पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले मौलाना फजलुर रहमान ‘लड़ाई’ में अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान की दो बड़ी विपक्षी पार्टियों पीएमएल-एन (Pakistan Muslim League-Nawaz, PML-N) और पीपीपी (Pakistan Peoples Party, PPP) ने घोषणा की है कि वे मौलाना के ‘आजादी मार्च’ का हिस्सा नहीं होंगे। सनद रहे कि जमात उलेमा-ए-इस्लाम (Jamiat Ulema-i-Islam) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने इमरान खान को दो दिन के भीतर पद छोड़ने का अल्टिमेटम दिया है।
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएमएल-एन और पीपीपी के नेताओं ने शुक्रवार को कहा कि वे पहले ही कह चुके हैं कि केवल सार्वजनिक बैठक में भाग लेंगे और किसी धरने पर नहीं बैठेंगे। हमने किसी धरना के लिए अपने कार्यकर्ताओं को कोई विशेष निर्देश जारी नहीं किया था। हमने केवल एक दिन के लिए ‘आजादी मार्च’ में भागीदारी की थी। पीएमएल-एन के महासचिव अहसान इकबाल (Ahsan Iqbal) ने बताया कि हमारी पार्टी के नेता नवाज शरीफ ने हमें केवल एक दिन के लिए ही आजादी मार्च में भागीदारी के निर्देश दिए थे।
इस बीच एक अन्य रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान की जनता के लिए कश्मीर कोई मुद्दा नहीं है, बल्कि तेजी से बढ़ती महंगाई बड़ी समस्या है। नकदी संकट में फंसे पाकिस्तान के सभी चार प्रांतों में गैलप इंटरनेशनल द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में यह जानकारी निकलकर सामने आई है। इससे पहले भी एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान के लोगों में डिप्रेशन की समस्या घर करती जा रही है।
गैलप एंड गिलानी पाकिस्तान के अध्ययन में कहा गया है कि सर्वेक्षण में शामिल 53 प्रतिशत लोगों ने माना कि देश की अर्थव्यवस्था, खास तौर से बढ़ती महंगाई देश के सामने सबसे बड़ी समस्या है। सर्वेक्षण के अनुसार, महंगाई के बाद बेरोजगारी (23 फीसद), कश्मीर मुद्दा (आठ फीसद), भ्रष्टाचार (चार फीसद) और जल संकट (चार फीसद ) लोगों की समस्या है। इसमें राजनीतिक अस्थिरता, बिजली संकट, डेंगू रोग जैसी अन्य समस्याओं को लेकर भी चिंता जताई गई है।