नई दिल्ली : महिला अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी की एक बेंच ने कहा कि केंद्र को महिला अधिकारियों को कमांड पोस्टिंग भी देनी होगी और स्थायी कमीशन भी। कोर्ट ने कहा है कि महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थायी कमीशन दिया जाए। उसने कहा कि जिन महिला अधिकारियों ने सेवा में 14 साल से ज्यादा का समय दिया है उन्हें स्थायी कमीशन न देने का उसे कोई कारण समझ में नहीं आता। इसका मतलब यह है कि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी अब सेना में कर्नल या उससे ऊपर के पद मिल सकेंगे। एक कर्नल एक बटालियन का नेतृत्व करता है जिसमें औसतन 850 सैनिक होते हैं।
कुछ महिला अधिकारी स्थायी कमीशन के बाद उन्हें कमांड पोस्टिंग दिए जाने की मांग के साथ शीर्ष अदालत पहुंची थीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति एक प्रगतिवादी प्रक्रिया है। उसका कहना था कि सेना में सच्ची समानता लानी होगी। अदालत ने यह भी कहा कि महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं और केंद्र की दलीलें परेशान करने वाली हैं। असल में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि सेना में महिलाओं को अभी कमांडर जैसे पद देना अभी ठीक नहीं होगा। उसके मुताबिक सेना में ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले पुरुषों की एक बड़ी संख्या है जो अभी किसी महिला की अगुवाई में चलने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होंगे।