दिल्ली में महिलाओं को मेट्रो और डीटीसी बसों में मुफ्त यात्रा कराने की केजरीवाल सरकार की योजना पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने कहा कि अगर केजरीवाल इस योजना को अंजाम तक पहुंचा सकें तो यह प्रस्ताव अच्छा है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के इस योजना को राजनीतिक रूप में देखा जाना चाहिए। क्योंकि वह किसी के फायदे के लिए ऐसा नहीं कर रहे हैं। वह सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह की योजना ला रहे हैं।
इससे पहले भाजपा ने भी केजरीवाल की इस योजना पर सवाल उठाए थे। मेट्रो और बसों में महिलाओं को मुफ्त में यात्रा कराने की योजना पर दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वह इस योजना का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन जो काम 52 महीनों में केजरीवाल नहीं कर सके तो तीन महीने में कैसे कर सकते हैं।
मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री लोगों को गुमराह कर रहे हैं। दिल्ली में 20 हजार बसें चाहिए लेकिन प्रदेश सरकार के पास सड़क पर चलाने के लिए मात्र 33 सौ बसें हैं। उन्होंने कहा कि एक बार फिर से दिल्ली के लोगों को घोषणाओं की जाल में फंसाने की कोशिश शुरू हो गई है।
मनोज तिवारी ने केजरीवाल के पूर्व में किये गए वादों को जिक्र करते हुए कहा था कि पहले बसों में मार्शल तैनाती की बात कही गई थी। अब उस पर बात नहीं हो रही है। नए स्कूल बनाने के वादे पूरे नहीं हुए। पेयजल, अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने, यमुना को साफ करने को लेकर किए गए वादों पर अब केजरीवाल कुछ नहीं बोल रहे हैं।
AAP ने कराया सर्वे
उधर, मेट्रो और बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा सुविधा देने की घोषणा को लेकर आम आदमी पार्टी ने एक सर्वे कराया है। इसमें महिलाओं से योजना पर राय मांगी गई, जिसमें 94 फीसद महिलाओं ने योजना को केजरीवाल सरकार का अच्छा प्रयास बताया है। साथ ही इसे जल्द लागू किए जाने के लिए कहा है।
सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की महिलाओं के लिए मेट्रो और बसों में मुफ्त यात्रा की घोषणा की थी। इसे लेकर दिल्ली की सियासत भी गरमा गई है। इस बीच मंगलवार को पार्टी ने राजधानी के सभी जिलों में एक सर्वे कराया। इसमें प्रत्येक जिले में प्रत्येक वर्ग की दो सौ महिलाओं से मौखिक सवाल किए गए।
आप का दावा है कि इस सर्वे में 48 फीसद महिलाओं ने कहा है कि वह रोजाना मेट्रो का उपयोग करती हैं। इसमें 25 फीसद महिलाएं हर महीने मेट्रो किराए पर 1000 से लेकर 2000 रुपये तक खर्च करती हैं, जबकि 22 फीसद महिलाओं का मासिक खर्च दो से तीन हजार रुपये है।