दुनिया

राफेल डील के सौदे पर रक्षा मंत्रालय में थे मतभेद, हुआ बड़ा खुलासा… 

राफेल सौदे के बारे में कुछ नई जानकारियां सामने आई हैं. सूत्रों ने दावा किया है कि मोदी सरकार का राफेल सौदा यूपीए से 1.6 अरब डॉलर सस्ता है. लेकिन साथ ही यह खबर भी मिली है कि रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीए सरकार के सौदे पर आपत्ति की थी और इसको लेकर रक्षा मंत्रालय में मतभेद थे. सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्रालय में तत्कालीन संयुक्त सचिव ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए कैबिनेट नोट को आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया था और इस पर डिसेंट नोट यानी असंतोष की टिप्पणी की थी. लेकिन उनके इस नोट को खारिज करते हुए कैबिनेट नोट को आगे बढ़ा दिया गया. उनका यह डिसेंट नोट बेंचमार्क कीमत को लेकर था. एक वर्ग बेंचमार्क कीमत 500 करोड़ यूरो तय करना चाहता था, लेकिन इस बैठक में अंतत: सौदे की बेंचमार्क कीमत 820 करोड़ यूरो तय की गई. लेकिन जब इसके आधार पर विमान खरीदने को मंजूरी देते हुए कैबिनेट नोट को आगे बढ़ाया गया तो इसके विरोध में एक अफसर छुट्टी पर चले गए. सरकार ने फ्रांस के साथ हुए डील की शर्तों के मुताबिक इन आंकड़ों का खुलासा नहीं किया है. लेकिन अब देश में इस पर काफी विवाद की स्थ‍िति को देखते हुए सरकार आंकड़ों को सार्वजनिक करने के लिए फ्रांस सरकार से आग्रह कर सकती है. कतर को सस्ता विमान मिलने पर वायु सेना का कहना है कि उसका फ्रांस के साथ कोई ऑफसेट समझौता नहीं है और उसने सिर्फ बेसिक एयरक्राफ्ट लेने का सौदा किया है. इस तरह हुआ मोलतोल सूत्रों के अनुसार, मुताबिक यूपीए सरकार को 18 फ्लाइवे कंडीशन वाले विमान 688 करोड़ रुपये प्रति विमान के दर से मिलने वाले थे. यूपीए सरकार ने 126 लड़ाकू विमानों के लिए सौदा किया था. इसमें से 18 फ्लाइवे यानी उड़ने के लिए तैयार विमान 688 करोड़ रुपये प्रति विमान कीमत से लिए जाने थे. 108 विमान एचएएल में बनने थे और यह प्रति विमान 911 करोड़ रुपये के हिसाब से मिलते, जिसमें ऑफसेट भी शामिल था. साल 2013 में यूरो फाइटर ने कुछ चीजों पर 20 फीसदी डिस्काउंट की बात की, लेकिन ऑर्डर में देरी और महंगाई आदि को जोड़ने की वजह से राफेल की कीमत कम नहीं की गई. इस बात पर हुआ फ्रांस से मतभेद साल 2014 में बातचीत का सिलसिला टूट गया, क्योंकि इस बात पर विवाद था कि भारत में 108 विमान बनाने के लिए कितने मानव घंटे श्रम की जरूरत होगी. फ्रांस की गुणना के मुताबिक इसमें 3.1 करोड़ मैन ऑवर लगने थे, जबकि एचएएल का दावा था कि इसमें 10 करोड़ मैन ऑवर लगेंगे. इसी साल भारत ने पुराने कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया और नए सिरे से बातचीत शुरू की. इस तरह से सस्ता साबित हुआ सौदा भारत ने 36 विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ अंतर-सरकारी समझौता किया. यूपीए के दौर की 18 विमान खरीद के हिसाब से 36 विमानों की बेसिक कीमत 950.3 करोड़ यूरो होती थी, लेकिन मोदी सरकार ने बातचीत कर इसकी अंतिम कीमत सिर्फ 788.9 करोड़ यूरो तय की. इसमें से भी फ्रांस 50 फीसदी ऑफसेट के लिए निर्धारित करने पर राजी हुआ, यानी वह इसका 50 फीसदी भारत में निवेश करेगा. भारत सरकार का यह भी कहना है कि इस कीमत के भीतर ही भारत की जरूरतों के मुताबिक विमान में 13 बदलाव किए जाने हैं. इस तरह सरकार का दावा है कि यह सौदा यूपीए से 1.6 अरब डॉलर सस्ता है.

राफेल सौदे के बारे में कुछ नई जानकारियां सामने आई हैं. सूत्रों ने दावा किया है कि मोदी सरकार का राफेल सौदा यूपीए से 1.6 अरब डॉलर सस्ता है. लेकिन साथ ही यह खबर भी मिली है कि रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी …

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एमैनुएल मैक्रों राफेल डील पर बोले यह यह सौदा दोनों सरकारों के बीच हुआ था, तब मैं राष्ट्रपति नहीं था…   

फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि राफेल करार ‘सरकार से सरकार’ के बीच तय हुआ था और भारत एवं फ्रांस के बीच 36 लड़ाकू विमानों को लेकर जब अरबों डॉलर का यह करार हुआ, उस वक्त वह सत्ता में नहीं थे।  संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के इतर एक प्रेस कांफ्रेंस में मैक्रों से पूछा गया था कि क्या भारत सरकार ने किसी वक्त फ्रांस या फ्रांस की दिग्गज एयरोस्पेस कंपनी दसाल्ट से कहा था कि उन्हें राफेल करार के लिए भारतीय साझेदार के तौर पर रिलायंस को चुनना है। भारत ने करीब 58,000 करोड़ रुपए की लागत से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए पिछले साल सितंबर में फ्रांस के साथ अंतर-सरकारी समझौते पर दस्तखत किए थे। इससे करीब डेढ़ साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पेरिस यात्रा के दौरान इस प्रस्ताव की घोषणा की थी। इन विमानों की आपूर्ति सितंबर 2019 से शुरू होने वाली है।  पिछले साल मई में फ्रांस के राष्ट्रपति बने मैक्रों ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया, ‘‘मैं बहुत साफ-साफ कहूंगा। यह सरकार से सरकार के बीच हुई बातचीत थी और मैं सिर्फ उस बात की तरफ इशारा करना चाहूंगा जो पिछले दिनों प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी ने बहुत स्पष्ट तौर पर कही।’’  मैक्रों ने राफेल करार पर विवाद पैदा होने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, ‘‘मुझे और कोई टिप्पणी नहीं करनी। मैं उस वक्त पद पर नहीं था और मैं जानता हूं कि हमारे नियम बहुत स्पष्ट हैं।’’  फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि यह सरकार से सरकार के बीच हुई बातचीत थी और ‘‘यह अनुबंध एक व्यापक ढांचे का हिस्सा है जो भारत एवं फ्रांस के बीच सैन्य एवं रक्षा गठबंधन है।’’  उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे लिए बेहद अहम है, क्योंकि यह सिर्फ औद्योगिक संबंध नहीं बल्कि एक रणनीतिक गठबंधन है। मैं बस उस तरफ ध्यान दिलाना चाहूंगा जो पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर कहा है।’’  राफेल करार के मुद्दे पर भारत में बड़ा विवाद पैदा हो चुका है। यह विवाद फ्रांस की मीडिया में आई उस खबर के बाद पैदा हुआ जिसमें पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा कि राफेल करार में भारतीय कंपनी का चयन नई दिल्ली के इशारे पर किया गया था।  ओलांद ने ‘मीडियापार्ट’ नाम की एक फ्रांसीसी खबरिया वेबसाइट से कहा था कि भारत सरकार ने 58,000 करोड़ रुपए के राफेल करार में फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट के भारतीय साझेदार के तौर पर उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस के नाम का प्रस्ताव दिया था और इसमें फ्रांस के पास कोई विकल्प नहीं था।  भारत में विपक्षी पार्टियों ने ओलांद के इस बयान के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा और उस पर करार में भारी अनियमितता का आरोप लगाया। कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने एयरोस्पेस क्षेत्र में कोई पूर्व अनुभव नहीं होने के बाद भी रिलायंस डिफेंस को साझेदार चुनकर अंबानी की कंपनी को फायदा पहुंचाया।   

फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि राफेल करार ‘सरकार से सरकार’ के बीच तय हुआ था और भारत एवं फ्रांस के बीच 36 लड़ाकू विमानों को लेकर जब अरबों डॉलर का यह करार हुआ, उस वक्त वह …

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अमेरिकन यूनिवर्सिटीज को किया अरबों का दान, भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक दान में भी है सबसे आगे 

भारत में रहें या ना रहें भारतीय मूल के नागरिक विदेश में रह कर भी हर क्षेत्र में अपने काम का लोहा मनवाते हैं. जब दान देने की बात आई तो अमेरिका में बसे भारतीय वहां भी इस काम में सबसे आगे रहें . अमेरिकी भारतीयों ने 1.2 अरब डॉलर की राशि वहां के विश्वविद्यालयों के विकास के लिए दान किया है. भारतीय अमेरिकी नागरिकों ने 2000 से 2018 के बीच अमेरिका के 37 विश्वविद्यालयों को 1.2 अरब डॉलर की राशि दान में दी है. गैर-लाभकारी संगठन इंडियास्पोरा के अनुसार इनमें से 68 दान राशि 10 लाख डॉलर से अधिक थी. 'भारतीय अमेरिकी नागरिकों की सफलता का पूरी दुनिया पर अर्थपूर्ण प्रभाव' का अध्ययन करने वाली संस्था इंडियास्पोरा ने पहली बार अपनी परियोजना ‘मॉनिटर ऑफ यूनिवर्सिटी गिविंग’ की रिपोर्ट जारी की है. इस संबंध में सिलिकॉन वैली में रहने वाले समाजसेवी और वेंचर कैपिटलिस्ट एम. आर. रंगास्वामी का कहना है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय अमेरिकियों द्वारा किए गए दान की सूचना देने के लिए यह रिपोर्ट जारी की गयी है. इंडियास्पोरा की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले रंगास्वामी का कहना है कि इसे जारी करने का एक ही मकसद है कि लोग यह जान सकें कि कैसे भारतीय अमेरिकी नागरिक अपने नए घर में उच्च शिक्षा के क्षेत्र की मदद कर रहे हैं. उनका कहना है कि अमेरिका में भारतीय सबसे शिक्षित समुदाय हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 50 लोगों ने 68 दान किए जिनकी राशि 10 लाख डॉलर या उससे ज्यादा थी. इनमें से कई लोगों ने एक से ज्यादा बार दान किया. इस रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी संस्थानों के मुकाबले निजी शिक्षण संस्थानों को ज्यादा दान मिला है. अनुपात में देखें तो निजी शिक्षण संस्थानों को जहां पांच डॉलर की राशि मिली है वहीं सरकारी संस्थानों को महज दो डॉलर मिले. रिपोर्ट में कहा गया कि कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, लॉस एंजिलिस को सबसे ज्यादा दान मिला है. वहीं हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और बोस्टन यूनिवर्सिटी दूसरे स्थान पर रहे हैं.

भारत में रहें या ना रहें भारतीय मूल के नागरिक विदेश में रह कर भी हर क्षेत्र में अपने काम का लोहा मनवाते हैं. जब दान देने की बात आई तो अमेरिका में बसे भारतीय वहां भी इस काम में सबसे आगे …

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नेल्सन मंडेला को भारत रत्न मानते हैं हम सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोला:   

संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलीं सुषमा, नेल्सन मंडेला को भारत रत्न मानते हैं हम

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को यहां कहा कि दक्षिण अफ्रीका के दिवंगत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की विचारधारा दुनिया में पहले से ज्यादा प्रासंगिक हैं। ‘मदीबा’ के नाम से मशहूर मंडेला के साथ भारत के मजबूत रिश्ते का जिक्र …

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ट्रम्प बोले अमेरिका उसी देश का साथ देगा जिसको वह अपना सहयोगी मानता है भारत कि तारीफ़ में कुछ ऐसा बोला 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका केवल उन्हीं देशों को सहायता देगा जिन्हें वह अपना सहयोगी मानता है. ट्रम्प ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक भाषण में कहा कि हम देखेंगे कि कहां काम हो रहा है, कहां काम नहीं हो रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि हम इस बात का भी खयाल रखेंगे, 'क्या जो देश हमारे डॉलर और हमारी सुरक्षा लेते हैं, वे हमारे हितों का ख्याल रखते हैं या नहीं.' उन्होंने कहा, 'आगे बढ़ते हुए हम केवल उन्हीं लोगों को विदेशी सहायता देने जा रहे हैं जो हमारा सम्मान करते हैं और स्पष्ट रूप से हमारे दोस्त हैं.' अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र में विश्व के नेताओं को संबोधित करते हुए भारत को एक 'मुक्त समाज' बताया और अपने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए मंगलवार को भारत के प्रयासों की जमकर तारीफ की. संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंगलवार को शुरू हुए जनरल डिबेट को दूसरी बार संबोधित करते हुए ट्रम्प ने कहा, 'भारत है, जहां का समाज मुक्त है और एक अरब से अधिक आबादी में लाखों लोगों को सफलतापूर्वक गरीबी से ऊपर उठाते हुए मध्यम वर्ग में पहुंचा दिया.' करीब 35 मिनट के संबोधन में उन्होंने कहा कि वर्षों से संयुक्त राष्ट्र महासभा के हॉल में इतिहास देखा गया. उन्होंने कहा कि हमारे समक्ष अपने देशों की चुनौतियों, अपने समय के बारे में चर्चा करने आए आए लोगों के भाषणों, संकल्पों और हर शब्दों एवं उम्मीदों में वहीं सवाल कौंधते हैं जो हमारे जेहन में उठते हैं. ट्रम्प ने कहा, 'यह सवाल है कि हम अपने बच्चों के लिए किस तरह की दुनिया छोड़कर जाएंगे और किस तरह का देश उन्हें उत्तराधिकार में मिलेगा.' उन्होंने कहा कि जो सपने यूएनजीए के हॉल में आज दिखे वे उतने ही विविध हैं जितने इस पोडियम पर खड़े लोग और उतने ही विविध हैं जितना संयुक्त राष्ट्र में दुनिया के देशों का प्रतिनिधित्व है. उन्होंने कहा, 'यह वास्तव में कुछ है. वास्तव में यह काफी महान इतिहास है.' ट्रम्प ने सऊदी अरब के साहसिक नये सुधारों और इस्राइली गणतंत्र की 70वीं जयंती का उदाहरण दिया.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका केवल उन्हीं देशों को सहायता देगा जिन्हें वह अपना सहयोगी मानता है. ट्रम्प ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक भाषण में कहा कि हम देखेंगे कि कहां काम हो रहा …

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3 माह की बेटी के साथ संयुक्त राष्ट्र की बैठक में पहुंचीं इस देश की प्रधानमंत्री

संयुक्त राष्ट्रमहासभा में मंगलवार का दिन बहुत खास था। दुनियाभर के राष्ट्र प्रमुख यहां जुटे हैं, लेकिन सबका ध्यान न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जसिंडा आर्दर्न की तरफ था। कारण - जसिंडा अपनी तीन माह की बेटी को लेकर यहां पहुंची थीं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई महिला राष्ट्रप्रमुख अपने नवजात के साथ यहां पहुंची हों। मालूम हो इसी साल जून में जसिंदा ने बेटी को जन्म दिया था। 21 जून को डिलीवरी से पहले उन्होंने पीएम पद की पूरी जिम्मेदारी डिप्टी पीएम को सौंप दी थी। तब जोसिंडा दुनिया की दूसरी ऐसी महिला प्रधानमंत्री बनी थीं, जो पद पर रहते हुए मां बनीं हैं। पहली बार यह उपलब्धि पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहते बेनजीर भुट्टो ने हासिल की थी। 37 साल की जेसिंडा पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री बनी थीं। बता दें, बेनजीर भुट्टो ने 1990 में प्रधानमंत्री रहते 25 जनवरी को बेटी असीफा को जन्म दिया था। बेनजीर भुट्टो और आसिफ अली जरदारी की यह दूसरी संतान थी। इससे पहले विपक्ष में रहते हुए बेनजीर ने 21 सितंबर 1988 को बेटे बिलावल को जन्म दिया था। इसके तीन माह बाद ही पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने चुनाव जीता और भुट्टो प्रधानमंत्री बनीं। मालूम हो, 27 दिसंबर 2007 को भुट्टो की हत्या कर दी गई थी। जेसिंडा ने जनवरी 2018 में इस खुशखबरी का ऐलान किया था। तब उन्होंने कहा था कि ये चौंकाने वाली खबर है, पर वे और उनके पति क्‍लार्क गेफोर्ड बेहद खुश हैं। जेसिंडा ने यह भी कहा था कि वह बच्‍चे के जन्‍म के बाद छह माह का अवकाश लेंगी। उस समय डिप्‍टी पीएम सारा कार्यभार संभालेंगी और वह फोन पर उपलब्‍ध रहेंगी।

संयुक्त राष्ट्रमहासभा में मंगलवार का दिन बहुत खास था। दुनियाभर के राष्ट्र प्रमुख यहां जुटे हैं, लेकिन सबका ध्यान न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जसिंडा आर्दर्न की तरफ था। कारण – जसिंडा अपनी तीन माह की बेटी को लेकर यहां पहुंची थीं। …

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जल्द ही उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन से मिलेंगे ट्रंप

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि निकट भविष्य में वह उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन के साथ दूसरी शिखर बैठक करेंगे. दोनों नेताओं के बीच पहली बैठक जून में सिंगापुर में हुई थी. न्यूयॉर्क में चल रहे संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र से इतर दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेइ-इन से मुलाकात के बाद ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं जल्दी ही चेयरमैन किम से मिलूंगा. जगह और समय तय करने पर चर्चा चल रही है, हम उसकी घोषणा करेंगे.’’ बाद में व्हाइट हाउस ने कहा कि दोनों नेताओं ने ट्रंप और किम के बीच दूसरे शिखर सम्मेलन की योजना पर चर्चा की और भविष्य में साथ मिलकर काम करने पर राजी हुए. व्हाइट हाउस ने कहा कि मून ने हाल ही में संपन्न हुए अंतर-कोरियाई शिखर सम्मेलन में हुई बातचीत और उसमें लिये गये फैसलों से ट्रंप को अवगत कराया. गौरतलब है कि इसी बैठक में किम ने अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों की मौजूदगी में अपने मिसाइल परीक्षण केन्द्र को बंद करने की बात कही थी. बयान के अनुसार, ट्रंप ने उत्तर कोरिया के साथ तीसरी सफल शिखर बैठक के लिए राष्ट्रपति मून की प्रशंसा की. राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि उत्तर कोरिया के पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि निकट भविष्य में वह उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन के साथ दूसरी शिखर बैठक करेंगे. दोनों नेताओं के बीच पहली बैठक जून में सिंगापुर में हुई थी. न्यूयॉर्क में …

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इवांका ट्रंप को फ‍िर भेजा न्‍योता, रिश्‍ते को आगे बढ़ाने के लिए दक्षिण कोरिया ने एक कदम और आगे बढाया

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बेटी इवांका ट्रंप को सियोल और वाशिंगटन के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए दक्षिण कोरिया ने दूसरा निमंत्रण भेजा है।  योनहाप न्‍यूज एजेंसी के मुताबिक आमंत्रण की तिथि को बढ़ाया गया है। साउथ कोरिया की व‍िदेश मंत्री कांग क्युंग वा अभी न्‍यूयार्क में इवांका ट्रंप के साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र में भाग ले रही हैं। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हीदर ने भी इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की सूचना अपने ट्विटर पर दी है। आगे बढ़ रही दोस्‍ती उन्‍होंने कहा क‍ि हम सकारात्‍मक सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। दक्ष‍िण कोरिया के इस कदम का हम स्‍वागत करते हैं। दोनों देश के बीच दोस्‍ती को आगे बढ़ाने का दौर चल रहा है। इसी कड़ी में दक्षिण कोरिया की व‍िदेश मंत्री ने इवांका ट्रंप को अमेरिका और दक्षिण कोरिया के रिश्‍ते को मजबूत करने के लिए बुलाया है। उन्‍होंने कहा कि हम इस मुद्दे को सकारात्‍मक तरीके से देख रहे हैं। व्‍यापार का हुआ था समझौता इससे पहले प्योंगचांग में विंटर ओलंपिक के समापन समारोह में भाग लेने के लिए जब इवांका वहां आई थीं तब उन्‍होंने दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति सी जेई-इन के साथ भोजन किया था। इसके साथ ही खेल में भाग लेने वाले अमेरिकी दल से भी मुलाकात की थी। वहीं अमेरिकी राष्‍ट्रपति और दक्षिण कोरिया के राष्‍ट्रपति की मुलाकात में फ्री ट्रेड के लिए समझौता हुआ था। इससे दोनों देशों के रिश्‍तों को मजबूती देने में ताकत मिल रही है। उन्‍होंने आगे बताया कि इसी मुलाकात में ट्रंप और किम जोंग-उन की अगली मुलाकात की नींव रखी गई थी।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बेटी इवांका ट्रंप को सियोल और वाशिंगटन के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए दक्षिण कोरिया ने दूसरा निमंत्रण भेजा है।  योनहाप न्‍यूज एजेंसी के मुताबिक आमंत्रण की तिथि को बढ़ाया गया है। …

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‘इंडिया से प्यार करता हूं, मेरे दोस्त PM मोदी को मेरा सलाम कहना’ सुषमा से बोले ट्रंप

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम के दौरान एक दूसरे का हाल-चाल पूछा. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने मादक पदार्थों के प्रतिरोध पर इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की. कार्यक्रम के समापन के अवसर पर ट्रंप के मंच से उतरने पर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को गले लगाया और राष्ट्रपति ट्रंप से उन्हें मिलाया. भारतीय राजनयिक सूत्रों ने बताया कि सुषमा ने जब अमेरिकी राष्ट्रपति से कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शुभकामनाएं लेकर आई हैं तब ट्रंप ने कहा, 'मैं भारत से प्यार करता हूं, मेरे मित्र पीएम मोदी को मेरा अभिवादन भेजिएगा.' संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र के उच्च स्तरीय सप्ताह के शुरू होने पर विदेश मंत्री विश्व मादक पदार्थ समस्या पर कार्रवाई के लिए वैश्विक आह्वान में शरीक हुई. इसकी अध्यक्षता ट्रंप ने की. दूसरी ओर, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को लेकर अमेरिकी प्रतिबंध अधिनियम को लागू करने के लिए कार्यकारी आदेश जारी किया है. व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, इस एक्ट का नाम 'काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सेरीज थ्रू सेंक्शन एक्ट' (सीएएटीएसए) है, जो 2017 में पारित हुआ था. इसके तहत वित्त मंत्रालय राष्ट्रपति की शक्तियों के निहित ईरान, उत्तर कोरिया और रूस पर प्रतिबंध लगा सकता है. इसी दिन जारी एक और बयान के मुताबिक, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता हीथर नॉअर्ट ने कहा कि इस कार्यकारी आदेश के अनुरूप अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए और सख्त कदम उठाए हैं और रूस की घातक गतिविधियों के लिए रूस पर प्रतिबंध लगाने की कवायद है. पोम्पियो ने रूस की 33 कंपनियों और लोगों को सीएएटीएसए सूची में शामिल किया है. अमेरिकी वित्त विभाग ने मार्च में सीएएटीएसए के पतहत रूस की 5 कंपनियों और 19 लोगों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम के दौरान एक दूसरे का हाल-चाल पूछा. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने मादक पदार्थों के प्रतिरोध पर इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की. …

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राफेल डील के कारण फ्रांस को भारत के साथ संबंध खराब होने का डर सता रहा है… 

फ्रांस सरकार ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के राफेल करार पर बयान से उपजे विवाद के बाद उसे भारत के साथ संबंध खराब होने का डर है। राफेल लड़ाकू जेट विमानों की खरीद को लेकर ओलांद के बयान ने भारत में पहले से चल रहे विवाद को और हवा दे दी है। ओलांद ने पिछले साल मई में फ्रांस के राष्ट्रपति का पद छोड़ा था। शुक्रवार को उन्होंने कहा था कि फ्रांस की विमान कंपनी दासौ एविएशन को 2016 में भारतीय प्रशासन के साथ हुए सौदे के तहत भागीदार चुनने में कोई विकल्प नहीं दिया गया था। राफेल डील : फ्रांस को भारत के साथ संबंध खराब होने का डर यह भी पढ़ें ओलांद के बयान पर रविवार को फ्रांस के जूनियर विदेश मंत्री जीन-बापटिस्ट लीमोयने ने कहा कि यह जो बयान दिया गया है, इससे किसी का भला नहीं होने वाला है। सबसे बड़ी बात है कि इससे फ्रांस को कोई फायदा नहीं होने वाला है। एक साक्षात्कार में लीमोयने ने कहा कि कोई भी जब पद पर नहीं है और वह ऐसा वक्तव्य देता है, जिससे भारत में विवाद खड़ा होता है और भारत-फ्रांस के बीच रणनीतिक भागीदारी को नुकसान पहुंचाता है, तो यह वास्तव में उचित नहीं है। पाक विपक्ष ने कहा, कूटनीतिक विफलता के लिए इमरान सरकार जिम्मेदार यह भी पढ़ें ओलांद ने यह बयान खुद अपने बचाव में दिया है। उन पर आरोप है कि उनकी गर्लफ्रेंड जूली गाएत ने 2016 में एक फिल्म का निर्माण अंबानी की कंपनी के सहयोग से किया। यह निश्चित तौर पर हितों के टकराव को दिखाता है।

फ्रांस सरकार ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के राफेल करार पर बयान से उपजे विवाद के बाद उसे भारत के साथ संबंध खराब होने का डर है। राफेल लड़ाकू जेट विमानों की खरीद को लेकर ओलांद के …

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