अदालत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करने वाली पुनर्विचार याचिका पर फैसला शनिवार को सुरक्षित रख लिया। अनुशासनात्मक कार्रवाई के बाद रक्षा मंत्रालय से बर्खास्त अधिकारी केएन मंजूनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है।
इस पूर्व अधिकारी की मांग को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जुलाई 2017 में खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि यह शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगाया गया है। प्रधानमंत्री पर केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप है। इस आरोप के मद्देनजर पीएम पर भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत मामला नहीं बनता।
पेश मामले में शिकायतकर्ता अधिकारी को केंद्रीय प्रशासनिक पंचाट (कैट) से भी राहत नहीं मिली थी। कैट ने एम्स के निदेशक को उसकी मानसिक हालत की पड़ताल करने का निर्देश दिया था। शिकायतकर्ता का आरोप था कि उसने रक्षा मंत्रालय व वायुसेना मुख्यालय में चल रही भ्रष्ट गतिविधियों से संबंधित अधिकारियों व पीएम को अवगत कराया था।
उस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसलिए पीएम मोदी के खिलाफ सीबीआई से जांच कराई जाए कि उन्होंने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। उसका यह भी कहना था कि रक्षा मंत्रालय व वायुसेना मुख्यालय ने कानून सम्मत कार्रवाई नहीं की।