दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (Delhi Commission For Protection of Child Rights) ने पिछले सप्ताह 45 निजी स्कूलों में नोटिस भेजा। इन पर कमजोर आय वर्ग (Economically Weaker Section) के छात्रों को किताबें मुहैया कराने से इनकार करने का आरोप लगा है। आयोग के एक सदस्य के मुताबिक, DCPCR को शिकायत मिली थी कि अप्रैल के बाद से इन निजी स्कूलों द्वारा कमजोर आय वर्ग से जुड़े बच्चों को किताबें नहीं दी गई हैं। इस मामले को उठाते हुए आयोग ने स्कूलों को तलब किया और इस मुद्दे को हल किया है। एक सदस्य ने कहा कि ये सभी 45 संस्थान छात्र-छात्राओं पाठ्यपुस्तकें प्रदान करने पर सहमत हुए हैं।
जानें क्या है शिक्षा का अधिकार
संविधान (86वां संशोधन) अधिनियम, 2002 ने भारत के संविधान में अंत: स्थापित अनुच्छेद 21-क, ऐसे ढंग से जैसाकि राज्य कानून द्वारा निर्धारित करता है, मौलिक अधिकार के रूप में छह से चौदह वर्ष के आयु समूह में सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है। इसके तहत निजी संस्थानों मेों 25 फीसद छात्र-छात्राओं को शिक्षा देना अनिवार्य है।
इस अधिनियम में बच्चों की शिक्षा के प्रति अध्यापकों, स्कूलों और सरकार सभी के कर्तव्य निश्चित कर दिए गए हैं। अब नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त करना सभी बच्चों का अधिकार है। सरल शब्दों में इसका अर्थ यह है कि सरकार छह से चौदह वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों की नि:शुल्क पढ़ाई के लिए जिम्मेदार होगी। इस प्रकार इस कानून ने देश के बच्चों को मजबूत, साक्षर और अधिकार-संपन्न बनाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।