पुराने अखबारों के जरिये सस्ते और बड़े पैमाने पर कॉर्बन नैनोट्यूब्स का उत्पादन किया जा सकता है। एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया है कि पुराने अखबारों को कार्बन नैनोट्यूब्स बनाने के लिए पदार्थ के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह छोटे अणुओं के निर्माण का कम लागत और ईको-फ्रेंडली तरीका है। अध्ययनकर्ताओं में भारतीय मूल के वरुण शेनॉय गांगुली भी शामिल हैं।
अमेरिका की राइस यूनिवर्सिटी के वरुण शेनॉय गांगुली ने कहा कि कॉर्बन नैनोट्यूब्स अविश्वसनीय भौतिक संपत्ति है जो बड़ी संख्या में व्यावसायिक उत्पादों में काम में आता है। इनमें टचस्क्रीन डिस्प्ले में कंडक्टिव फिल्म्स, फ्लैक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा उत्पादन करने वाले फैब्रिक्स और 5जी नेटवर्क के एंटीना प्रमुख हैं। यह अध्ययन जर्नल ऑफ कॉर्बन रिसर्च में प्रकाशित हुआ है। इसमें पता चला है कि अखबार का लंबा पृष्ठ रासायनिक ढंग से कार्बन नैनोट्यूब के कृत्रिम निर्माण की आदर्श स्थिति उपलब्ध कराता है।
हालांकि, अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि सभी अखबार समान रूप से अच्छे नहीं होते हैं। वे ही अखबार अच्छे हैं जो कि चीनी मिट्टी या केओलिन के होते हैं यह आकार के परिणाम देते हैं और कार्बन नैनोट्यूब की वृद्धि करते हैं। गांगुली ने कहा कि कई चीजों जैसे पाउडर, कैल्शियम काबरेनेट और टाइटेनियम डायोक्साइड पेपर की आकृति में काम आ सकते हैं, जो अपने स्तर पर अवशोषण और क्षय के स्तर को भरने में मदद करते हैं। राइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एंड्रयू बैरन ने कहा कि इस नई रिसर्च से हमने एक निरंतर प्रवाह प्रणाली को पाया है जो आश्चर्यजनक रूप से लागत कम करती है।