नई दिल्ली : वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी व्यक्तिगत तौर पर विपक्ष के नेता के पद के लिए 10 प्रतिशत सीटों के तय मानक को कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। उनका मानना है कि सदन में सबसे बड़ी पार्टी के नेता को विपक्ष के नेता का दर्जा मिलना चाहिए। सिंघवी का मानना है कि विपक्ष का नेता पद हासिल करने के लिए 10 प्रतिशत सीटों का अनिवार्य होना कोई कानूनी एवं परंपरागत मानक नहीं है। इस पर संसद ने कोई फैसला नहीं किया है और न ही इसके कानूनी पहलु को चुनौती दी गई है। सैलरी और अलाउंस संबंधित एक कानून में विपक्ष के नेता का विषय आता है, जिसमें सबसे बड़ी पार्टी के नेता को विपक्ष का नेता माना गया है। इस विषय को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है और उनकी व्यक्तिगत सोच है कि सरकार द्वारा विपक्ष का नेता पद नहीं दिए जाने पर कोर्ट जाना चाहिए।
उनका कहना है कि एक एक्जीक्यूटिव ऑर्डर के जरिए 10 प्रतिशत सीटों का मानक तय किया गया था। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी विपक्ष के नेता का पद हासिल करने के लिए जरूरी 10 प्रतिशत सीटें इस बार भी हासिल नहीं कर पाई है। 17वीं लोकसभा में कांग्रेस को 52 सीटें मिलीं हैं। 10 प्रतिशत के मानक के अनुरूप विपक्ष का नेता का पद हासिल करने के लिए कांग्रेस को 54 सीटें चाहिए। विपक्ष के नेता का पद 16वीं लोकसभा में भी कांग्रेस पाने से वंचित रह गई थी। 44 सीटों वाली कांग्रेस को राजग गठबंधन की सरकार ने नेता विपक्ष का पद देने से इनकार कर दिया था। पार्टी पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह सरकार से उन्हें विपक्ष का नेता पद दिए जाने की मांग नहीं करेगी।