दिल्ली-एनसीआर (National Capital Region) में दिल्ली मेट्रो की रफ्तार मिलने से भारतीय रेलवे (Indian Railway) के सामने अपने यात्रियों को संभाले रखने की चुनौती खड़ी हो गई है। रेलवे प्रशासन यह मान रहा है कि मेट्रो के विस्तार से ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या कम हो रही है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष यात्रियों की संख्या में लगभग एक फीसद कमी आई है। साथ ही माल ढुलाई से मिलने वाले राजस्व में भी गिरावट देखी जा रही है, जिससे रेल अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। खास बात यह है कि रेलवे स्टेशनों पर सुविधाओं में बढ़ोतरी और नई ट्रेनें चलने के बावजूद यात्रियों की संख्या में कमी हो रही है।
उत्तर रेलवे के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018 के दो माह जनवरी व फरवरी में 26.37 करोड़ यात्रियों ने दिल्ली रेल मंडल के रेलवे स्टेशनों से टिकट लेकर सफर किया था, जबकि इस वर्ष के पहले दो माह में मात्र 26.10 करोड़ यात्रियों ने ट्रेन से सफर किया है। इस तरह से लगभग 27 लाख यात्रियों ने ट्रेन से मुंह मोड़ लिया है। रेल प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है।
अधिकारियों का कहना है कि रेलवे स्टेशनों व ट्रेनों में साफ-सफाई में सुधार के साथ ही यात्री सुविधाओं में विस्तार का काम चल रहा है। दिल्ली से कई नई ट्रेनें भी शुरू की गई है। ऐसे में यात्रियों की संख्या बढ़ने के बजाय कम होना चिंताजनक है।
इस स्थिति को सुधारने के लिए दिल्ली रेल मंडल ने विभिन्न रेल मार्गों पर विशेष अध्ययन भी कराया है, जिसमें मेट्रो के विस्तार को सबसे बड़ा कारण बताया गया है।
अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल और इस वर्ष जनवरी तक लाजपत नगर से मयूर विहार पॉकेट एक, राजा नाहर सिंह से एस्कोर्ट मुजेसर, त्रिलोकपुरी से शिव विहार, साउथ कैंपस से लाजपत नगर, मुंडका से बहादुरगढ़, कालका जी मंदिर से जनकपुरी वेस्ट, मजलिस पार्क से साउथ कैंपस और नोएडा से ग्रेटर नोएडा के बीच मेट्रो का परिचालन शुरू हुआ है। मेट्रो की सुविधा उपलब्ध होने से इन क्षेत्रों में रहने वाले जो लोग पहले लोकल ट्रेन से आते-जाते थे, उनमें से अधिकतर अब मेट्रो से सफर करने लगे हैं। इसके साथ ही मेट्रो फीडर बसें, मेट्रो ग्रामीण सेवा, शेयर ऑटो, शेयर टैक्सी जैसे विकल्प से भी रेल यात्रियों की संख्या में कमी आई है।
माल ढुलाई के राजस्व में 19 फीसद की कमी
रेल यात्रियों की संख्या कम होने के साथ ही माल ढुलाई (पार्सल) से होने वाले राजस्व में भी गिरावट आई है। शुरुआती माह में पार्सल से होने वाले आमदनी में लगभग 19 फीसद की कमी दर्ज की गई है। पहले एसएलआर कोच (पार्सल ले जाने वाला कोच) में पांच टन माल ले जाया जाता था जिसे कम करके चार टन कर दिया गया है। इसके साथ ही जीएसटी और ई-वे बिल तथा रोड परिवहन की स्थिति सुधरने से भी रेलवे को नुकसान हो रहा है। इस कारण कमी दर्ज हुई है।
मेट्रो के विस्तार के साथ ही कुप्रबंधन से भी रेल यात्री ट्रेन से दूर हो रहे हैं। रेलवे के अध्ययन में भी यह बात सामने आई है। ट्रेनों की लेटलतीफी, छोटे रेलवे स्टेशनों पर पहुंचने में दिक्कत, स्टेशनों के आसपास और ट्रेनों में होने वाले अपराध जैसे कई कारण हैं, जिसकी वजह से यात्री सफर के लिए अन्य विकल्पों पर ध्यान दे रहे हैं। समय रहते इन कमियों को दूर करके ही यात्रियों की संख्या में इजाफा किया जा सकता है।
लोकल ट्रेनें भी चलती हैं घंटों लेट
लंबी दूरी की ट्रेनों के साथ ही लोकल ट्रेनें भी समय पर नहीं चलती हैं। विलंब से चलने के साथ ही अक्सर इन्हें रद भी कर दिया जाता है। इससे रेल यात्री समय पर अपने कार्य स्थल पर नहीं पहुंच पाते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत सर्दियों में होती है, जब कोहरे की वजह से कई ट्रेनें दो से तीन माह तक रद कर दी जाती हैं। ट्रेनों की लेटलतीफी और इन्हें रद किए जाने के खिलाफ अक्सर रेल यात्री प्रदर्शन भी करते हैं। दिल्ली मंडल में पिछले वर्ष ट्रेनों की समयबद्धता 61.77 फीसद थी जो कि इस वर्ष के पहले दो माह में कम होकर 60.2 फीसद रह गई थी। कभी संरक्षा व मरम्मत कार्य से तो कभी बुनियादी ढांचे के विस्तार तो कभी मौसम व आंदोलन की वजह से ट्रेनें लेट हो जाती हैं।
एनसीआर के शहरों से जुड़े मेट्रो नेटवर्क
वायलेट लाइन: कश्मीरी गेट-बल्लभगढ़
रेड लाइन: रिठाला-गाजियाबाद बस अड्डा
ग्रीन लाइन: इंद्रलोक-मुंडका-बहादुरगढ़
येलो लाइन: समयपुर बादली-हुडा सिटी सेंटर
ब्लू लाइन: द्वारका सेक्टर 21-इलेक्ट्रॉनिक सिटी और यमुना बैंक से वैशाली