दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग के रोहिणी स्थित आशा किरण में युवती से दुष्कर्म के बाद गर्भपात कराने का मामला सामने आया है। पीड़ित (19 ) दिव्यांग है। इस बाबत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को शिकायत दी गई थी। इस मामले की जांच करने सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम पहुंची।
आयोग के डीएसपी विक्रमजीत उप्पल के नेतृत्व में पहुंची टीम में दो इंस्पेक्टर के अलावा चार स्त्री रोग विशेषज्ञ महिला डॉक्टर भी शामिल थीं। जांच टीम दोपहर सवा एक बजे यहां पहुंची व करीब साढ़े पांच घंटे तक मामले की जांच की। टीम ने मामले से जुड़े कुछ कागजातों को कब्जे में लिया है।
राजहंस बंसल ने की थी शिकायत
इस मामले की शिकायत मानवाधिकार कार्यकर्ता राजहंस बंसल ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की थी। आरोप है कि पीड़ित के साथ आशा किरण में न केवल दुष्कर्म हुआ बल्कि उसका गर्भपात भी कराया गया। बंसल ने बताया कि पीड़ित की तबियत बिगड़ने पर उसे इसी साल 30 जनवरी को डॉक्टर के पास ले जाया गया था। वहां उसके गर्भवती होने के बारे में जानकारी मिली थी, लेकिन आशा किरण प्रशासन ने इस मामले को दबा दिया। इसके बाद पीड़ित को रक्त स्नाव होने पर 14 फरवरी को दोबारा डाक्टरी जांच कराई गई, तब उसके गर्भपात हो जाने की जानकारी मिली।
मेडिकल रिपोर्ट को गायब करने का लगाया आरोप
शिकायतकर्ता का आरोप है कि पहली बार डॉक्टरों ने पीड़ित के गर्भवती (पॉजिटिव) होने की जो रिपोर्ट दी थी, उसे गायब कर दिया गया। जब दूसरी बार डॉक्टरों ने गर्भपात होने के बाद निगेटिव रिपोर्ट दी तो उसे पीड़ित की मेडिकल फाइल में सुरक्षित रखा गया। उनका कहना है कि जनवरी व फरवरी के बीच पीड़ित को गर्भपात की दवा दी गई। उन्होंने पूरे मामले की जांच व जिम्मेदार लोगों, आरोपितों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की मांग आयोग से की।
आयोग ने मामले में संज्ञान लेते हुए जांच टीम गठित कर दी। सोमवार को यहां टीम पहुंची थी। इस बाबत जब आशा किरण की सीनियर सुपरिटेंडेंट डॉ. रचना भारद्वाज से बात की गई तो उन्होंने एनएचआरसी की टीम के आने की बात स्वीकार ली, लेकिन आधिकारिक रूप से कुछ बोलने से मना कर दिया।