दुनिया

आतंकियों की तरह नक्सली भी कर रहे बच्चों को भर्ती, भारत करे कार्रवाई: यूएन

शांति बहाली के लिए संयुक्त राष्ट्र उपमहासचिव जेआन पिएरे लाक्रोइक्स ने यूएन के शांति अभियानों में सहयोग के लिए भारत को धन्यवाद दिया। शनिवार को उपमहासचिव ने कहा कि वह भारत को धन्यवाद देने और शांति अभियान से संबंधित ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा के लिए नई दिल्ली आए हैं। यूएन शांति अभियान में बड़ी संख्या में सैनिकों को भेजने वाले देशों में भारत शामिल है। पिछले 70 वर्षो के दौरान शांति अभियानों में बड़ी संख्या में भारत के लोग मारे जा चुके हैं।

कश्मीर में सक्रिय आतंकी समूह की तरह नक्सली भी बच्चों की भर्ती कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस की रिपोर्ट में यह कहा गया है। यूएन महासचिव ने भारत सरकार से बच्चों को जो लोग भर्ती कर रहे …

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पाकिस्‍तान की चरमराई अर्थव्‍यवस्‍था की कमर तोड़ सकता है FATF का फैसला

क्या है एफएटीएफ जी-7 देशों की पहल पर 1989 में गठित एक अंतर सरकारी संगठन है। गठन के समय इसके सदस्य देशों की संख्या 16 थी। 2016 में ये संख्या बढ़कर 37 हो गई। भारत भी इस संस्था का सदस्य देश है। शुरुआत में इसका मकसद मनी लांर्डंरग पर रोक लगाना था, लेकिन 2001 में अमेरिका पर हुए आतंकी हमलों के बाद आतंकी संगठनों का वित्त पोषण भी इसकी निगरानी के दायरे में आ गया। गंभीर प्रतिकूल असर - अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक सहित वैश्विक वित्तीय संस्थाएं इस देश की साख को गिरा सकती हैं। इससे इसे कर्ज मिलना मुश्किल हो जाएगा। - मूडी, एस एंड पी और फिच जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां देश की रेटिंग गिरा सकती हैं। इससे इसकी अर्थव्यवस्था डावांडोल हो सकती है। निवेशक बिदक सकते हैं। - देश का शेयर बाजार लुढ़क सकता है। वित्तीय अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो सकती है। चीन इस आर्थिक स्थिति का फायदा ज्यादा से ज्यादा निवेश करके उठा सकता है। - वहां का वित्तीय क्षेत्र ढह सकता है। 126 शाखाओं वाला सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय बैंक स्टैंडर्ड चार्टर्ड सहित सिटी बैंक, ड्यूश बैंक अपना कारोबार समेट सकते हैं। - विदेशी लेनदेन और विदेशी मुद्रा प्रवाह में कमी के चलते पहले से ही सिर से ऊपर चढ़ा पाकिस्तान का चालू खाता घाटा और बढ़ सकता है। - विदेशी निवेशकों और कंपनियों को यहां कारोबार करने से पहले हजार बार सोचना पड़ सकता है। लिहाजा विदेशी निवेश के नाम पर धेला न मिलने के लिए भी इस देश को तैयार रहना होगा। - अंतरराष्ट्रीय बाजार से फंड के इंतजाम करने में इस्लामाबाद को नाको चने चबाने पड़ सकते हैं। - पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ साल से पांच फीसद की दर से बढ़ रही है। इस साल सरकार का लक्ष्य इसे छह फीसद ले जाने का था। ग्रे सूची में डालने से उसके मंसूबे पर कुठाराघात होगा। - यूरोपीय देशों को निर्यात किए जाने वाले चावल, कॉटन, मार्बल, कपड़े और प्याज सहित कई उत्पादों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। लिहाजा घरेलू उत्पादकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

एक तो करेला दूसरे नीम चढ़ा। पहले से ही आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मोर्चे पर खस्ताहाल पाकिस्तान की अपने कर्मों के चलते दुश्वारियां बढ़ गई हैं। मनी लांडरिंग और आतंकी संगठनों के वित्त पोषण जैसी गतिविधियों पर लगाम लगाने में असमर्थ रहने …

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पाकिस्तान में हरमीत सिंह बने पहले सिख न्यूज एंकर

पाकिस्तान के न्यूज चैनल ने पहली बार किसी सिख युवक को न्यूज एंकर बनाया है। खैबर पख्तुनख्वा प्रांत के चाकेसर शहर के रहने वाले हरमीत सिंह न्यूज एंकर बनकर बेहद खुश हैं। उन्हें न्यूज एंकर बनाने की जानकारी खुद चैनल ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से दी। चैनल ने लिखा,'पाकिस्तान के पहले सिख न्यूज एंकर हरमीत सिंह केवल पब्लिक न्यूज पर।' हाल में मनमीत कौर पाकिस्तान की पहली सिख महिला रिपोर्टर बनी थीं। सिंह ने कहा,'पाकिस्तान में उभरते मीडिया उद्योग के प्रति उनका पहले से रुझान था। मीडिया क्षेत्र में आने के लिए मैंने कोई धार्मिक कार्ड नहीं खेला। मैंने अपनी अलग पहचान बनाने के लिए बहुत मेहनत की है।' मीडिया में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत रिपोर्टर के तौर पर की थी। पत्रकारिता में स्नातकोत्तर उन्होंने फेडरल उर्दू यूनिवर्सिटी कराची से किया। सिंह का परिवार पाकिस्तान में ही रहता है लेकिन उनके कुछ रिश्तेदार भारत में भी हैं। पब्लिक न्यूज चैनल के प्रमुख युसुफ बेग मिर्जा ने कहा कि सिंह को उनके बेहतरीन व्यक्तित्व और शानदार आवाज के लिए चुना गया है।

पाकिस्तान के न्यूज चैनल ने पहली बार किसी सिख युवक को न्यूज एंकर बनाया है। खैबर पख्तुनख्वा प्रांत के चाकेसर शहर के रहने वाले हरमीत सिंह न्यूज एंकर बनकर बेहद खुश हैं। उन्हें न्यूज एंकर बनाने की जानकारी खुद चैनल …

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पाकिस्तान पर FATF की ब्लैक लिस्ट में भी जाने का खतरा

पाकिस्तान के आतंकवाद से लड़ना भारत की चुनौती तो है लेकिन साथ ही साथ पूरी दुनिया को उसके इस चरित्र से लड़ना होगा. दुनिया अब इसे समझने भी लगी है. पाकिस्तान को एक बार फिर फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया है. पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कुछ नहीं किया: एफएटीएफ पाकिस्‍तान को फरवरी में ग्रे लिस्ट में डालने की कार्रवाई शुरू हुई थी, लेकिन बीते 4 महीनों में पाकिस्तान दुनिया को ये भरोसा नहीं दे पाया कि वो आतंकवाद पर कार्रवाई को लेकर गंभीर है. नतीजा ये हुआ कि पेरिस में हुई एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई हुई. वैसे पाकिस्तान में जब आतंकी ही नेता बनने लगें तो समझ लेना चाहिए कि उस देश का हाल क्या है. पेरिस में इस मल्टीनेशनल ग्रुप ने माना कि पाकिस्तान ने आतंकवाद की जड़ें काटने के लिए कुछ नहीं किया. यूं तो FATF के फैसले के पहले 26 सूत्री एक्शन प्लान पाकिस्तान ने पेश किया था, लेकिन उसकी इस बात पर दुनिया को यकीन नहीं हो सका. पाकिस्तान ने एफएटीएफ के सामने कहा था कि वो हाफिज सईद के संगठन जमात उद दावा की फंडिंग रोकने के लिए कदम उठाएगा. लेकिन दुनिया कहां भरोसा करती कि जिस पाकिस्तान में हाफिज सईद नेता बनने की राह पर है वहां उसके खिलाफ कोई एक्शन भी होगा. हाफिज की पार्टी चुनाव में उतारेगी उम्‍मीदवार वैसे तो पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने हाफिज सईद की राजनीतिक पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग को रजिस्टर्ड पार्टी का दर्जा देने से इनकार कर दिया है, लेकिन ये तो सिर्फ दिखावा था. इसमें कोई संदेह नहीं. 13 जून को पाकिस्तान के चुनाव आयोग के सामने मिल्ली मुस्लिम लीग की अपील ठुकरायी गई तो 14 जून को ऐलान हो गया कि हाफिज सईद पहले से चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक यानी AAT पार्टी से अपने 202 उम्मीदवारों को 25 जुलाई के चुनाव में उतारेगा. हाफिज सईद के जो 202 उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे उऩमें उसका दामाद भी शामिल है. नेशनल एसेंबली के लिए 50 उम्मीदवार और 152 उम्मीदवार प्रॉवींसियल सीटों के लिए चुनाव मैदान में होंगे. हाफिज सईद तो हाफिज सईद बल्कि दूसरे आतंकी भी पाकिस्तान में नेता बन चुके हैं. चरमपंथी सुन्नी गुट अहले-सुन्नत-वल-जमात के प्रमुख मुहम्मद अहमद लुधियानवी को टेरर वॉच लिस्ट से हटा दिया गया है. जबकि लुधियानवी के संगठन का संबंध खूंखार आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-झांगवी से है. उस लश्कर-ए-झांगवी से जिसके अलकायदा से संबंध हैं. अमेरिका भी दे चुका है चेतावनी पाकिस्तान की इन्हीं हरकतों की वजह से एफएटीएफ ने तो उसे ग्रे लिस्ट में डाला ही है, अमेरिका भी साफ चेतावनी दे रहा है कि उसके आतंक का घड़ा अब भर रहा है. इसी साल जनवरी में अमेरिका ने पाकिस्तान को मिलने वाली करीब सवा बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद रोक दी थी, क्योंकि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने में वो नाकाम रहा था. अप्रैल 2018 में भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जो नई टेरर लिस्ट जारी की थी उसमें पाकिस्तान से 139 एंट्री थी. इसमें हाफिज सईद को इंटरपोल का मोस्ट वॉन्टेड बताया गया. सितंबर 2017 में भी ब्रिक्स देशों के घोषणापत्र में पहली बार लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का नाम शामिल किया गया. अमेरिका जैसे दुनिया के देश अब समझने लगे हैं कि आतंकी मुल्क पाकिस्तान पर लगाम लगाए बिना दुनिया में शांति नहीं आएगी. एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में भी जा सकता है PAK ग्रे लिस्ट में पहुंचा पाकिस्तान अब एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में भी जा सकता है, जिसके नतीजे पाकिस्तान पर बहुत बुरे होंगे. ग्रे लिस्ट में जाने के बाद ही आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक, यूरोपियन यूनियन, मूडीज और S&P जैसी एजेंसिया पाकिस्तान की रेटिंग को डाउनग्रेड कर सकती हैं. 2012 से 2015 के बीच पहले भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रह चुके पाकिस्तान के लिए अबकी बार खुद को बचाना मुश्किल है. उसके पास खुद को संभालने का सिर्फ एक ही रास्ता है, वो है आतंकवाद को समर्थन से हाय-तौबा करे. आतंकी सोच वाला पाकिस्तान ऐसा कर सकेगा, इसे लेकर कोई दावा करने की स्थिति में अभी नहीं है. क्या है एफएटीएफ? एफएटीएफ एक अंतर सरकारी संगठन है. इसे जी-7 देशों की पहल पर 1989 में गठित किया गया था. गठन के समय इसके सदस्य देशों की संख्या 16 थी. 2016 में ये संख्या 37 हो गई. इस संस्‍था का एक सदस्‍य भारत भी है. ये संगठन आतंकी संगठनों का वित्त पोषण की निगरानी करता है.

पाकिस्तान के आतंकवाद से लड़ना भारत की चुनौती तो है लेकिन साथ ही साथ पूरी दुनिया को उसके इस चरित्र से लड़ना होगा. दुनिया अब इसे समझने भी लगी है. पाकिस्तान को एक बार फिर फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) …

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ट्रंप प्रशासन की आव्रजन नीति के खिलाफ अमेरिका में बड़ा प्रदर्शन

ट्रंप प्रशासन की नई आव्रजन नीति के खिलाफ अमेरिका में गुरुवार को बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान भारतीय मूल की सांसद प्रमिला जयपाल समेत करीब 600 महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में हालांकि उन्हें छोड़ दिया गया। अमेरिकी सीमाओं पर बिना दस्तावेज पकड़े जाने वाले अप्रवासी परिवारों से बच्चों को अलग करने वाली इस नीति का देश में भारी विरोध हो रहा है। इस नीति के चलते करीब दो हजार बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया गया। इस नीति के खिलाफ अमेरिका के 17 राज्य कोर्ट में मुकदमा भी दायर कर चुके हैं। कैपिटल हिल पुलिस के अनुसार, महिलाओं को अवैध रूप से प्रदर्शन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें उस समय गिरफ्तार किया गया जब वे अमेरिकी सीनेट की हार्ट बिल्डिंग के पास धरने पर बैठी थीं। इससे पहले इन महिलाओं ने राजधानी वॉशिंगटन की सड़कों पर विरोध मार्च निकाला। मार्च में शामिल प्रमिला जयपाल ने कहा, "हम डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन की उस अमानवीय नीति का विरोध कर रहे हैं जो शरण मांगने वाले परिवारों को अलग कर रही है।" प्रमिला अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की पहली भारतवंशी महिला सांसद हैं। प्रमिला ने किया जेल का दौराप्रमिला संसद की पहली सदस्य हैं जिन्होंने एक संघीय जेल का दौरा किया। इस जेल में शरण मांगने वाले लोगों को बच्चों से अलग करके रखा गया है। यहां रखे गए लोगों ने प्रमिला को अपनी आपबीती सुनाई।

ट्रंप प्रशासन की नई आव्रजन नीति के खिलाफ अमेरिका में गुरुवार को बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान भारतीय मूल की सांसद प्रमिला जयपाल समेत करीब 600 महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में हालांकि उन्हें छोड़ …

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लीबिया के तट पर पलटी नाव, 3 मासूमों समेत 100 की मौत

लीबिया के तट पर प्रवासियों से भीर एक नौका पलटने से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार को हुए इस बड़े हादसे में 3 मासूम बच्चों के शव भी बरामद हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नौसेना प्रवक्ता अयूब कासेम ने बताया है कि नौसेना ने 16 लोगों को बचाया है वहीं तीन मासूमों के शव भी बरामद हुए हैं। जानकारी के अनुसार हादसा शुक्रवार को हुआ है। जिस नाव में लोग सवार थे वो रबड़ से बनी हुई थी और उसमें क्षमता से ज्यादा लोग थे। धमाका होने पर यह पलट गई और लोग समुद्र में डूबने लगे। एक बचाए गए शख्स के अनुसार नौका में अफ्रीका और अरब देशों के 125 लोग सवार थे। इनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। यात्रा के दौरान नौका में धमाका हुआ और उसके बाद उसकी मोटर में आग लग गई। कोस्टगार्ड अधिकारी के अनुसार कोस्टगार्ड्स को मजबूरन शवों को उनके हाल पर छोड़ना पड़ा क्योंकि उनके पास इतने साधन उपलब्ध नहीं थे।

लीबिया के तट पर प्रवासियों से भीर एक नौका पलटने से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार को हुए इस बड़े हादसे में 3 मासूम बच्चों के शव भी बरामद हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार …

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चरमराई अर्थव्यवस्था के मालिक पाक को भारत की फिक्र

खुद पाई पाई को मोहताज होने की कगार पर खड़ा पाकिस्तान भारत की अर्थव्यवस्था में पाक की भागीदारी गिनवा रहा है. विश्व समुदाय से आर्थिक मदद और भी बंद किये जाने के हालात बनते देख बौखलाए पाक के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नसीर जन्जुआ जो इस पद पर तीन साल तक रहने के बाद पिछले सप्ताह इस्तीफा दे चुके है ने शुक्रवार को कहा कि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था की जरूरत के लिए पाकिस्तान के साथ सम्मान का संबंध रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि यूरोपीय बाजारों तक मध्य एशिया के जरिये पहुंच के लिए पाकिस्तान ही एकमात्र देश है जो उसकी इस जरूरत को पूरा कर सकता है. दक्षिण एशिया में संपर्क और भू अर्थशास्त्र पर क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए जन्जुआ ने कहा कि अर्थव्यवस्था और सुरक्षा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों के बीच कारण और परिणाम का संबंध है. जन्जुआ ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को मध्य एशिया के जरिये यूरोप के अमीर बाजारों तक पहुंच की जरूरत है. पाकिस्तान एकमात्र देश है जो भारत को यह पहुंच उपलब्ध करा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार जन्जुआ ने कहा कि संपर्क के लिए दक्षिण एशिया में स्थिरता जरूरी है. सिर्फ संपर्क या कनेक्टिविटी के जरिये ही वृद्धि और स्थिरता लाई जा सकती है. इस्लामाबाद के शोध संस्थान पाकिस्तान शांति अध्ययन संस्थान (पीआईपीएस) ने इस सम्मेलन का आयोजन किया था. आंतकवाद का पालनहार साबित होने के बाद फ़िलहाल ब्लैक लिस्ट होने की कगार पर खड़ा पाक उस देश को अर्थ शास्त्र समझा रहा है जिसे फ़िलहाल विश्व का हर देश हाथ मिलाने के लिए निहार रहा है.

खुद पाई पाई को मोहताज होने की कगार पर खड़ा पाकिस्तान भारत की अर्थव्यवस्था में पाक की भागीदारी गिनवा रहा है. विश्व समुदाय से आर्थिक मदद और भी बंद किये जाने के हालात बनते देख बौखलाए पाक के पूर्व राष्ट्रीय …

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आतंकवाद पर पाक को फिर अमरीकी चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने अपनी भारत यात्रा के दौरान ऑब्जर्वर रिसर्च फाउन्डेशन (ओआरएफ) द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पाकिस्तान को फिर चेताते हुए कहा कि वह उसकी सरकार के आतंकवादियों को पनाह मुहैया कराने को बर्दाश्त नहीं कर सकता. उसने यह भी कहा कि वॉशिंगटन और नई दिल्ली को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अवश्य वैश्विक अगुवा बनना चाहिए. भारत-अमेरिका संबंधों को आगे बढ़ाने पर यहां अपने भाषण में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा कि दोनों में से कोई भी देश आतंकवादियों को शरण देने और उनका समर्थन करने वाली व्यवस्था के प्रति आंखें नहीं मूंद सकता. उन्होंने कहा कि अमेरिका का पाकिस्तान के साथ संबंधों के प्रति रवैया पहले से अलग है. उन्होंने कहा कि हालांकि पाकिस्तान कई मामलों में अमेरिका का भागीदार है, लेकिन आतंकवादियों को पाकिस्तानी सरकार या किसी अन्य सरकार के पनाह देने को वह बर्दाश्त नहीं कर सकता. 46 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी नागरिक हेली ने कहा, 'हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम पाकिस्तान को पहले की तुलना में अधिक सख्ती से यह संदेश दे रहे हैं और हमें बदलाव की उम्मीद है.' अमेरिका और भारत दोनों के आतंकवाद के दर्द का अनुभव करने की बात पर गौर करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देश आतंकवादियों और उन्हें प्रेरित करने वाली घृणा की विचारधारा को परास्त करने के लिये प्रतिबद्ध हैं. हेली ने कहा, 'हमें खतरा पहुंचाने वाले आतंकवादी नेटवर्क का सफाया करने और आतंकवादियों और उसके प्रायोजकों से परमाणु हथियारों को दूर रखने में हमारी दिलचस्पी है.' उन्होंने कहा, 'दोनों देशों ने एक दशक पहले खौफनाक मुंबई हमले में अपने नागरिकों को गंवाया. लोकतंत्र के तौर पर अमेरिका और भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अवश्य वैश्विक अगुवा बनना चाहिये.'

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने अपनी भारत यात्रा के दौरान ऑब्जर्वर रिसर्च फाउन्डेशन (ओआरएफ) द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पाकिस्तान को फिर चेताते हुए कहा कि वह उसकी सरकार के आतंकवादियों को पनाह मुहैया …

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स्विस बैंकों में डेढ़ गुना हुआ भारतीयों का धन

भारत में कालेधन पर एक के बाद एक चोट के बीच स्विस बैंकों को पिछले साल भारतीयों ने मालामाल कर दिया है। स्विट्जरलैंड में बैंकों के नियामक स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीयों ने पिछले वर्ष स्विस बैंकों में 101 करोड़ स्विस फ्रैंक (करीब 7,000 करोड़ रुपये) जमा किए हैं, जो 2016 के मुकाबले 50.2 फीसद ज्यादा है। इसमें भारतीयों और आप्रवासी भारतीयों द्वारा दूसरे देशों की इकाइयों के रूप में जमा रकम शामिल नहीं है। वर्ष 2004 में 56 फीसद बढ़ोतरी के बाद स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा रकम में यह सबसे बड़ा इजाफा है। पिछले वर्ष से पहले लगातार तीन वर्षों तक स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम में गिरावट देखी गई थी। स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम का आंकड़ा इसलिए चौंकाने वाला है, क्योंकि भारत पिछले कुछ समय से दुनियाभर में भारतीयों द्वारा छुपाए गए कालेधन को वापस लाने की लगातार कोशिशें कर रहा है। गौरतलब है कि गोपनीयता कानूनों की आड़ में स्विस बैंक दुनियाभर के कालेधन की सुरक्षित पनाहगाह बने हुए थे। हालांकि भारत में स्विस बैंक की कुल संपत्ति लगातार दूसरे वर्ष गिरावट के साथ पिछले वर्ष के आखिर में 320 करोड़ स्विस फ्रैंक रह गई। इसमें रियल एस्टेट और इस तरह की अन्य संपत्तियां शामिल नहीं हैं। गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 2016 में स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम 45 फीसद गिर गई थी, और यह सबसे बड़ी सालाना गिरावट थी। उस साल भारतीयों ने स्विस बैंक में महज 4,500 करोड़ रुपये जमा कराए थे। आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि पिछले वर्ष भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में खुद जमा कराई रकम 6,891 करोड़ रुपये, जबकि वेल्थ मैनेजरों के जरिये जमा कराई गई रकम 112 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। पिछले वर्ष के आखिर में स्विस बैंकों में भारतीय व्यक्तिगत ग्राहकों द्वारा जमा रकम 3,200 करोड़ रुपये, अन्य बैंकों द्वारा जमा रकम 1,050 करोड़ रुपये जबकि सिक्युरिटीज और अन्य देनदारियों के मद में जमा रकम 2,640 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। हालांकि 2007 तक सिक्युरिटीज और अन्य मदों में स्विस बैंकों में जमा भारतीय रकम अरबों रुपये में हुआ करती थी। लेकिन भारतीय नियामकों की सख्ती के बाद उसमें गिरावट आनी शुरू हुई। वर्ष 2006 के अंत में भारतीयों द्वारा सभी मदों में स्विस बैंकों में जमा रकम 23,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी। लेकिन एक दशक बाद यह आंकड़ा महज 10वें हिस्से तक रह गया। भारत और कई अन्य देशों द्वारा घपलों-घोटालों के साक्ष्य मुहैया कराने के बाद स्विट्जरलैंड ने विदेशी ग्राहकों की जानकारी देनी पहले ही शुरू कर दी है। अब वह ऑटोमेटिक इन्फॉरमेशन एक्सचेंज संबंधी करार के बाद कालेधन के खिलाफ भारत की लड़ाई में और मदद करने को राजी हो गया है। इससे पहले स्विट्जरलैंड ने कहा था कि कालेधन पर चोट के बाद भारतीयों द्वारा सिंगापुर और हांगकांग जैसे फाइनेंशियल हब के मुकाबले स्विस बैंकों में जमा रकम का आंकड़ा बहुत कम रह गया है। रिपोर्ट में एसएनबी ने कहा है कि विदेशी ग्राहकों द्वारा स्विस बैंकों में जमा रकम का आकार पिछले वर्ष के आखिर में करीब तीन फीसद बढ़कर 100 लाख करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गया है। पाकिस्तान फिर भी आगे हालांकि एसएनबी के मुताबिक पिछले वर्ष पाकिस्तानियों द्वारा स्विस बैंकों में किया निवेश 21 फीसद घटा है। लेकिन 7,700 करोड़ रुपये के साथ पाकिस्तान स्विस बैंकों में रकम जमा करने के मामले में भारत से आगे ही है। आंकड़ों के आईने में - 980 करोड़ स्विस फ्रैंक पर पहुंच गया स्विस बैंकों का लाभ पिछले वर्ष - 100 लाख करोड़ के आसपास पहुंच गई विदेशी ग्राहकों द्वारा जमा राशि - 56 फीसद इजाफा हुआ था भारतीय जमा में वर्ष 2004 के दौरान, उसके बाद पिछले वर्ष सबसे ज्यादा

भारत में कालेधन पर एक के बाद एक चोट के बीच स्विस बैंकों को पिछले साल भारतीयों ने मालामाल कर दिया है। स्विट्जरलैंड में बैंकों के नियामक स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीयों ने …

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मैक्सिको: नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार तक 133 नेताओं की हत्या

मैक्सिको में इस रविवार चुनाव होने वाले हैं, लेकिन मतदान से पहले ही एक रिपोर्ट से पूरे देश में भूचाल मचा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव से पहले ही कुल 133 नेताओं की हत्या की जा चुकी है. परामर्श देने वाली एटलेक्ट संस्था के एक अध्ययन में यह दावा किया गया. संस्था के मुताबिक देश में बढ़ रही हिंसा ने रिकॉर्ड स्तर पर राजनीति को भी अपनी चपेट में ले लिया है. हत्या के इन अपराधों को सितंबर में उम्मीदवारों के पंजीकरण से शुरू होने और चुनाव प्रचार खत्म होने तक दर्ज दिया गया है. हाल ही में पश्चिमी राज्य मिकोआकैन में एक अंतरिम मेयर की हत्या कर दी गई थी. ज्यादातर हत्याएं स्थानीय स्तर के नेताओं की गई जो अक्सर मैक्सिको के ताकतवर मादक पदार्थ माफिया के निशाने पर रहते हैं. चुनाव संबंधी हिंसा का अध्ययन करने वाली संस्था एटलेक्ट ने बताया कि मृतकों में 48 उम्मीदवार वो थे जो चुनाव में खड़े हुए थे जिनमें से 28 की हत्या प्रारंभिक प्रचार के दौरान की गई और 20 की आम चुनाव प्रचार के दौरान. संस्था के निदेशक रूबेन सालाजर ने कहा , “ यह हिंसा स्थानीय स्तर पर केंद्रित है. इनमें से कम से कम 71 प्रतिशत हमले निर्वाचित अधिकारियों और स्थानीय स्तर पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के खिलाफ किए गए. संस्था ने कहा यह मैक्सिको में हुआ अब तक सबसे हिंसक चुनाव है. मैक्सिको सरकार के 2006 में मादक पदार्थ तस्करी से लड़ने के लिए सेना की तैनाती किए जाने के बाद यहां हिंसा बहुत बढ़ गई है.मैक्सिको में इस रविवार चुनाव होने वाले हैं, लेकिन मतदान से पहले ही एक रिपोर्ट से पूरे देश में भूचाल मचा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव से पहले ही कुल 133 नेताओं की हत्या की जा चुकी है. परामर्श देने वाली एटलेक्ट संस्था के एक अध्ययन में यह दावा किया गया. संस्था के मुताबिक देश में बढ़ रही हिंसा ने रिकॉर्ड स्तर पर राजनीति को भी अपनी चपेट में ले लिया है. हत्या के इन अपराधों को सितंबर में उम्मीदवारों के पंजीकरण से शुरू होने और चुनाव प्रचार खत्म होने तक दर्ज दिया गया है. हाल ही में पश्चिमी राज्य मिकोआकैन में एक अंतरिम मेयर की हत्या कर दी गई थी. ज्यादातर हत्याएं स्थानीय स्तर के नेताओं की गई जो अक्सर मैक्सिको के ताकतवर मादक पदार्थ माफिया के निशाने पर रहते हैं. चुनाव संबंधी हिंसा का अध्ययन करने वाली संस्था एटलेक्ट ने बताया कि मृतकों में 48 उम्मीदवार वो थे जो चुनाव में खड़े हुए थे जिनमें से 28 की हत्या प्रारंभिक प्रचार के दौरान की गई और 20 की आम चुनाव प्रचार के दौरान. संस्था के निदेशक रूबेन सालाजर ने कहा , “ यह हिंसा स्थानीय स्तर पर केंद्रित है. इनमें से कम से कम 71 प्रतिशत हमले निर्वाचित अधिकारियों और स्थानीय स्तर पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के खिलाफ किए गए. संस्था ने कहा यह मैक्सिको में हुआ अब तक सबसे हिंसक चुनाव है. मैक्सिको सरकार के 2006 में मादक पदार्थ तस्करी से लड़ने के लिए सेना की तैनाती किए जाने के बाद यहां हिंसा बहुत बढ़ गई है.

मैक्सिको में इस रविवार चुनाव होने वाले हैं, लेकिन मतदान से पहले ही एक रिपोर्ट से पूरे देश में भूचाल मचा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव से पहले ही कुल 133 नेताओं की हत्या की जा चुकी है. परामर्श देने …

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