राजस्थान विधानसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे गुरुवार को आए तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। पिछले कुछ माह से उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक मंत्रियों के निशाने पर रहे गहलोत के लिए यह चुनाव परिणाम कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में संजीवनी साबित हो सकते हैं। सत्ता और संगठन से जुड़े विभिन्न मामलों को लेकर गहलोत पिछले कुछ समय से पायलट खेमे के दबाव में थे, लेकिन गुरुवार को आए चुनाव परिणाम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी अभी भी आम मतदाताओं एवं कार्यकर्ताओं में मजबूत पकड़ है।
गहलोत खेमे को उम्मीद है कि अब उनके विरोधियों पर कुछ हद तक लगाम लगेगी। दो में से एक सीट मंडावा पर कांग्रेस की प्रत्याशी रीटा चौधरी ने भाजपा की सुशीला सींगड़ा को 33 हजार 704 वोटों के भारी अंतर से हराया। वहीं, खींवसर सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और भाजपा के गठबंधन के हिस्से में आई है।
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने आरएलपी के साथ गठबंधन किया था। अब उपचुनाव में खींवसर विधानसभा सीट पर आरएलपी को समर्थन दिया था। खींवसर में आरएलपी अध्यक्ष और सांसद हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरेंद्र मिर्धा को 4,630 वोटों से हराया है।