निर्भया मामले में फांसी की सजा पाए दोषियों में से एक मुकेश सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील को जल्द सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के पास अपील करें। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर किसी को आगामी 1 फरवरी को फांसी दिया जाना तय है कि यह प्राथमिकता के आधार पर सुनी जानी चाहिए।
यहां पर बता दें कि वर्ष 2012 में हुए निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले में मौत की सजा पाए दोषियों में से एक मुकेश सिंह ने दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। शनिवार को याचिका दायर कर उसने दया याचिका खारिज किए जाने की न्यायिक समीक्षा का अनुरोध किया था। दोषी मुकेश की ओर से यह याचिका वकील वृंदा ग्रोवर ने दायर की है।
बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को मुकेश सिंह की दया याचिका खारिज कर दी थी। उसकी वकील वृंदा ग्रोवर के मुताबिक, जिस तरह से दया याचिका खारिज की गई है, उसकी न्यायिक समीक्षा के लिए अर्जी अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई है।
उन्होंने कहा कि शत्रुघ्न चौहान प्रकरण में शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। इन मानकों में ऐसे कैदी को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने की अनिवार्यता भी शामिल है। चारों दोषियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी देने के लिए डेथ वारंट जारी किया गया है। मुकेश ने क्यूरेटिव याचिका दायर की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद मुकेश ने दया याचिका दायर की थी। शीर्ष कोर्ट ने दोषी अक्षय की क्यूरेटिव याचिका भी खारिज कर दी थी।
यहां पर बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली के वसंत विहार इलाके में चलती बस में निर्भया के साथ दरिंदगी हुई थी, जिसके बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में कुल छह आरोपित थे, जिसमें राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्म हत्या कर ली थी, जबकि एक नाबालिग सजा पूरी कर चुकी है। वहीं, मुकेश सिंह, विनय कुमार शर्मा, पवन कुमार गुप्ता और अक्षय कुमार सिंह को पहले निचली अदालत फिर दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी फांसी की सजा सुना चुका है।
डेथ वारंट जारी होने के बाद सजा की प्रक्रिया की कड़ी में आगामी एक फरवरी की सुबह सभी चारों दोषियों की तिहाड़ जेल में फांसी दी जानी है।