भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर भारत में चीन के राजदूत लुओ झाओहुई के बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है. लुओ ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक समिट का आयोजन करने की बात की थी, लेकिन चीन ने ही इसे नकार दिया था. अब अमेरिका की तरफ से भी एक बार फिर दोनों देशों के बीच कश्मीर मुद्दे पर बयान आया है.
ट्रंप प्रशासन कश्मीर विवाद को सुलझाने में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को खारिज करते दिखा और उसने दोहराया कि मुद्दे पर किसी भी चर्चा का निर्धारण भारत एवं पाकिस्तान को करना है. अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि कश्मीर पर हमारी नीति नहीं बदली है. हमारा मानना है कि कश्मीर पर किसी भी चर्चा की रफ्तार, गुंजाइश एवं प्रकृति का निर्धारण दोनों देशों को करना है.
लुओ ने कहा था कि चीन-भारत-पाकिस्तान की त्रिपक्षीय समिट का आयोजन होना चाहिए. चीनी एंबेसडर ने सोमवार को बयान दिया कि हाल ही में भारत और पाकिस्तान शंघाई कॉरपोर्शन ऑर्गनाइजेशन (SCO) का हिस्सा बने हैं ऐसे में ये मंच भारत और पाकिस्तान को करीब लाने में मदद कर सकता है.
चीन ने बनाई थी बयान से दूरी
चीन ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के बैनर तले भारत, चीन एवं पाकिस्तान के बीच त्रिपक्षीय सहयोग कायम करने के अपने राजदूत के हालिया बयान से दूरी बनाई थी.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग से जब लुओ के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत एवं पाकिस्तान चीन के मित्र और पड़ोसी हैं. उन्होंने कहा, ‘हम पाकिस्तान और भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ संबंध बनाए रखना चाहते हैं ताकि इस क्षेत्र के बेहतर विकास एवं स्थिरता के लिए हमारा सहयोग मजबूत हो सके.’
आपको बता दें कि इससे पहले भी लुओ का एक बयान चीन के लिए आफत बन गया था. मई 2017 में लुओ ने नई दिल्ली में हुई एक बैठक में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का नाम बदलने का सुझाव दिया था ताकि भारत की चिंताओं पर ध्यान दिया जा सके. बाद में शायद पाकिस्तान के ऐतराज के बाद उनकी टिप्पणी को वेबसाइट पर डाले गए ट्रांसक्रिप्ट से हटा दिया गया था.