुत तेजी से विश्वास खो देते हैं. यह बयान तब आया जब ट्रंप ने  G-7 के दौरान आमराय वाले एक बयान के शब्दों को खारिज कर दिया …

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मुलाकात से पहले ट्रंप का ट्वीट धमाका

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के किम जोंग उन कि मुलाकात का वक़्त नजदीक आ रहा है दोनों नेता सिंगापूर पहुंच चुके है. सिंगापूर पहुंचने के ठीक पहले ट्रंप ने कहा- 'मुझे लगता है कि किम जोंग उन अपने लोगों के लिए अच्छा करना चाहते हैं और उनके पास ऐसा करने का अवसर है. यह एकमात्र मौका है.' हालांकि ट्रंप ने ये भी कहा कि उत्तर कोरिया ‘हमारे साथ बेहद अच्छा काम कर रहा है.' इससे पहले दुनिया की अग्रणी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं के समूह G-7 के सम्मेलन के बाद कनाडा पर डोनाल्ड ट्रंप ट्वीट हमला बोल कर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘मैंने संवाददाता सम्मेलन में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के झूठे बयान और कनाडा द्वारा अमेरिकी किसानों, कामगारों और कंपनियों पर लगाए जा रहे भारी-भरकम शुल्कों को देखते हुए हमने अपने प्रतिनिधि को कहा कि वो साझा बयान की पुष्टि न करें, क्योंकि हम अमेरिकी बाजार में भारी मात्रा में आ रहे वाहनों पर शुल्क लगाने पर विचार कर रहे हैं.’ उन्होंने लिखा, ‘कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने G-7 बैठक में दबे और सुलझे होने का नाटक किया, ताकि वह उसके बाद वहां से मेरे प्रस्थान के बाद संवाददाता सम्मेलन में बोल सकें और कह सकें....उन्हें कोई धमका नहीं सकता. बहुत ही बेईमान और कमजोर व्यक्ति.’ ट्रंप के इन ट्वीट के बाद बवाल मच गया. मामले को लेकर जर्मनी के विदेश मंत्री मेको मास ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G-7 सम्मेलन के बाद एक संयुक्त बयान से पीछे हटकर यूरोप के साथ विश्वसनीय संबंध को तार-तार कर दिया है. उन्होंने ट्रंप से कहा कि आप महज एक ट्वीट कर बहुत तेजी से विश्वास खो देते हैं.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के किम जोंग उन कि मुलाकात का वक़्त नजदीक आ रहा है दोनों नेता सिंगापूर पहुंच चुके है. सिंगापूर पहुंचने के ठीक पहले ट्रंप ने कहा- ‘मुझे लगता है कि किम जोंग …

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नीरव मोदी ने लगाई ब्रिटैन से राजनीतिक शरण की गुहार

अब नीरव मोदी लंदन में है. पीएनबी बैंक में महाघोटाला करने के बाद देश से भागे हिरा कारोबारी ने अब ब्रिटैन से राजनीतिक शरण की भीख मांगी है. ब्रिटेन के गृह विभाग ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. भारत के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक ने नीरव मोदी व मेहुल चोकसी 13,400 करोड़ का घोटाला करके विदेश भाग गए है. भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, "हमारी कोशिश है कि प्रत्यर्पण के बजाय लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसियों के द्वारा ही नीरव मोदी तक पहुंच बनाई जाए. भारतीय जांच एजेंसिया नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के आलावा एक और अन्य भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को भी देश में लाने की कोशिशों में जुटी है. भारत में बैंको के साथ घोटाला करने के बाद ये विदेश भाग गए है और आराम का जीवन जी रहे है. वही सरकार अभी तक इन में से किसी के भी गिरेबान तक नहीं पहुंच सकी है. जब भी कभी जांच एजेंसिया इन तक पहुंचने की जुगत में कामयाबी हासिल करने वाली होती है ये एक देश से दूसरे देश पहुंच जाते है और ये लुका छुपी फ़िलहाल जारी है. विदेश की प्रत्यर्पण निति भारत की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बन रही है और इन भगोड़ो का सबसे बड़ा हथियार.

अब नीरव मोदी लंदन में है. पीएनबी बैंक में महाघोटाला करने के बाद देश से भागे हिरा कारोबारी ने अब ब्रिटैन से राजनीतिक शरण की भीख मांगी है. ब्रिटेन के गृह विभाग ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं …

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ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध की काट खोजने यूरोप पहुंचा भारतीय दल

ईरान को लेकर अमेरिकी की बढ़ती सख्ती देख भारत भी अपनी भावी रणनीति को लेकर सतर्क हो गया है। ईरान के साथ अपने कारोबारी रिश्तों को देखते भारत अभी से ऐसे विकल्प की तलाश में जुट गया है जिससे अमेरिकी प्रतिबंधों को निष्प्रभावी किया जा सके। इस संबंध में पिछले हफ्ते भारत का उच्चस्तरीय दल यूरोपीय देशों की यात्रा पर गया था ताकि अमेरिकी प्रतिबंधों के बढ़ने के बाद एक साझा नीति तैयार की जा सके। इस दल में विदेश मंत्रालय, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के उच्चाधिकारी शामिल थे। भारत खास तौर पर ईरान से आयात होने वाले कच्चे तेल के लिए भुगतान का कोई सुरक्षित रास्ता अख्तियार करना चाहता है ताकि वहां से होने वाले तेल आयात पर कोई खास असर नहीं पड़े। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले हफ्ते दावा किया था, 'भारत किसी देश पर किसी दूसरे देश की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों को नहीं मानता है। हां, अगर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंध लगाया जाता है तो बात दूसरी है।' इसका साफ मतलब है कि भारत ईरान पर अभी अमेरिकी प्रतिबंधों को नहीं मानेगा लेकिन अगर आगे चलकर अमेरिका दूसरे देशों को मना कर संयुक्त राष्ट्र के जरिये ईरान पर प्रतिबंध प्रभावी करता है तो भारत के लिए दिक्कत हो सकती है। यूरोपीय देशों के दौरे पर गए भारतीय दल ने इसी संभावना की काट खोजने की कोशिश की। भारत यह परखने की कोशिश कर रहा है कि प्रतिबंधों के बढ़ने की हालात में यूरोपीय बैंकिंग व्यवस्था के जरिये किस तरह से ईरान को उसके क्रूड के बदले भुगतान किया जा सकता है। अभी भी भारत ईरान से जो तेल खरीदता है, उसके एक हिस्से का भुगतान जर्मनी के बैंकों के जरिये किया जाता है। अभी तक यूरोप के अधिकांश देश ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर काफी असहज हैं और इसका खुला विरोध कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि ईरान पर प्रतिबंध को लेकर हम अमेरिका को भी समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर उसकी तरफ से कड़ाई की गई तो यह उसके हितों के ही खिलाफ है। मसलन, भारत चाबहार के रास्ते अफगानिस्तान में शांति कायम करने की जो कोशिश कर रहा है, वह अमेरिका के हितों के मुताबिक है लेकिन प्रतिबंध की वजह से अगर चाबहार पोर्ट का काम प्रभावित होता है तो इसका उल्टा असर हो सकता है। नवंबर, 2017 भारत व अमेरिका के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था तब अमेरिका ने भारतीय तर्क को स्वीकार किया था। लेकिन अब अमेरिका का रुख बदला हुआ नजर आ रहा है। सनद रहे कि भारत ने चालू वित्त वर्ष के दौरान ईरान से बड़े पैमाने पर कच्चा तेल खरीदने की तैयारी की थी। अमेरिका नहीं चाहता है कि भारत ईरान से तेल खरीदे।

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