नोएडा के साइबर थाना पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर बनाकर देशभर में पांच लाख लोगों से एक अरब रुपये से ज्यादा की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने शनिवार को नौकरी और लोन दिलाने का झांसा देने वाले पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह ने बताया कि साइबर थाना पुलिस को शिकायत मिली थी कि कुछ लोग नौकरी और लोन दिलाने के नाम पर ठगी कर रहे हैं। इससे संबंधित शिकायत मिलने पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी। जांच में सामने आया कि आरोपी नोएडा के सेक्टर 3 और गाजियाबाद के शालीमार गार्डन में फर्जी कॉल सेंटर बनाकर ठगी कर रहे हैं।
पुलिस ने शनिवार को अंतर्राज्यीय गिरोह के पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनकी पहचान दिल्ली के द्वारका स्थित डाबरी एक्सटेंशन निवासी मयंक तिवारी, गाजियाबाद के शालीमार गार्डन निवासी रोहित, कृष्णपाल, ग्रेनो सेक्टर 1 स्थित विहान हैरिटेज निवासी इंद्र कुमार बैरवा उर्फ राहुल और दिल्ली के अशोकनगर निवासी अमित कुमार के रूप में हुई।
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह फर्जी कॉल सेंटर के माध्यम से बेरोजगारों के पास कॉल करके नौकरी व लोन दिलाने का झांसा देकर ठगी कर रहे थे। गिरोह ने विभिन्न राज्यों के पांच लाख लोगों से एक अरब से ज्यादा रुपये की ठगी की। पुलिस ने आरोपियों से 27 मोबाइल, पीड़ितों के नाम लिखे 16 रजिस्टर, 4 लैपटॉप, एक वाइफाइ राउटर, दो चैक बुक, 3 मुहर, 4 बैंक खाते की बुक बरामद की है। पुलिस ने पांचों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया है।
तीन आरोपी बीटेक और दो बीएससी पास
साइबर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर विनोद पांडे ने बताया कि आरोपियों में शामिल रोहित, कृष्णपाल और इंद्र कुमार बीटेक पास हैं, जबकि मयंक तिवारी और अमित ने बीएससी की पढ़ाई कर रखी है। पढ़ाई के दौरान ही आरोपियों ने ठगी का धंधा शुरू कर दिया था। गिरोह का मास्टरमाइंड अमित है।
अपराध के ये हथकंडे
1 – फाइल चार्ज, इंटरव्यू, प्रोसेसिंग फीस के नाम पर लेते थे पैसे
पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ कि आरोपी नौकरी दिलाने के लिए ज्वाइनिंग के नाम पर युवाओं से पैसे लेते थे। पीड़ित उनके झांसे में आकर ऑनलाइन रुपये ट्रांसफर करता था। इसके अलावा लोन दिलाने के एवज में आरोपी फाइल चार्ज, इंटरव्यू, प्रोसेसिंग फीस सहित अन्य तरीकों से लोगों से 30 से 50 हजार रुपये तक लेते थे। रुपये लेने के बाद आरोपी अपने मोबाइल नंबर को बंद कर देते थे।
2 – फर्जी कंसलटेंसी बनाकर डाटा करते थे इकट्ठा
आरोपियों ने बताया कि वह लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए फर्जी कंसलटेंसी बनाते थे। फिर नौकरी की तलाश में घूम रहे युवाओं से उनका रिज्यूम मंगवाते थे। इसके अलावा विभिन्न बड़ी कंपनियों से भी आवेदकों का डाटा लेते थे। फिर युवाओं के पास कॉल करके आरोपी कहते थे कि उनके पास कई कंपनियों से खाली पदों को भरने की मांग आई है। आरोपी कहते थे कि संबंधित कंपनी में ज्वाइन करने से पहले उन्हें उनकी कंसलटेंसी में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इस तरह रजिस्ट्रेशन के नाम पर पीड़ितों से ठगी करते थे।
3 – ठग खुद ही बन जाते थे कंपनियों के अधिकारी
रजिस्ट्रेशन और इंटरव्यू की फीस लेने के बाद आरोपी खुद ही बड़ी कंपनियों का अधिकारी बनकर मोबाइल पर पीड़ितों से बात करते थे। फिर संबंधित कंपनियों के नाम से फर्जी ज्वाइनिंग लैटर बनाकर ईमेल के जरिए पीड़ितों के पास भेज देते थे। जब पीड़ित संबंधित कंपनी में जाता था तो उसे ठगी का पता चलता था। इस तरह के कई मामले सामने आने के बाद कुछ कंपनियों ने भी पुलिस से शिकायत की थी।
4 – चर्चित फाइनेंस कंपनी से लोन दिलाने का देते थे झांसा
लोन के नाम पर ठगी करने के लिए आरोपी बड़ी फाइनेंस कंपनी का कर्मचारी बनकर लोगों के पास कॉल करते थे। आरोपी लोन दिलाने का झांसा पीड़ितों से व्हाट्सएप पर उनका आधार कार्ड, फोटो और पेन कार्ड मंगवा लेते थे। फिर लोगों को भरोसे में लेने के लिए कहते थे कि लोन पास जो गया है, लेकिन उसका कुछ कमिशन देना होगा। इस पर लोगों को आरोपी की बातों पर भरोसा हो जाता था। इसके बाद आरोपी प्रोसेसिंग फीस, फाइल चार्ज, टैक्स के रूप में पीड़ितों से रुपये ठगते थे।
इन शहरों के लोगों को ठगा
वैसे तो गिरोह ने देशभर के लोगों के साथ ठगी की है। मगर अधिकतर मामलों में अहमदाबाद, वलसाद, बड़ौदरा, मुम्बई, उदयपुर, अंकलेश्वर, कोलकाता, जयपुर, दसलीगुड़ी, कोटा, पुणे, सूरत, अनाद, जामनगर, रायपुर, अलवर, राजकोट, खड़कपुर, अजमेर, हरिद्वार, हल्दिया, देहरादून, पांथनगर, मीठापुर, हदाफ्सर, गांधीधाम, रुड़की, मैसाना, जम्मू, औरांगाबाद, नागपुर, बापी, बहरुच, गुवाहाटी, जबलपुर, भोपाल, रुद्रपुर, नवी मुंबई, चेन्नई, बीकानेर,वेस्ट मुंबई, दुर्गापुर, पाली, वधामान, जूनागढ़, नादसक, सोलापुर, कोटपोतली, तालेगांव, दवलासपुर, जोधपुर, बंगलुरु, इंदौर, भुज, भावनगर, नावासारी, भुवनेश्वर, सोनीपत और जमशेदपुर के लोगों के साथ ठगी की।
एक साल में करते थे 80 से 90 हजार लोगों को कॉल
पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि वह पिछले करीब 5 साल से ठगी का धंधा कर रहे हैं। आरोपी कई कंपनियों के प्रतिनिधियों से ग्राहकों का डाटा खरीदते थे। इसके एवज में कुछ रुपये कर्मचारी को दिये जाते थे। आरोपियों ने बताया कि वह प्रतिवर्ष 80 से 90 हजार लोगों के पास कॉल करके ठगी का प्रयास करते थे। इसी तरह आरोपियों ने करीब पांच लाख लोगों को अपना शिकार बनाया।