दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने कहा कि हवा की गुणवत्ता केवल एक दिन में ही खराब नहीं हुई है। यह कानून को लागू करने में लगातार अनदेखी का नतीजा है। इसके साथ ही एनजीटी ने कचरा जलाने पर अंकुश लगाने के लिए प्राधिकरणों को ड्रोन का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है।
एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने वायु प्रदूषण पर मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए मंगलवार को सुनवाई की। पीठ ने दिल्ली में कचरा जलाने की घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा, कानून के कार्यान्वयन में क्या कमी है? लोग खुले में कूड़ा जला रहे हैं, हमने अपनी आंखों से देखा है। इस समस्या का स्थायी समाधान ढूंढना होगा। प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर इसे रोका जा सकता है। कूड़ा जलने से रोकने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है। ड्रोन की मदद से आसानी से उन जगहों का पता लगाया जा सकेगा, जहां खुले में कचरा जलाया जाता है।
पीठ ने कहा कि पिछला अनुभव दिखाता है कि अक्तूबर और नवंबर के महीने में हवा की गुणवत्ता की गिरावट हर साल हो रही है। इसका मुख्य कारण पराली जलाना, कूड़ा जलाना, प्लास्टिक जलाना, औद्योगिक प्रदूषण, वाहन प्रदूषण और कंस्ट्रक्शन, मलबे का कचरा और पटाखा जलाना है। ऐसी स्थिति से निपटने को योजनाबद्ध रणनीति बनाना मुश्किल नहीं है। विशेषज्ञों की मदद से एक प्रभावी तंत्र विकसित करना और अतीत की विफलताओं को दूर करने की आवश्यकता है।