ग्लोबल वॉर्मिंग से वातावरण में होने वाले परिवर्तनों से मानवता के भविष्य को खतरा हो सकता है। एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि एक दशक पहले पहचाने गए जलवायु टिपिंग बिंदुओं में से आधे से अधिक अब भी सक्रिय हैं। जलवायु प्रणाली में टिपिंग बिंदु एक सीमा है, जो जब पार हो जाती है तो पूरे सिस्टम में बड़े परिवर्तनों की आशंका बढ़ जाती है।
नेचर नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अमेजन के वर्षावनों को नुकसान पहुंचा है और अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड की बर्फ की चादरें भी खतरे में हैं। पुराने अध्ययनों के मुकाबले वर्तमान में ये क्षेत्र अभूतपूर्व परिवर्तन से गुजर रहे हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा, ‘सक्रिय टिपिंग बिंदुओं में आर्कटिक की समुद्री बर्फ, गर्म-पानी के कोरल, बोरियल वन और अटलांटिक मेरिडेशनल ओवरवटिर्ंग सकरुलेशन यानी समुद्र के पानी की सतह और गहरे धाराओं का प्रवाह) शामिल है, जिनमें समय के साथ-साथ जबरदस्त परिवर्तन देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सजर्न बढ़ने का असर ग्लेशियरों और वर्षावनों में साफ देखने को मिल रहा है।
बीते दिनों अमेजन के वर्षावनों में लगी भयावह आग और लगातार पिघलते ग्लेशियर इस बात का सुबूत हैं कि ग्लोबल वार्मिग का असर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, समय-समय पर घटित होने वाली चरम मौसमी आपदाएं इसका अहसास जरूर करवा जाती हैं कि मनुष्य द्वारा पृथ्वी का दोहन किस कर बढ़ रहा है। इस तरह की घटनाएं साल-दर-साल भयावह रूप ले रही हैं।
बढ़ता मानव दबाव भी है कारण
जर्मनी के पोस्टडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पेक्ट रिसर्च के निदेशक जोहान रॉकस्ट्रॉम ने कहा, ‘ये घटनाएं पृथ्वी पर मानव दबाव के कारण घट रही हैं, जो समय से साथ-साथ बढ़ती जा रही हैं।’ एक बयान में रॉकस्ट्रॉम ने कहा कि हम यह भी स्वीकार करना चाहिए कि हम ग्लोबल वॉर्मिंग के खतरों की भयावहता का सही आकलन नहीं कर पाए। यदि हम समय रहते सटीक अनुमान लगा पाते तो शायद स्थिति आज इतनी खराब नहीं होती। उन्होंने कहा कि हालांकि, अब भी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। यदि आज भी हम अपने ग्रह को बचाने के लिए प्रतिबद्ध हो जाएं और इस दिशा में सही तरीके से काम करने लगें तो परिस्थितियां बहुत हद तक बदल सकती हैं।
गैसों के उत्सर्जन में कटौती जरूरी
रॉकस्ट्रॉम ने कहा, ‘टिपिंग प्वाइंट को बचाने के लिए वैज्ञानिकों को चाहिए कि वह तत्काल ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए उपयुक्त सुझाव दें ताकि पृथ्वी को गर्म ्रग्रह बनने से रोका जा सके।’ उन्होंने कहा कि यदि हम इस दिशा में उचित कदम नहीं उठा पाए तो वह दिन दूर नहीं होगा, जब पूरी पृथ्वी आग के गोले के समान हो जाएगी।