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यही कारण है कि पाकिस्तान को ‘डार्क ग्रे लिस्ट’ में डाला जा सकता है।एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान एक डॉजियर सौंपने वाला है, जिसमें इस बात का जिक्र किया जाएगा कि इस्लामाबाद ने आतंकियों के खिलाफ क्या-क्या कार्रवाई की है। डॉजियर में आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में भी जानकारी दिए जाने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने लगभग हर सदस्य देश से संपर्क कर उसे ब्लैक लिस्ट में नहीं डालने के लिए समर्थन मांगा था। पाक को चीन, तुर्की और मलेशिया से मदद की उम्मीद थी। लेकिन इन तीनों देशों ने भी उसे समर्थन नहीं दिया। जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया था और 27 पॉइंट का ऐक्शन प्लान देते हुए एक साल का समय दिया गया था। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी संगठनों की टेरर फाइनैंसिंग को बैंकिंग व नॉन-बैंकिंग, कॉर्पोरेट और नॉन-कॉर्पोरेट सेक्टरों से रोकने के उपाय करने थे।