आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के मसले पर अमेरिका का दोहरा रवैया एकबार फिर दुनिया के सामने आया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के लिए इंटरनेशनल सैन्य प्रशिक्षण (International Military Education and Training) को फिर से बहाल किया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की मानें तो राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग को मजबूती देने के लिए लिहाज से यह कदम उठाया है।
ब्यूरो ऑफ साउथ एंड सेंट्रल एशियन अफेयर्स (Bureau of South and Central Asian Affairs, SCA) ने ट्वीट करके बताया कि साझा प्राथमिकताओं के मद्देनजर सैन्य सहयोग को मजबूत करने और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिहाज से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय सैन्य शिक्षा और प्रशिक्षण को फिर से बहाल कर दिया है। वहीं दक्षिण के मध्य एशिया मामलों के लिए कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस जी वेल्स ने ट्वीट करके बताया पाकिस्तान के लिए समग्र सुरक्षा सहायता अभी भी निलंबित है।
गौरतलब है कि एक ओर अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की बात करता है और पाकिस्तान को आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने के लिए फटकार लगाता है तो दूसरी ओर आड़े हाथों से वह पाकिस्तान की मदद करने से भी पीछे नहीं हटता है। हालांकि, उसे पाकिस्तान में बैठे आतंकियों से खतरा भी महसूस होता है। अभी कल ही अमेरिकी विमानन नियामक फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने अपने यहां की एयरलाइनों को पाकिस्तानी हवाई सीमा का इस्तेमाल नहीं करने के निर्देश दिए हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका को लगता है कि पाकिस्तानी क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों से उन्हें खतरा हो सकता है। एफएए की यह एडवाइजरी सभी अमेरिकी विमानों और वहां के पायलटों पर लागू होती है। एफएए ने कहा है कि अमेरिकी विमानों को पाकिस्तान में निशाना बनाए जाने का लगातार जोखिम बना हुआ है। हवाई अड्डे पर खड़े विमानों के अलावा इसके उड़ने या उतरने के समय कम ऊंचाई पर निशाना बनाया जा सकता है।