MS Dhoni के विकल्प के तौर पर रिषभ पंत को लगातार आजमाया जा रहा है और वो लगातार निराश करते जा रहे हैं। विकेट के आगे की बात हो या फिर पीछे की, रिषभ पंत (Rishabh Pant) की कई कमियां सामने आती जा रही हैं। इन सबके बावजूद कप्तान रोहित शर्मा कहते हैं कि उन्हें अकेला छोड़ दो। यही नहीं बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली का कहना है कि वो शानदार खिलाड़ी हैं और उन्हें और मौके की जरूरत है।
टेस्ट में रिषभ की जगह साहा को मिला मौका
ये ठीक है कि किसी भी खिलाड़ी को उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए बार-बार मौका दिए जाने की जरूरत है, लेकिन जब वो खिलाड़ी बार-बार कुछ खास ना कर पा रहा हो तो दूसरे विकल्प की तरफ भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है। रिषभ पंत की खराब विकेटकीपिंग की वजह से उन्हें टेस्ट टीम में रखा तो गया, लेकिन रिद्धिमान साहा को साउथ अफ्रीका के खिलाफ अंतिम ग्यारह में मौका मिला। वहीं उम्मीद तो यही है कि बांग्लादेश के खिलाफ साहा ही टेस्ट में विकेटकीपिंग करेंगे। सवाल ये है कि जब टेस्ट मैचों में तुरंत विकल्प की तलाश कर ली गई तो वनडे व टी 20 में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता?
रिषभ पंत में संयम की कमी
रिषभ पंत बांग्लादेश के खिलाफ विकेटकीपर व बल्लेबाज के तौर पर ज्यादा प्रभावी नहीं रहे हैं। तीसरे मैच में उनके पास शानदार मौका था कि वो रन बनाते पर क्रीज पर आते ही ऐसा लगता है जैसे उन्हें पवेलियन लौटने की कितनी जल्दी है। वो एक या दो रन बनाने पर शायद विश्वास ही नहीं करते और चौका व छक्का लगाने के चक्कर में विकेट गंवा बैठते हैं। संयम को शायद पंत भूल ही चुके हैं। अगर वो ऐसा ही करते रहे तो टी 20 विश्व कप के लिए टीम में कैसे फिट बैठेंगे ये बड़ा सवाल है।
2019 में टी20 मैचों में रिषभ का प्रदर्शन
रिषभ ने इस साल अब तक सभी 13 टी 20 मैच खेले हैं जिसमें उनकी सबसे बड़ी पारी नाबाद 65 रन की थी जो उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली थी। इसके अलावा उनके बल्ले से कोई भी ज्यादा बड़ी पारी नहीं निकली। 13 मैचों में उन्होंने 4,40*,28,3,1,0,4,65*,4,19,27,6 रन की पारी खेली। बांग्लादेश के खिलाफ राजकोट में उन्हें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला। 13 मैचों में रिषभ 7 बार दस के आंकड़े तक भी नहीं पहंच पाए।
डीआरएस में रिषभ नहीं हैं प्रभावी
विकेटकीपिंग की बात करें तो बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे टी 20 मैच में उन्होंने जिस तरह की गलती की उसे बचकाना ही कहा जाएगा। एक विकेटकीपर को पता होता है कि विकेट के आगे से गेंद को कलेक्ट करने से क्या हो सकता है पर उन्होंने इस बात को ध्यान में नहीं रखा। इसके अलावा डीआरएस के मामले में फिसड्डी ही साबित होते रहते हैं। उनके निर्णय ये टीम को ज्यादातर नुकसान ही पहुंचता है।
रिषभ अच्छे खिलाड़ी हैं, लेकिन ये कहना की उन्हें अकेला छोड़ दो और वो अच्छा करेंगे ये शायद टीम के हित में नहीं है। खिलाड़ी का प्रदर्शन ही टीम में रहने का आधार होना चाहिए ना कि वो अच्छा खिलाड़ी है कहकर उन्हें टीम में बनाए रखा जाए। वो सेलेक्टर्स की पसंद हैं उन्हें मौका मिलना चाहिए तो अन्य विकल्पों के लिए भी रास्ता खुला होना चाहिए।