समुद्री ताकत बढ़ाने में जुटे चीन ने अपने पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर शैंगडोंग को मंगलवार को औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल कर लिया है। 55 हजार टन वजनी जहाज पीपुल लिबरेशन आर्मी नेवीज (पीएलएएन) की महत्वकांक्षाओं में उल्लेखनीय उभार है। लिओनिंग के बाद यह चीन का दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर है। लिओनिंग वास्तव में 1980 के दशक के मध्य में सोवियत संघ में बना था और इसे डेलियान में पुन: निर्मित किया गया। इसे पीएलएएन में 2012 में एक टेनिंग शिप के तौर पर शामिल किया गया।
चार देशों के पास हैं दो से ज्यादा एयरक्राफ्ट कैरियर
दुनिया में महज चार देश हैं, जिनके पास दो या दो से ज्यादा एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। इनमें चीन के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन और इटली शामिल हैं। रॉयल नेवी ने हाल ही में एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स को बेड़े में शामिल कर बड़ी छलांग लगाई है। यह 65 हजार टन का जहाज एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ के साथ होगा। ये दोनों एयरक्राफ्ट करीब 40 एफ-35बी लाइटनिंग टू स्टील्थ फाइटर विमानों को ले जाने में सक्षम हैं।
अमेरिका के पास 11 एयरक्राफ्ट कैरियर
एयरक्राफ्ट कैरियर को लेकर कोई भी देश अमेरिका के नजदीक भी नहीं पहुंच सका है। अमेरिका के पास फिलहाल 11 एयरक्राफ्ट कैरियर हैं और उसका सबसे नवीनतम एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड है, जिसे उसने जुलाई 2017 में ही अपने बेड़े में शामिल किया है। परमाणु शक्ति से चलने वाला यह एयरक्राफ्ट अपने विशालकाय कर्मी दल जिसमें 6 हजार लोगों के साथ 90 एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर ले जाने में सक्षम है।
परेशानियों से जूझ रहा रूस
अमेरिका नौसेना के पास 8 वॉस्प श्रेणी के और एक अमेरिकन श्रेणी का हमलावर जहाज (एक अन्य जहाज 2020 में बेड़े का हिस्सा बनने वाला) है। यह फ्रांस के चाल्र्स डे गोल्ले के आकार के हैं, जो कि काफी अधिक विमानों को ले जाने में सक्षम हैं। रूसी नौसेना फिलहाल परेशानियों से जूझ रही है। उसका एक एयरक्राफ्ट कैरियर आग में घिर गया। पिछले अक्टूबर में एक क्रेन जहाज पर गिर गई और यह ताजा मामला उसके कफन में आखिरी कील साबित हुआ।
किसमे कितना दम
विश्व स्तर पर यदि एयरक्राफ्ट कैरियरों की बात करें तो सबसे अधिक एयरक्राफ्ट कैरियर अमेरिका के पास हैं। अमेरिका के पास 11 जबकि चीन, इटली और ब्रिटेन के पास दो-दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। भारत, फ्रांस, रूस, स्पेन और थाइलैंड के पास एक-एक एयरक्रॉफ्ट कैरियर हैं। यही नहीं चीन के पास अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल डीएफ-41 भी है जो अमेरिका और रूस को टक्कर दे सकती है। माना जा रहा है कि इसकी मारक क्षमता धरती पर बनी अब तक की सभी मिसाइलों में सबसे ज्यादा है।