राजधानी दिल्ली के ज्यादातर मंदिर नवरात्र पर खुले रहेंगे, लेकिन सबसे ज्यादा प्रसिद्ध कालकाजी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने इतने कड़े दिशानिर्देश दे रखे हैं कि मंदिर प्रशासन ने मंदिर बंद रखने का फैसला यह कहकर कर लिया कि इनका पालन करवा पाना संभव नहीं है। मंदिर के पुजारी नियमित रूप से मां आदिशक्ति की पूजा करेंगे, लेकिन श्रद्धालुओं को परिसर में जाने की इजाजत नहीं होगी। पुजारियों का कहना है नवरात्र पर यहां बड़ी संख्या में भक्त आते हैं जबकि गाइडलाइन के अनुसार एक समय में 15 से अधिक लोग नहीं रहने चाहिए। भक्तों के शरीर का तापमान मापने, शारीरिक दूरी का पालन कराने, मास्क व हाथ सैनिटाइज कराने की जिम्मेदारी भी मंदिर की ही है। सरकार व जिला प्रशासन की ओर से सहयोग मिलने की बजाय सिर्फ सख्ती बढ़ाई जा रही है। ऐसे में मंदिर को बंद करना ही बेहतर रहेगा।
लॉकडाउन वाले कड़वे करेले की मीठी यादें
कोविड-19 महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन के दौरान बंद किए गए बहुत से रास्ते अब भी नहीं खुले हैं। शेख सराय स्थित टैक्सी स्टैंड पर लगे बैरिकेडों पर तो करेले की खेती भी होने लगी है। लॉकडाउन में यहां के प्राइवेट टैक्सी स्टैंड के पास पुलिस ने बैरिकेड लगाकर रास्ता बंद किया था। टैक्सी स्टैंड के स्टाफ ने इनके बगल करेले के बीज बो दिए। पौधा उगा, उसे पानी दिया तो एक-दो माह में पीले बैरिकेड पर करेले की बेल हरी चादर की तरह फैल गई। कुछ दिन बाद फूल आए, फिर करेले। ऐसे में स्टाफ खुशी से झूम उठा। उसने इनकी सब्जी बनाई, अपने परिचितों को भी करेला दिया। बेल में कुछ करेले अब भी लगे हैं। यह रास्ता काफी चौड़ा है और यातायात कम है। यातायात बढ़ने पर हो सकता है बैरिकेड हटा दिए जाएं, लेकिन स्टाफ को कड़वे करेले की मीठी यादें कोरोना काल का सुखद अहसास हमेशा कराती रहेंगी।
रामलीला व दुर्गा पूजा बिना सूनी होगी
दिल्ली आगंतुकों की सीमित संख्या व तमाम पाबंदियों के कारण इस बार रामलीला के लिए न तो भव्य मंच सजेंगे और न ही दुर्गा पूजा के लिए विशाल पंडाल बनाए जाएंगे। दक्षिणी दिल्ली में कई रामलीला कमेटियों ने मंचन न कराने का फैसला किया है। वहीं, दिल्ली के मिनी बंगाल के नाम से मशहूर चितरंजन पार्कमें भी हर पार्ककी तरह सन्नाटा पसरा है। हर साल यहां 14 पूजा समितियां अलग-अगल पार्को में दुर्गा पूजा का आयोजन करती थीं। दो माह पहले से ही पंडाल बनने शुरू हो जाते थे। यहां के बाजारों में बंगाली व्यंजन के शौकीनों का आना-जाना बढ़ जाता था, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण सारी गतिविधियां थम गई हैं। परंपरा को जारी रखने के लिए कालीबाड़ी मंदिर में दुर्गा पूजा भले ही की जाएगी, लेकिन इसमें केवल पूजा समिति के लोग ही शामिल हो सकेंगे। आम भक्तों को यहां भी प्रवेश नहीं मिलेगा।
फिल्म पुरानी है तो क्या हुआ, हॉल तो खुले हैं
कोरोना में लगे लॉकडाउन के कारण कई माह तक लोगों ने मोबाइल व टीवी पर ही मनोरंजन किया। कई माह बाद अब सिनेमाघर खुले भी तो पुरानी फिल्में ही दिखाई गई, लेकिन शुक्र है कि कम से कम हॉल खुले तो सही। छह-सात माह बाद बृहस्पतिवार को राजधानी के कुछ मल्टीप्लेक्स खुले तो दर्शकों में काफी उत्साह नजर आया। इसे जाहिर करने वे हॉल तक पहुंचे भी और फिल्म भी देखी। दक्षिणी दिल्ली के वसंतकुंज स्थित डीएलएफ मॉल में तान्हाजी दिखाई गई। जिन लोगों ने पहले यह फिल्म नहीं देखी थी उनकी तो बल्ले-बल्ले हो गई लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो पहले से फिल्म देख चुके थे। उनका कहना था कि भले ही फिल्म पुरानी है, लेकिन मुफ्त में दिखाई गई इसलिए ठीक है। इसी बहाने कई माह बाद सिनेमा हॉल में आने का मौका मिला और कुछ डर भी कम हुआ। अब किसी नई फिल्म के रिलीज होने का इंतजार है।