कारोबार

कच्चे तेल के दाम में कटौती, जानें आज क्या है पेट्रोल-डीजल का हाल

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पिछले 7 दिनों से कोई बदलाव नहीं हुआ है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में जारी उथल-पुथल के बीच 8वें दिन भी ईंधन की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. तेल कंपनियों ने बुधवार को भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों कोई बदलाव नहीं किया है. बुधवार को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 75.55 रुपये प्रति लीटर पर बनी हुई है. वहीं, डीजल भी यहां 67.38 रुपये प्रति लीटर पर बना हुआ है. मुंबई की बात करें तो यहां पेट्रोल की कीमत 82.94 रुपये प्रति लीटर पर बनी हुई है. डीजल भी 71.49 रुपये प्रति लीटर पर है. कोलकाता में पेट्रोल 78.23 रुपये प्रति लीटर का मिल रहा है. डीजल की कीमत यहां पर 69.93 रुपये प्रति लीटर पर बनी हुई है. वहीं, चेन्नई की बात करें तो यहां पर एक लीटर पेट्रोल के लिए आपको 78.40 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. बुधवार को डीजल यहां 71.12 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है. कच्चे तेल की बात करें, तो मंगलवार को यह 5 साल के सबसे ऊपरी स्तर पर पहुंच गया था. डब्लूटीआई क्रूड ने 75 डॉलर प्रति बैरल का आंकड़ा पार कर लिया था. वहीं, ब्रेंट क्रूड की बात करें, तो यह 78 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया था. यह पहली बार था, जब क्रूड की कीमतें इस स्तर पर पहुंची हुई हैं. हालांकि सऊदी अरब के क्रूड प्रोडक्शन बढ़ाए जाने के फैसले से क्रूड में नरमी आई. इस फैसले के बाद क्रूड ऑयल टूटकर 73 अरब डॉलर के नीचे आ गया. अगर कच्चे तेल की कीमतें आगे भी कम होती रहती हैं, तो इसका फायदा पेट्रोल और डीजल की कम कीमत के तौर पर जल्द मिल सकता है.

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पिछले 7 दिनों से कोई बदलाव नहीं हुआ है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में जारी उथल-पुथल के बीच 8वें दिन भी ईंधन की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. …

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ATM से पैसे निकालना हो सकता है महंगा, बैंकों ने RBI से मांगी मंजूरी

वैसे तो देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन अब यह भी आम लोगों की जेब पर भारी पड़ सकता है। देश के बैंकों ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिखकर एटीएम से पैसे निकालने पर चार्ज बढ़ाने की इजाजत मांगी है। दरअसल, रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को अपने एटीएम अपग्रेड करने के लिए कहा है। इसका पहला चरण इसी साल अगस्त तक पूरा होना है। लेकिन एटीएम अपग्रेड करने से बैंकों पर खर्च का बोझ बढ़ेगा और बैंकों ने इसका तोड़ निकालते हुए यह बोझ आम जनता पर डालने की तैयारी कर ली है। उन्होंने आरबीआई को पत्र लिखकर एटीएम ट्रांजेक्शन बढ़ाने की इजाजत मांगी है। अगर ऐसा होता है तो बैंक दो तरह से यह चार्ज बढ़ा सकते हैं। या तो वो एटीएम से फ्री ट्रांजेक्शन खत्म होने पर लिए जाने वाले 18 रुपए के चार्ज को बढ़ा दें या फिर फ्री ट्रांजेक्शन की संख्या कम कर दें। आरबीआई ने क्यों दिया एटीएम अपग्रेड का निर्देश आरबीआई ने सभी बैंकों से एटीएम को अपग्रेड करने का निर्देश धोखाधड़ी और हैकिंग जैसी शिकायतों को देखते हुए दिया है। इसकी पहली डेडलाइन अगस्त, 2018 है। वहीं, आखिरी चरण जून 2019 में समाप्त होगा। जानकारी के लिए बता दें कि एटीएम अपग्रेडेशन के तहत बैंकों को बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम (बीआईओएस) को अपग्रेड करना होगा। इसके जरिए सिस्टम को बूट या जाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम लोड करते समय बीआईओएस कंप्यूटर के हार्डवेयर जिसमें रैम, प्रोसेसर, कीबोर्ड, माउस, हार्ड ड्राइव को कॉन्फिगर करता है। आरबीआई ने बैंकों से यूएसबी पोर्ट डिसेबल कर एटीएम के ऑपरेटिंग सिस्टम का नवीनतम वर्जन लागू करने के लिए कहा है। साथ ही नये नोट के लिहाज से एटीएम के कैसेट को रीकॉन्फिगर करने के लिए भी कहा गया है। गौरतलब है कि नये एटीएम की लागत पहले के मुकाबले 30 फीसद तक बढ़ सकती है।

वैसे तो देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन अब यह भी आम लोगों की जेब पर भारी पड़ सकता है। देश के बैंकों ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिखकर एटीएम से पैसे निकालने …

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एनआरआई को भी भारत में चुकाना पड़ सकता है आयकर

भारत में एनआरआई की टैक्स फाइलिंग उनकी आवासीय स्थिति पर निर्भर करती है। यदि किसी की आवासीय स्थिति (रेजिडेंशियल स्टेटस) 'भारत का निवासी' है तो उसकी वैश्विक आय भारत में भी कर योग्य होगी। इसका मतलब यह हुआ की उस व्यक्ति की कमाई, चाहे वह दुनिया में कहीं भी कमाता हो और उसने विदेश में इनकम टैक्स चुका दिया हो, उसे वह आय भारत में अपने टैक्स कम्प्यूटेशन में शामिल करके टैक्स भरना होगा। इस मामले में तभी राहत मिलती है जब भारत और संबंधित देश ने आपस में 'डबल टैक्स अवॉयडेंस एग्रीमेंट' कर रखा हो। लेकिन यदि व्यक्ति एनआरआई स्टेटस में है यानी भारत के अनिवासी श्रेणी में आता है तो उसे केवल भारत में अर्जित आय पर टैक्स चुकाना होगा। भारत में अर्जित आय का मतलब 1. वेतन से होने वाली आय, जो भारत में या भारत में प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए हुई हो। 2. भारत स्थित रिहायशी प्रॉपर्टी से होने वाली आय। 3. भारत स्थित संपत्तियों के हस्तांतरण पर पूंजीगत लाभ। 4. एफडी से आय या बचत खातों पर मिलने वाला ब्याज। एनआरआई के लिए, इनमें से किसी भी स्रोत से होने वाली आय कर योग्य होगी, यदि वह 2.5 लाख रुपए से अधिक हो। भारत से बाहर अर्जितआय भारत में कर योग्य नहीं होगी। यह भी ध्यान रखें कि एनआरआई या एफसीएनआर खातों पर ब्याज कर मुक्त होगा, लेकिन एनआरओ खातों पर ब्याज कर योग्य होगा। एक खास स्थिति एक वित्त वर्ष के दौरान आय 2.5 लाख रुपए से कम होने पर भी एनआरआई को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना पड़ सकता है। यहमजबूरी तब होगी जब उन्हें टैक्स रिफंड क्लेम करना हो या बिजनेस या रिहायशी प्रॉपर्टी का कोई नुकसान क्लेम करना हो। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए राहुल लंबे समय से अमेरिका में है। वह नौकरी के लिए लांग टीम असाइनमेंट के लिए साल 2009 से ही भारत से बहार है। उसका भारत में एनआरओ बैंक खाते से सालाना 50 हजार रुपए की ब्याज आय होती है। इसके अलावा उसे भारत में एक फ्लैट से 15 हजार रुपए का किराया मिलता है। अब सवाल उठता है कि क्या राहुल को टैक्स देना होगा? और क्या उसे टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा? इस मामले में राहुल भारतीय नागरिक है जो नौकरी के काम से अमेरिका में रह रहा है। आयकर अधिनियम के तहत उसे भारत का निवासी तभी माना जाएगा, जब बीते वित्त वर्ष वह भारत में 182 दिन या उससे अधिक समय रहा हो । लेकिन, राहुल ने तो 13 मई 2009 को ही भारत छोड़ दिया था और भारत में कभी एक साल में एक माह से अधिक नहीं रहा। असल में बीते वित्त वर्ष राहुल ने भारत से बाहर 182 दिन से अधिक बिताया है, लिहाजा वह एनआरआई माना जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि राहुल को भारत में अर्जित आय पर ही टैक्सचुकाना होगा और रिटर्न फाइल करना होगा। उसे अमेरिका में अर्जित आय पर भारत में टैक्स नहीं देना होगा।भारत में एनआरआई की टैक्स फाइलिंग उनकी आवासीय स्थिति पर निर्भर करती है। यदि किसी की आवासीय स्थिति (रेजिडेंशियल स्टेटस) 'भारत का निवासी' है तो उसकी वैश्विक आय भारत में भी कर योग्य होगी। इसका मतलब यह हुआ की उस व्यक्ति की कमाई, चाहे वह दुनिया में कहीं भी कमाता हो और उसने विदेश में इनकम टैक्स चुका दिया हो, उसे वह आय भारत में अपने टैक्स कम्प्यूटेशन में शामिल करके टैक्स भरना होगा। इस मामले में तभी राहत मिलती है जब भारत और संबंधित देश ने आपस में 'डबल टैक्स अवॉयडेंस एग्रीमेंट' कर रखा हो। लेकिन यदि व्यक्ति एनआरआई स्टेटस में है यानी भारत के अनिवासी श्रेणी में आता है तो उसे केवल भारत में अर्जित आय पर टैक्स चुकाना होगा। भारत में अर्जित आय का मतलब 1. वेतन से होने वाली आय, जो भारत में या भारत में प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए हुई हो। 2. भारत स्थित रिहायशी प्रॉपर्टी से होने वाली आय। 3. भारत स्थित संपत्तियों के हस्तांतरण पर पूंजीगत लाभ। 4. एफडी से आय या बचत खातों पर मिलने वाला ब्याज। एनआरआई के लिए, इनमें से किसी भी स्रोत से होने वाली आय कर योग्य होगी, यदि वह 2.5 लाख रुपए से अधिक हो। भारत से बाहर अर्जितआय भारत में कर योग्य नहीं होगी। यह भी ध्यान रखें कि एनआरआई या एफसीएनआर खातों पर ब्याज कर मुक्त होगा, लेकिन एनआरओ खातों पर ब्याज कर योग्य होगा। एक खास स्थिति एक वित्त वर्ष के दौरान आय 2.5 लाख रुपए से कम होने पर भी एनआरआई को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना पड़ सकता है। यहमजबूरी तब होगी जब उन्हें टैक्स रिफंड क्लेम करना हो या बिजनेस या रिहायशी प्रॉपर्टी का कोई नुकसान क्लेम करना हो। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए राहुल लंबे समय से अमेरिका में है। वह नौकरी के लिए लांग टीम असाइनमेंट के लिए साल 2009 से ही भारत से बहार है। उसका भारत में एनआरओ बैंक खाते से सालाना 50 हजार रुपए की ब्याज आय होती है। इसके अलावा उसे भारत में एक फ्लैट से 15 हजार रुपए का किराया मिलता है। अब सवाल उठता है कि क्या राहुल को टैक्स देना होगा? और क्या उसे टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा? इस मामले में राहुल भारतीय नागरिक है जो नौकरी के काम से अमेरिका में रह रहा है। आयकर अधिनियम के तहत उसे भारत का निवासी तभी माना जाएगा, जब बीते वित्त वर्ष वह भारत में 182 दिन या उससे अधिक समय रहा हो । लेकिन, राहुल ने तो 13 मई 2009 को ही भारत छोड़ दिया था और भारत में कभी एक साल में एक माह से अधिक नहीं रहा। असल में बीते वित्त वर्ष राहुल ने भारत से बाहर 182 दिन से अधिक बिताया है, लिहाजा वह एनआरआई माना जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि राहुल को भारत में अर्जित आय पर ही टैक्सचुकाना होगा और रिटर्न फाइल करना होगा। उसे अमेरिका में अर्जित आय पर भारत में टैक्स नहीं देना होगा।

भारत में एनआरआई की टैक्स फाइलिंग उनकी आवासीय स्थिति पर निर्भर करती है। यदि किसी की आवासीय स्थिति (रेजिडेंशियल स्टेटस) ‘भारत का निवासी’ है तो उसकी वैश्विक आय भारत में भी कर योग्य होगी। इसका मतलब यह हुआ की उस …

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सब्सिडी वाला सिलेंडर 2.71 रुपये महंगा, बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर के दाम भी बढ़े

रुपये में गिरावट और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गैस के बेस प्राइज पर टैक्स का प्रभाव आने के चलते आज से सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर महंगा हो गया है. सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर में 2.71 रुपये प्रति सिलेंडर का इजाफा हुआ है. इसके अलावा गैर सब्सिडी वाला सिलेंडर भी 55.50 रुपये महंगा हो गया है. सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर की दिल्ली में कीमत बढ़कर 493.55 रुपये हो गई है. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने ये जानकारी दी है. तेल कंपनियां हर महीने की पहली तारीख को एलपीजी कीमतों में बदलाव करती है और ये औसत बेंचमार्क कीमतों और पिछले महीने के फॉरेन एक्सचेंज रेट के आधार पर तय होती हैं. आईओसी ने कहा कि घरेलू नॉन सब्सिडाइज्ड एलपीजी पर जीएसटी की दरों में बदलाव के कारण भी एलपीजी कीमतों में ये इजाफा देखा गया है. ऊंची वैश्विक कीमतों के कारण गैर सब्सिडी वाला सिलेंडर के दाम में 55.50 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी कर दी गई है. इससे पहले 31 मई को सब्सिडी वाले गैस सिलिंडरों की कीमतों में 2.33 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई थी. वहीं बिना सब्सिडी वाले एलपीजी सिलिंडरों में सीधे 48 रुपए की बढ़ोत्तरी की गई थी. इंडियन ऑयल ने बयान में कहा , " बाकी बचे 52.79 रुपये (55.50-2.71 रुपये) ग्राहकों को क्षतिपूर्ति के रूप में उनके बैंक खाते में स्थानांतरित किए जाएंगे. इस प्रकार , जुलाई 2018 में ग्राहकों के बैंक खातों में सब्सि़डी ट्रांसफर बढ़कर 257.74 रुपये प्रति सिलेंडर हो गया है , जो कि जून 2018 में 204.95 पैसे प्रति सिलेंडर था. इस प्रकार सब्सिडी वाले एलपीजी ग्राहक एलपीजी की अंतरराष्ट्रीय दरों में वृद्धि से सुरक्षित हैं. सब्सिडी वाले आम उपभोक्ता को साल में 14.2 किलो के 12 सिलेंडर सब्सिडी के तहत मिलते हैं. इसके बाद उन्हें बाजार कीमत या बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर खरीदना होता है.रुपये में गिरावट और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गैस के बेस प्राइज पर टैक्स का प्रभाव आने के चलते आज से सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर महंगा हो गया है. सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर में 2.71 रुपये प्रति सिलेंडर का इजाफा हुआ है. इसके अलावा गैर सब्सिडी वाला सिलेंडर भी 55.50 रुपये महंगा हो गया है. सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर की दिल्ली में कीमत बढ़कर 493.55 रुपये हो गई है. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने ये जानकारी दी है. तेल कंपनियां हर महीने की पहली तारीख को एलपीजी कीमतों में बदलाव करती है और ये औसत बेंचमार्क कीमतों और पिछले महीने के फॉरेन एक्सचेंज रेट के आधार पर तय होती हैं. आईओसी ने कहा कि घरेलू नॉन सब्सिडाइज्ड एलपीजी पर जीएसटी की दरों में बदलाव के कारण भी एलपीजी कीमतों में ये इजाफा देखा गया है. ऊंची वैश्विक कीमतों के कारण गैर सब्सिडी वाला सिलेंडर के दाम में 55.50 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी कर दी गई है. इससे पहले 31 मई को सब्सिडी वाले गैस सिलिंडरों की कीमतों में 2.33 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई थी. वहीं बिना सब्सिडी वाले एलपीजी सिलिंडरों में सीधे 48 रुपए की बढ़ोत्तरी की गई थी. इंडियन ऑयल ने बयान में कहा , " बाकी बचे 52.79 रुपये (55.50-2.71 रुपये) ग्राहकों को क्षतिपूर्ति के रूप में उनके बैंक खाते में स्थानांतरित किए जाएंगे. इस प्रकार , जुलाई 2018 में ग्राहकों के बैंक खातों में सब्सि़डी ट्रांसफर बढ़कर 257.74 रुपये प्रति सिलेंडर हो गया है , जो कि जून 2018 में 204.95 पैसे प्रति सिलेंडर था. इस प्रकार सब्सिडी वाले एलपीजी ग्राहक एलपीजी की अंतरराष्ट्रीय दरों में वृद्धि से सुरक्षित हैं. सब्सिडी वाले आम उपभोक्ता को साल में 14.2 किलो के 12 सिलेंडर सब्सिडी के तहत मिलते हैं. इसके बाद उन्हें बाजार कीमत या बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर खरीदना होता है.

रुपये में गिरावट और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गैस के बेस प्राइज पर टैक्स का प्रभाव आने के चलते आज से सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर महंगा हो गया है. सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर में 2.71 रुपये प्रति सिलेंडर का इजाफा हुआ …

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आखिर स्विस बैंक में ही क्यों ब्लैक मनी जमा कराते हैं धन कुबेर, जानिए

अगर स्विस बैंककर्मी किसी खाते की जानकारी लीक करता है तो उसे छह महीने की कैद के अलावा 50,000 फ्रैंक्स (करीब 34 लाख रुपये) तक का जुर्माना हो सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि बैंक गोपनीयता कानून की धारा 47 के अनुसार स्विट्जरलैंड के हर बैंक का कर्मचारी, अधिकारी, बैंकिंग संबंधित संस्थाएं, एजेंट, लेखा-परीक्षक (ऑडिटर) और स्वयं बैंक निगरानी आयोग के सदस्य और कर्मचारी भी गोपनीयता को बनाये रखने के लिए बाध्य हैं।

वर्ष 2017 में भारतीयों की ओर स्विस बैंक में जमा होने वाले पैसों में 50 फीसद की तेजी देखने को मिली है। स्विस बैंक की ओर से नेशनल बैंक की ओर से यह आंकड़ा जारी किया गया है। बैंक के …

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स्व‍िस बैंक: कांग्रेस राज में 41 हजार करोड़ की जमा राशि‍, मोदी राज में ऐसे हुई 7 हजार करोड़

मोदी सरकार के राज में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राश‍ि पिछले चार साल में पहली बार बढ़ी है. पिछले साल यह राश‍ि एक अरब स्विस फ्रैंक (7,000 करोड़ रुपये) के दायरे में पहुंच गई. लेकिन एक वक्त वो भी था, जब स्व‍िस बैंकों में भारतीयों का पैसा 41400 करोड़ के स्तर पर पहुंच गया था. स्व‍िस बैंकों में भारतीयों की तरफ से पैसे रखने के मामले में पिछले 12 सालों में काफी ज्यादा कमी आई है. कांग्रेस राज में यह आंकड़ा एक वक्त में रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया था. साल 2006 में इसने 41400 करोड़ का आंकड़ा छुआ था. 2014 में जब मोदी सरकार आई, तो उस दौरान स्व‍िस बैंकों में भारतीयों का पैसा घटकर 14 हजार करोड़ पर पहुंच गया था. कांग्रेस राज में ऐसा रहा हाल: देश में 2004 से 2014 तक कांग्रेस की सरकार रही. इस दौरान भी स्व‍िस बैंक में छुपे काले धन को लेकर चर्चा होती थी. हालांकि उस समय स्व‍िस बैंकों के नियम कड़े होने की वजह से इन बैंकों में खाता रखने वाले लोगों की जानकारी निकाल पाना मुश्क‍िल होता था. हालांकि धीरे-धीरे हालात बदले और स्व‍िट्जरलैंड के बैंकों ने अपने नियमों में थोड़ा ढील देना शुरू किया. कांग्रेस राज में भी कम हुआ आकंड़ा: स्व‍िस नेशनल बैंक के आंकड़ों को देखें तो 2006 में 41400 करोड़ के रिकॉर्ड हाई स्तर पर पहुंचने के बाद स्व‍िस बैंक में भारतीयों का पैसा कम हुआ है. 2006 के बाद 2007 में यह आंकड़ा 27500 करोड़ रुपये पर पहुंचा. इसी तरह 2008 में 15400 करोड़, 2009 में 12600 करोड़, 2010 में यह आंकड़ा घटकर 12450 करोड़ पर पहुंचा. 2011 में फिर बढ़ी रकम: इसके बाद 2011 में एक बार फिर इसमें बढ़ोतरी हुई और स्व‍िस बैंकों में भारतीयों का पैसा बढ़कर 14000 करोड़ पर पहुंच गया. 2012 में फिर इसमें गिरावट आई और यह 9000 करोड़ रुपये पर आ गया. इसके बाद 2013 में एक बार फिर यह आंकड़ा 14 हजार करोड़ पर पहुंचा. जून, 2014 में जब मोदी सरकार ने देश की कमान संभाली, तो इस दौरान स्व‍िस बैंकों में भारतीयों का पैसा 10.6 फीसदी घटकर 12,615 करोड़ पर पहुंच गया था. मोदी राज में हुई रिकॉर्ड गिरावट: 2014 के आम चुनावों में स्व‍िस बैंकों में छुपा काला धन सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काला धन वापस लाने को लेकर वादे भी किए. इसके बाद मोदी सरकार के 4 साल के कार्यकाल में काले धन पर लगाम कसने के लिए कई कदम उठाए गए. मोदी सरकार के कार्यकाल में 2015 में यह आंकड़ा 8392 करोड़ पर आया. वहीं, 2016 में इसमें रिकॉर्ड कमी आई और यह 4500 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचा. क्या मोदी सरकार के प्रयास से ही आई कमी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चार साल के कार्यकाल में काले धन के ख‍िलाफ कई कदम उठाए हैं. लेक‍िन सिर्फ मोदी सरकार के प्रयासों से इसमें सफलता नहीं मिली है. स्व‍िस बैंक हमेशा से काले धन के लिए सेफ हेवन बनने की वजह से आलोचकों के निशाने पर रहे हैं. 2010 के बाद से दुनियाभर के कई देशों ने स्व‍िस सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया ताकि वे अपने कड़े नियमों को आसान कर काले धन यहां छुपाने वालों पर अंकुश लगाए. नियमों में ढील से भी कम हुई जमा राश‍ि: इसके बाद स्व‍िट्जरलैंड ने काफी समय तक इसका विरोध किया, लेकिन आख‍िर यहां की सरकार अपने बैंक‍िंग नियमों में ढील देने को तैयार हुई. इसके बाद स्‍व‍िस सरकार ने कई देशों के साथ संध‍ि की. इसमें भारत भी शामिल है. इस संध‍ि के तहत स्व‍िट्जरलैंड संबंध‍ित देश के खाताधारकों की जानकारी कुछ शर्तों के साथ साझा करने के लिए तैयार हुआ. इस वजह से कई लोगों ने स्व‍िस बैंकों से अपना पैसा निकालना शुरू कर‍ दिया. बैंकों ने घरेलू स्तर पर ही कारोबार बढ़ाने पर दिया फोकस: इसके साथ ही वैश्व‍िक स्तर पर बढ़ रहे दबाव के चलते स्व‍िस बैंकों ने घरेलू स्तर पर ही अपने कारोबार को बढ़ाने पर फोकस करने की तरफ ध्यान देना शुरू किया. इसलिए इन्होंने न सिर्फ विदेश‍ियों के लिए पैसा रखने के नियमों को कड़ा किया, बल्क‍ि अपना फोकस देश में ही सेवा देने पर भी श‍िफ्ट किया. इससे भी कहीं-न-कहीं स्व‍िस बैंकों में भारत समेत अन्य देशों की जमा राश‍ि कम हुई.

मोदी सरकार के राज में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राश‍ि पिछले चार साल में पहली बार बढ़ी है. पिछले साल यह राश‍ि एक अरब स्विस फ्रैंक (7,000 करोड़ रुपये) के दायरे में पहुंच गई. लेकिन एक वक्त वो …

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लगातार दूसरे द‍िन नहीं बदले पेट्रोल-डीजल के दाम, आज ये हैं कीमतें

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में मंगलवार तक मिल रही राहत पर बुधवार से ब्रेक लगा हुआ है. गुरुवार को भी पेट्रोल और जीएसटी की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. कच्चे तेल की कीमतों में जारी बढ़ोतरी के चलते ईंधन पर मिल रही राहत भी खत्म हो रही है. गुरुवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतें मंगलवार के स्तर पर बनी हुई हैं. दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल के लिए आपको 75.55 रुपये प्रति लीटर चुकाने पड़ रहे हैं. कोलकाता की बात करें तो यहां 78.23 रुपये प्रति लीटर पर है. मुंबई में 83.12 और चेन्नई में 78.40 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है. वहीं डीजल की बात करें, तो यह भी मंगलवार के स्तर पर बना हुआ है. गुरुवार को दिल्ली में एक लीटर डीजल की कीमत 67.38 रुपये हुई है. कोलकाता में यह 69.93 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 71.52 पर पहुंच गया है. चेन्नई में यह 71.12 रुपये प्रति लीटर का मिल रहा है. कच्चे तेल भी महंगा: कच्चे तेल की कीमतों में भी लगातार इजाफा हो रहा है. बुधवार को कच्चा तेल नवंबर, 2014 के बाद सबसे महंगा हुआ है. बुधवार को डब्लूटीआई क्रूड 72.76 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा. वहीं, ब्रेंट क्रूड 77.62 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है. कच्चे तेल में बढ़ोतरी और रुपये में लगातार दर्ज हो रही गिरावट के चलते आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होने का संकेत है.

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में मंगलवार तक मिल रही राहत पर बुधवार से ब्रेक लगा हुआ है. गुरुवार को भी पेट्रोल और जीएसटी की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. कच्चे तेल की कीमतों में जारी बढ़ोतरी के …

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डॉलर के मुकाबले रुपया 19 महीने के निचले स्तर पर, आपकी जेब पर ऐसे डालेगा असर

डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड 19 महीने के निचले स्तर पर आ गया है. आज शुरुआती कारोबार में रुपये में 30 पैसे की कमजोरी देखी गई. इसी के साथ डॉलर के मुकाबले रुपया 68.54 रुपये पर आ गया. डॉलर के मुकाबले …

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6 महीने में इन स्टॉक्स ने दिया 100% से ज्यादा रिटर्न

इन्वेस्टर्स इस वर्ष स्मॉल कैप स्टॉक्स में रूचि नहीं ले रहे है. लेकिन वैल्यूएशन संबंधी चिंताओं की वजह से इस सेगमेंट में काफी बिकवाली हुई है. साथ ही, प्रॉफिट ग्रोथ के मोर्चे पर कई कंपनियों के मायूस करने से भी …

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GST के तहत नहीं आ सकता पेट्रोल, आया तो सरकार को होगा भारी नुकसान

GST के तहत नहीं आ सकता पेट्रोल, आया तो सरकार को होगा भारी नुकसान

पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने को लेकर केंद्र सरकार लगातार अपना समर्थन जाहिर कर रही है. हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों को जल्द जीएसटी के तहत लाने पर कोई फैसला होना मुश्किल लग रहा है. लेकिन नीति आयेाग के …

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