नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ा रही दिल्ली की अवैध डेयरियों पर कार्रवाई नहीं करने पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी और सभी नगर निगमों पर दस-दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि दिल्ली में कोई डेयरी कचरा प्रबंधन नियमों का पालन नहीं कर रही हैं और प्रशासन असंवेदनशील बना हुआ है। एनजीटी ने कहा कि ये जुर्माना इसलिए लगाया गया है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी और चारो नगर निगम अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल हैं। एनजीटी ने दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वो सभी संबंधित पक्षों की एक बैठक बुलाए और उनकी जिम्मेदारी तय करे और अगर वे विफल रहते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई भी करे।
एनजीटी ने कहा कि किसी भी विभाग के पास कोई ऐसा सुझाव नहीं आया कि पर्यावरण नियमों का पालन कैसे हो? ये सभी की असंवेदनशीलता को दर्शाती है। सभी विभागों ने अपने हलफनामे में कहा है कि पर्यावरण नियमों का उल्लंघन हो रहा है। देश की राजधानी में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन तब हो रहा है जब इसे जीवन के अधिकार में शामिल किया गया है। याचिका पशु अधिकार कार्यकर्ता नुगेहल्ली जयासिम्हा ने दायर की है। याचिका में अवैध डेयरियों को बंद करने की मांग की गई है। अवैध डेयरियों की वजह से दिल्ली में वायु और जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है। सफाई नहीं रहने से मवेशियों के अलावा इलाके के लोगों के लिए स्वास्थ्य की समस्या भी पैदा हो रही है। याचिका में कहा गया है कि डेयरी मालिक पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स का पालन नहीं कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि डेयरियों के कचरे यमुना में प्रदूषण की एक मुख्य वजह है।