नजफगढ़ के खड़खड़ी नाहर गांव में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फसल अवशेष निष्पादन के लिए पूसा डी कंपोजर से बन रहे घोल बनाने की प्रक्रिया का निरीक्षण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि पराली के धुएं की समस्या दिल्लीवासियों को हर साल परेशान करती है। इस साल पूसा कृषि अनुसंधान संस्थान ने पराली का एक बहुत सस्ता और सरल उपाय ढूंढा है। उन्होंने एक घोल बनाया है। घोल को पराली पर छिड़कने से उसका डंठल गल जाता है और वह खाद बन जाती है।
सीएम केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली में सरकार करीब 800 हेक्टेयर कृषि भूमि पर इस घोल का मुफ्त में छिड़काव कराएगी। सफल होने पर इसका उपयोग अगले साल से पड़ोसी राज्यों को भी करने के लिए कहा जाएगा। इस दौरान उन्होंने कहा कि दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर का सबसे बुरा दौर अब खत्म हो चुका है, धीरे धीरे स्थिति में सुधार हो रहा है। अस्पताल में कोरोना के आरक्षित बिस्तर अब खाली हो रहे हैं।
खेतों में डी-कंपोजर घोल का होगा छिड़काव
पंजाब व हरियाणा की तरह दिल्ली के खेतों में धान की फसल अवशेष न जले इसके लिए दिल्ली सरकार किसानों को मुफ्त में दवाई उपलब्ध कराएगी। खड़खड़ी नाहर स्थित डी कंपोजर केंद्र पर घोल तैयार किया जाएगा। केंद्र पर तैयार घोल लेने के लिए किसी किसान को आना नहीं पड़ेगा। दिल्ली सरकार के कर्मी हर किसान के दरवाजे पर जाएंगे, उनसे आवेदन लेने के बाद जरूरत के मुताबिक उन्हें केन में घोल मुहैया कराएंगे।
800 हेक्टेयर में फैले खेतों में किया जाएगा छिड़काव
बता दें यहां पर 400 पतीलों में घोल तैयार किया जाएगा। इस घोल का 800 हेक्टेयर में फैले दिल्ली के खेतों में छिड़काव किया जाएगा। इसके लिए ब्लॉक स्तर पर कृषि विस्तार अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। घोल के छिड़काव के बाद किसानों से कोई पैसा नहीं लिया जाएगा।