अकेले रहने से डिप्रेशन, हृदय संबंधी रोग, डिमेंशिया और कई अन्य तरह की बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं। इससे बचने का एक उपाय यह हो सकता है कि हम हर संभव लोगों के बीच रहें, ज्यादा से ज्यादा दोस्त बनाएं और उनसे खूब बातें करें। पर हर बार ऐसा संभव नहीं हो पाता। अकेले रहने वाला व्यक्ति अपने में ही मशगूल रहता है, उसे दुनियादारी से कोई मतलब नहीं होता। ऐसे लोगों की जल्दी पहचान भी नहीं हो पाती। अब एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अकेलेपन का शिकार हुए की पहचान का एक नया तरीका खोजा है।
शोधकर्ताओं का दावा है कि लोगों की सोशल मीडिया की पोस्ट को पढ़कर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कौन-सा यूजर अकेलापन महसूस कर रहा है या अकेला है। लोगों के ट्वीट्स का अध्ययन कर शोधकर्ताओं ने कहा कि ऐसे लोगों को सहारा देने से उनका जीवन सुगम बनाया जा सकता है और कई गंभीर बीमारियों के चपेट में आने से लोग बच सकते हैं।
इस अध्ययन में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने उन विषयों को रेखांकित किया है, जिनका संबंध अकेलेपन से होता है। शोधकर्ताओं ने कहा,‘ ट्विटर यूजर की वॉल में पोस्ट की गई सामग्री के विषय को पढ़ने के बाद यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यूजर की मनोदशा क्या है।’ पोस्ट की गई सामग्री की भाषा के विश्लेषण के आधार पर शोधकर्ताओं ने पाया कि एकाकीपन की प्रवृत्ति उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है, जो अपने रिश्तों, मानसिक परेशानियों और अनिद्रा जैसे विषयों पर ज्यादा पोस्ट करते हैं।
बीएमजे ओपन नामक जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षो से उन यूजरों की पहचान आसान हो सकती है, जो अकेले हैं, चाहे वे अकेलापन महसूस करने के बारे में स्पष्ट रूप से ट्वीट न करते हों। ऐसे यूजरों को अकेलेपन से उबरने में मदद की जा सकती है।
पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक शरद चंद्र गुंटुकु ने कहा, ‘अकेलेपन से जुड़ी समस्याओं को प्रकट होने में दशकों लग जाते हैं। इसलिए इसे जानलेवा कहा जा सकता है क्योंकि यह धीरे-धीरे व्यक्ति को अपनी जद में लेता है।’ उन्होंने कहा कि यदि हम अकेले रहने वाले लोगों की पहचान करने में सक्षम हो जाएं तो इस समस्या को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। उनकी मानसिक स्थिति के बारे में अनुमान लगाकर उन्हें गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से बचाया जा सकता है। गुंटुकु ने कहा, ‘किसी भी यूजर के ट्वीट्स का अध्ययन कर हमें लोगों की मदद करने का मौका मिल सकता है और यह तरीका सबसे ज्यादा प्रभावी भी है।’