बिजली के बिल का भुगतान न होने पर आपको अकसर बेवजह की आर्थिक चपत लग जाती है, क्योंकि इसकी समय सीमा खत्म होने के बाद लेट पेमेंट चार्जेज अदा करना होता है। लेकिन अब न बिजली के बिल का भुगतान करने में आप लेट होंगे और न ही आपकी बिजली इसकी वजह से कटने की नौबत आएगी। अब ये व्यवस्था धीरे धीरे पूरे देश में लागू होने वाली है। कुछ जगहों पर ये सुविधा पहले से ही उपभोक्ताओं को दी जा रही है। दिल्ली से सटे नोयडा में इस तरह की सुविधा दी जा चुकी है। इसके अलावा जम्मू में इसका सिलसिला शुरू होने वाला है।
जबतक का रिचार्ज तब तक ही रहेगी बिजली
दरअसल इस सुविधा में आपको अपने मोबाइल फोन की तरह ही अपने बिजली के मीटर को रि-चार्ज करवाना होता है। जितने का होगा आपका रिचार्ज उतनी ही देर चलेगी आपकी लाइट। रिचार्ज खत्म तो आपकी लाइट भी खत्म। यह सुविधा उन लोगों के लिए बेहद उपयोगी और खास है जो हर माह बिजली के भुगतान के लिए घंटों लाइन में लग कर अपना वक्त बर्बाद करते हैं। इस सुविधा के लागू होने पर उनका कीमती समय बच जाएगा। इसके अलावा इस सुविधा के लागू होने के बाद न तो आपको बिजली का बिल भेजने की जरूरत होगी और न ही मीटर रीडर की ही कोई जरूरत रह पाएगी। ऐसे में कागज की बचत के साथ-साथ बिजली विभाग वेवजहों के खर्च पर लगाम लगाकर पूंजी बचा सकेगा।
स्मार्ट मीटर लगाने की योजना
इसके लिए सरकार अब हर घर को बिजली देने के साथ-साथ अब हर घर में स्मार्ट मीटर लगाने की योजना बना रही है। हर घर को बिजली देने की सौभाग्या योजना को पूरा करने के लिए सरकार ने अप्रैल, 2019 तक का लक्ष्य रखा है। लेकिन स्मार्ट मीटर देने का काम अप्रैल, 2021 तक पूरा किया जाएगा। यह योजना देश में बिजली चोरी रोकने में सबसे अहम कदम तो साबित होगी ही इसके अलावा इससे घरेलू स्तर पर स्मार्ट मीटर बनाने का एक बड़ा उद्योग स्थापित होगा।
राज्यों को खाका तैयार करने की जिम्मेदारी
राज्यों के बिजली मंत्रियों के साथ हुई बैठक में केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने इस संबंध में सरकार की तैयारियों की जानकारी दी और राज्यों को इसके लिए तैयार होने का निर्देश भी दिया। बिजली मंत्री ने हर राज्य को अपना प्लान व इसे हासिल करने का समयबद्ध कार्यक्रम बना कर पेश करने को भी कहा है, जिससे उसके मुताबिक केंद्र आवश्यक तैयारी कर सके। राज्यों को यह भी कहा गया है कि वे एक निश्चित अवधि के बाद हर बिजली ग्राहक के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटर को अनिवार्य बना दिया जाए। जल्द ही बिजली मंत्री की स्मार्ट मीटर बनाने वाली कंपनियों के साथ भी अलग से एक बैठक रखी जा रही है।
20 करोड़ स्मार्ट मीटर की जरूरत
बिजली मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि मोटे तौर पर कुछ वर्षों के भीतर भारत में विभिन्न तरह के 20 करोड़ स्मार्ट मीटर की जरुरत होगी। लिहाजा सरकार की कोशिश है कि इस मांग को भारत में ही पूरा किया जाए ताकि एक बड़ा औद्योगिक ढांचा स्थापित हो सके। ऐसा न हो कि भारत में मांग पैदा हो और इसका फायदा चीन की कंपनियां उठा ले। सरकार की तरफ से आम ग्राहकों को आसानी से व कम कीमत पर स्मार्ट मीटर देने के लिए कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
विकल्पों पर सरकार कर रही विचार
इसमें एक है कि ग्राहकों को बिजली कनेक्शन के साथ स्मार्ट मीटर मिले और इसकी कीमत को बिजली की मासिक दर के साथ वसूल की जाए। बिजली मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक हर घर को बिजली और हर घर को चौबीसों घंटे बिजली देने के बाद सरकार का सारा ध्यान स्मार्ट मीटर पर होगा क्योंकि इसके बगैर देश के बिजली ढांचे को सुचारू तौर पर चलाना मुश्किल होगा। इससे ग्राहकों को यह फायदा होगा कि उनके लिए बिजली की खपत का नियंत्रण आसान होगा और बिजली की बिल को लेकर ज्यादा पारदर्शिता होगी।
ये होगा फायदा
बिजली वितरण कंपनियों को फायदा यह होगा कि उन्हें बिजली बिल का एक बड़ा हिस्सा एडवांस में मिलेगा क्योंकि महीने की शुरुआत में अधिकांश ग्राहकों के लिए बिजली मीटर को रीचार्ज करना होगा। इसका सबसे बड़ा असर यह होगा कि देश में बिजली की चोरी और वितरण में होने वाला अन्य घाटा काफी हद तक रुख जाएगा। देश में अभी भी जितनी बिजली की आपूर्ति की जाती है उसका तकरीबन 24 फीसद इन वजहों से बर्बाद हो जाती है।
मोबाइल सिम की तरह रिचार्ज होंगे बिजली मीटर
जम्मू-कश्मीर में भी इससे जुड़े पूरे बिलिंग सिस्टम में बड़ा बदलाव करने जा रही है। इसके लिए अगले तीन साल में सभी मीटर को स्मार्ट प्रीपेड में तबदील करने की तैयारी चल रही है। पहले चरण में जम्मू व श्रीनगर के मुख्य शहरों में दो लाख मीटर लगाए जाएंगे। मीटर खरीदने की प्रक्रिया सरकारी स्तर पर शुरू हो गई है। सरकार का दावा है कि राज्य में बढ़ती बिजली चोरी पर अंकुश लगाने में ये मीटर काफी हद तक कारगर साबित होंगे। उपभोक्ताओं को नियमित बिजली मिल रही है या नहीं इस पर नजर रखने के लिये रिमोर्ट कंट्रोल सेंटर भी स्थापित किये जाएंगे।
एपीडीआरपी योजना
वर्ष 2004 में एस्लरेटिड पावर डेवलपमेंट रिफार्म प्रोग्राम (एपीडीआरपी) की शुरूआत राज्य में 67 प्रतिशत तक पहुंच चुके ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन लॉस को कम करने के लिये हुई थी। उस दौरान जम्मू-कश्मीर राज्य बिहारी, झारखंड के बाद बिजली बर्बादी में तीसरे स्थान पर था। बिजली ढांचे को बेहतर बनाने और उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रानिक मीटर प्रणाली में शामिल करने के लिये 1100 करोड़ रूपये निर्धारित किये गये। उसके बाद वर्ष 2012 में इसी योजना को फिर से आर-एपीडीआरपी के नाम से शुरू किया गया।
बिजली कटने पर सिग्नल भेजेगा मीटर
अब वोल्टेज कम होने या फिर बिजली सप्लाई ठप होने पर उपभोक्ताओं को शिकायत करने के लिये कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। यह काम अब घर में लगा स्मार्ट मीटर कर देगा। स्मार्ट मीटर सीधे ही रिमोर्ट कंट्रोल सेंटर में सिग्नल भेज देगा। कंट्रोल रूम में तैनात टेक्निशियन फौरन खराबी को ठीक करने के लिये निकल पड़ेंगे। यह स्मार्ट मीटर यूएसए की कंपनी ने बनाए हैं, जो भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणित हैं। स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं के लिये बेहतर फायदेमंद साबित होंगे। जम्मू-कश्मीर सरकार ने इन मीटरों को खरीदने के लिये कागजी कार्रवाई पूरी कर दी है और कुछ ही महीनों में जम्मू व श्रीनगर के लिये ये मीटर जारी कर दिये जाएंगे।