यूं तो जयपुर को गुलाबी शहर कहा जाता है, लेकिन इस समय कोलकाता शहर गुलाबी रंग में रंगा हुआ है। आलम यह है कि दूसरे खेलों के खिलाड़ी भी इस ऐतिहासिक डे-नाइट टेस्ट का गवाह बनना चाहते हैं। 2005 में महिला शतरंज ग्रैंडमास्टर बनने वालीं तानिया सचदेव इस समय कोलकाता में ग्रैंड वल्र्ड चेस टूर में कमेंट्री कर रही हैं, लेकिन वह भी खुद को ईडन गार्डेंस में चल रही तैयारियों को देखने के लिए आने से रोक नहीं पाईं। 2008 में इंटरनेशनल मास्टर बनने वालीं तानिया सचदेव ने भारत-बांग्लादेश डे-नाइट टेस्ट सहित शतरंज के भविष्य को लेकर विशेष बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश…
भारत में पहली बार कोलकाता में डे-नाइट टेस्ट होने जा रहा है। शतरंज की स्टार क्या इसीलिए क्रिकेट के मैदान में आई है?
-मुझे लगता है कि टेस्ट क्रिकेट को रोचक बनाने के लिए यह एक बहुत अच्छी पहल है। डे-नाइट टेस्ट को लेकर पूरे कोलकाता को जिस तरह से गुलाबी रंग से सजाया गया है, उसे देखना काफी रोचक है। मुझे लगता है कि इस तरह की पहल से निश्चित रूप से टेस्ट क्रिकेट रोचक बनेगा। उम्मीद करती हूं कि भारत इस ऐतिहासिक टेस्ट में बांग्लादेश को चेक-मेट करे।
अन्य खेलों के कई खिलाड़ियों का मानना है कि भारत में क्रिकेट की वजह से बाकी खेलों को ज्यादा तवज्जो नहीं मिलती। इसको लेकर आपका क्या कहना है?
-मेरे हिसाब से भारत में किसी भी खेल की क्रिकेट से तुलना करना सही नहीं है क्योंकि इस खेल को लेकर हमारे देश में जो जुनून है और उत्साह है, उसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती। हालांकि, अब दूसरे खेलों को भी भारत में समर्थन मिल रहा है और यह काबिले तारीफ है। मुझे नहीं लगता कि किसी एक खेल से हमें तुलना करनी चाहिए। हालांकि, मेरा मानना है कि दूसरे खेलों में भी अच्छा प्रदर्शन करने वाले हमारे खिलाड़ियों को सम्मान और पहचान मिलने का पूरा हक है और यह मिलनी चाहिए।
शतरंज के अलावा आपको दूसरा कौन सा खेल खेलना या देखना पसंद है और क्यों है?
-मैं पेशेवर स्तर पर केवल शतरंज ही खेलती हूं, लेकिन दूसरे खेलों को देखने में मुझे बहुत मजा आता है। क्रिकेट की बात है तो मैं इसके हर मैच को नहीं देखती, लेकिन विश्व कप के दौरान मैं ज्यादा मुकाबले देखती हूं। मुझे टी-20 प्रारूप बहुत पसंद आता है।
क्रिकेट में आपके सबसे चहेते कौन रहे हैं?
-सचिन तेंदुलकर मेरे सबसे चहेते रहे हैं। वह अपने खेल के महान खिलाड़ी रहे हैं और हमेशा रहेंगे। हालांकि, विराट कोहली की अगुआई वाली पूरी भारतीय टीम शानदार खेल दिखा रही है और मैं उन्हें डे-नाइट टेस्ट के लिए शुभकामनाएं देती हूं।
देश में शतरंज के भविष्य को आप कैसे देखती हैं और भारत इस खेल में कैसे आगे बढ़ेगा?
-भारत में शतरंज के खेल में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हर स्तर और वर्ग में हमारे खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। देश का प्रतिनिधित्व करते हुए हमारे खिलाड़ी बहुत कम उम्र में ही ग्रैंडमास्टर और इंटरनेशनल मास्टर बन रहे हैं। शतरंज में हमारे प्रदर्शन में काफी उछाल देखने को मिला है। ग्रैंड वर्ल्ड चेस टूर जैसे बड़े शतरंज टूर्नामेंटों की मेजबानी से भारतीय शतरंज को काफी मदद मिलेगी, क्योंकि इस टूर्नामेंट में कई कड़े प्रतिद्वंद्वी खेल रहे हैं और उन्हें खेलते देखना प्रेरणा पैदा करती है।
भारत में किसी खेल के भविष्य को उसके हीरो से जोड़कर देखा जाता है। क्या आपको लगता है कि इस खेल की तरक्की के लिए हमें एक और विश्वनाथन आनंद या फिर तान्या चाहिए?
-हमारे पास पहले से ही इस खेल में कई बड़े नाम हैं। हमारे पास रमेशबाबू प्रगनंधा हैं, निहाल सारिन हैं। निश्चित तौर पर विश्वनाथन हमारे खेल के महान खिलाड़ी हैं। आज भारतीय शतरंज जिस स्तर पर है उसमें उनका बहुत बड़ा योगदान है, लेकिन अगर आप हमारे युवा खिलाड़ियों के देखें तो वे भी 12 और 13 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर्स बन रहे हैं। ऐसे में हमारे पास प्रेरणादायी खिलाड़ियों की कमी नहीं है। अब हमारे खिलाड़ियों को विश्व स्तर का बनाने के लिए हमें बेहतर आधारभूत संरचनाओं और खेल प्रणाली की जरूरत है।
बहुत दिनों से शतरंज को ओलंपिक में शामिल करने की मांग चल रही है। क्या आप शतरंज को ओलंपिक खेल के तौर पर देखती हैं?
-हर शतरंज खिलाड़ी का सपना है कि हमारा खेल ओलंपिक में शामिल किया जाए और उम्मीद है कि भविष्य में इसे ओलंपिक में शामिल किया जाएगा। शतरंज एक ऐसा खेल है जिसे 150 से ज्यादा देश खेलते हैं। दरअसल, ओलंपिक में उन्हीं खेलों को शामिल किया जाता है जिसका प्रसारण टीवी पर रोचक तरीके से किया जा सके। शतरंज के खेल में यह एक चुनौती है। हालांकि, ऑनलाइन देखे जाने के मामले में इसकी कोई तुलना नहीं है। हम सभी का सपना है कि शतरंज एक दिन ओलंपिक खेल बनेगा। देखते हैं आगे क्या होता है।