कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन के पूर्व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान शनिवार यानी आज से सऊदी अरब की यात्रा पर होंगे। वह अपने मित्र सऊदी अरब को मनाने के लिए रियाद की यात्रा पर हैं। सऊदी इमरान के कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन में भाग लेने से नाखुश है। रियाद में इमरान इस बात को स्थापित करेंगे कि वह अपने फैसले से खुश नहीं है।
पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री खान दोनों देशों के नेतृत्व के बीच नियमित आदान-प्रदान के हिस्से के रूप में सऊदी अरब जाएंगे। द डॉन ने शुक्रवार को एक अरब सूत्र के हवाले से बताया कि इमरान की यह यात्रा रियाद से मिले संकेतों के बाद तय हुई है। प्रधानमंत्री खान सऊदी नेताओं को यह बताएंगे कि मलेशिया में 18-20 दिसंबर तक आयोजित होने वाले कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन में भाग लेने के फैसले से खुश नहीं है। प्रधानमंत्री खान सऊदी नेतृत्व को आश्वस्त करेंगे कि पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच संबंध अन्य मुस्लिम देशों के साथ अलग है। बता दें कि सउदी कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन को इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के जेद्दा स्थित संगठन के विकल्प के रूप में पेश करने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं। इससे सऊउी पाकिस्तान से नाखुश हैं।
इमरान ने सऊदी को खुश रखने के लिए उठाए ये कदम
- सऊदी अरब से अपनी दोस्ती को निभाने के लिए पाक ने मोहम्मद बिन सलमान के 2030 की नीति का समर्थन किया। इसके तहत सलमान सऊदी की निर्भरता तेल निर्यात पर कम करना चाहते हैं।
- इसी क्रम में पाकिस्तान ने कनाडा के मामले में सऊदी का खुलकर पक्ष लिया था, जब सऊदी ने कनाडा से व्यापारिक रिश्ते खत्म किया तो पाक ने उसका समर्थन किया।
- इसके साथ जब सऊदी ने कनाडा के राजदूत को अपने देश से निकाला तो भी पाकिस्तान ने सऊदी का साथ दिया। सऊदी के क्राउन प्रिंस का यह सबसे विवादित फ़ैसला था।
- सलमान के भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम की जब पूरी दुनिया निंदा कर रही थी, ऐसे नाजूक मौके पर पाक ने सलमान के इस कदम की तारीफ की। दरअसल, यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला था।
- सऊदी अरब ने जब क़तर की नाकेबंदी की तो दुनिया की परवाह किए बगैर पाकिस्तान ने इसका खुलकर समर्थन किया था।
- इसके साथ सऊदी में रह रहे 27 लाख पाकिस्तानी भी वहां की अर्थव्यवस्था के लिए काफी अहम हैं, एेसे में ये फैक्टर भी दोनों देशों के मधुर संबंधों के लिए अहम हैं।
- जेद्दा स्थित इस्लामिक डिवेलपमेंट बैंक (आईडीबी) की बैठक में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को चार अरब डॉलर का क़र्ज़ देने का आश्वासन दिया था।