आमतौर पर आपको अपने PAN की जानकारी कई जगहों पर देनी होती है. लेकिन अगर आपको अचानक पता चले कि आप तो कई कंपनियों में डायरेक्टर हैं और आपके इस परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) पर करोड़ों का लेनदेन हुआ है तो आपके पैरों तले तो जमीन ही खिसक जाएगी. इसलिए अपने पैन के इस्तेमाल को लेकर आपको सचेत होने की जरूरत है.
दिल्ली के लक्ष्मी नगर में रहने वाले अनुज कुमार श्रीवास्तव की कहानी कुछ ऐसी ही है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अनुज एक फार्मा कंपनी में सेल्स एग्जीक्यूटिव हैं और महीने में करीब 25,000 रुपये की सैलरी पाते हैं. वह लक्ष्मी नगर में एक किराए के मकान में रहते हैं और उनके पास एक छोटी सी कार भी है. लेकिन 27 साल के अनुज श्रीवास्तव को जब यह पता चला कि वह 13 कंपनियों में डायरेक्टर हैं और उनके द्वारा 20 करोड़ रुपये का लेन-देन किया गया, जिनमें कुछ विदेशी कंपनियों से भी लेन-देन है, तो उनके होश फाख्ता हो गए.
इस साल जनवरी महीने में जब इनकम टैक्स विभाग ने उनको नोटिस दिया, तब जाकर उन्हें अपने ‘बिजनेस अम्पायर’ का पता चला. उन्होंने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उनके पैन का इस्तेमाल कर कुछ ‘फर्जी कंपनियों ने विदेशी कंपनियों से भारी लेन-देन किए हैं.’ उनकी इस शिकायत के बाद आखिरकार 31 जुलाई को दिल्ली की एक कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को यह आदेश दिया कि इस पर क्या कार्रवाई हुई उसके बारे में एक सितंबर तक रिपोर्ट दें.
बिहार से आने वाले अनुज ने कहा कि उन्होंने एक बार पांच लाख रुपये के पर्सनल लोन के लिए अप्लाई किया था, तो बैंक ने उनके आईटीआर को देखकर उनका लोन आवेदन खारिज कर दिया था.
जनवरी में अनुज को भेजे गए आयकर विभाग के पहले नोटिस में कहा गया था कि उनके पैन कार्ड के आधार पर 23 अप्रैल, 2015 को 61 लाख रुपये का लेनदेन किया गया था. यह लेनदेन किसी मैक्सकार्ट इम्पेक्स कंपनी के द्वारा डायनामिक टेलीकॉम ट्रेडिंग लिमिटेड को किया गया था. अनुज को मैक्सकार्ट इम्पेक्स कंपनी का प्रोपराइटर बताया गया था. यही नहीं, सीए की मदद से जांच करने पर अनुज को यह पता चला कि वे 13 कंपनियों में डायरेक्टर हैं और उनके पैन के आधार पर पिछले सात महीनों में 20 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया है.
पैन का दुरुपयोग रोकने के लिए बरतें सावधानी
आपको भी अपने पैन कार्ड के इस्तेमाल को लेकर सचेत रहना चाहिए. आपको समय-समय पर नेटबैंकिंग की सुविधा का इस्तेमाल करते हुए अपने फॉर्म 26एएस का विवरण देखते रहना चाहिए, उसमें आपके कटे हुए टैक्स का एक कंसोलिडेटेड स्टेटमेंट होता है.
अगर आप किसी भी जरूरत के लिए कहीं पैन कार्ड की फोटोकॉपी दे रहे हैं तो उस पर दस्तखत कर यह जरूर लिखिए कि आप उसे किस परपज के लिए दे रहे हैं. जैसे ‘फॉर रेंट एग्रीमेंट’ या ‘फॉर दिस या दैट परपज ओनली…’ आईडी प्रूफ के लिए पैन कार्ड की फोटोकॉपी देने से बचें, इसकी जगह आप आधार या अन्य किसी दस्तावेज का इस्तेमाल कर सकते हैं.
अगर किसी के साथ ऐसा फर्जीवाड़ा होता है तो उसे सबसे पहले उस बैंक ब्रांच में जाना चाहिए, जहां से यह लेनदेन हुआ है. वहां जाकर पता करें कि अकाउंट खोलने में आपके किन दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया है. हो सकता है कि आपने कहीं दस्तावेज दिए हों और उसका जालसाजों ने इस्तेमाल कर लिए हों, लेकिन निश्चित रूप से अकाउंट खोलने में आपके फर्जी दस्तखत किए गए होंगे. एक वकील से संपर्क करें और इस बारे में पुलिस और ईडी में शिकायत करें. यहां अगर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो आप फिर कोर्ट का सहारा ले सकते हैं.